केवल एक देश में ही आबादी के निचले आधे हिस्से को मिलता है राष्ट्रीय आय का एक चौथाई हिस्सा

मेरठ

 25-11-2024 09:26 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
ऑक्सफ़ैम (Oxfam) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के पहले दो वर्षों के दौरान, आय की असमानता के कारण, हर दिन कम से कम, 21,000 लोगों या हर चार सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हुई। जबकि, उन्ही चार सेकंड के दौरान, दुनिया के 10 सबसे अमीर व्यक्ति, अपनी पूंजी में प्रतिदिन लगभग $60,000 जोड़ रहे थे। कुल मिलाकर, वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की शुरुआत के बाद से, 160 मिलियन से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए, जबकि सबसे अमीर 10 अरबपतियों की संपत्ति दुगनी से भी अधिक बढ़कर 1.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई। अब तक आपको शायद यह एहसास हो गया होगा कि दुनिया के शीर्ष 10 अरबपतियों में से एक बनने की संभावना बेहद कम है। और सांख्यिकीय दृष्टि से किसी भी व्यक्ति के समाज के उस वर्ग से संबंधित होने की अधिक संभावना है जो वयस्क विश्व आबादी के निचले 50% का प्रतिनिधित्व करता है। दुनिया में केवल एक देश (चेक गणराज्य) को छोड़कर किसी भी देश में आबादी के निचले आधे हिस्से को राष्ट्रीय आय का हिस्सा 25% से अधिक नहीं मिलता है, और यह आंकड़ा दक्षिण अफ़्रीका जैसे देश में 5.48% तक बहुत कम हो सकता है। आर्थिक असमानता विभिन्न देशों और समुदायों में धन और संसाधनों के असमान वितरण को संदर्भित करती है, जहां कुछ लोगों के पास दूसरों की तुलना में काफी अधिक घन अथवा संसाधन होते हैं। कुछ मात्रा में असमानता अपरिहार्य है। लेकिन असमानता तब समस्याग्रस्त होती है जब इसके कारण लोग सभ्य जीवन जीने और अपने अधिकारों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। कोविड-19 महामारी के बाद से, आर्थिक असमानता तीव्र गति से बढ़ी है। तो आइए इस लेख में, असमानता के जटिल मुद्दे और इसके वैश्विक रुझानों को समझते हैं और सबसे अधिक आय असमानता वाले और सबसे कम आय असमानता वाले देशों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम पूंजीवाद बनाम समाजवाद के तहत आर्थिक असमानता की तुलना करेंगे और विश्लेषण करेंगे कि ये आर्थिक प्रणालियाँ आय वितरण को कैसे प्रभावित करती हैं। अंत में हम इस बात पर गौर करेंगे कि कैसे पूंजीवादी व्यवस्थाएं अक्सर अधिक आय असमानता का कारण बनती हैं। असमानता: वैश्विक रुझान-
असमानता का गरीबी से गहरा संबंध है। हम असमानता को दूर किए बिना गरीबी कम करने की उम्मीद नहीं कर सकते। इसी कारण दोनों के बीच जटिल संबंध है और इसमें कई आयाम शामिल हैं:

- जिस समुदाय में कोई व्यक्ति रहता है, उसके समुदाय में दूसरों के परिणामों का उनके अनुभव पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- पर्यावरणीय संसाधन सीमित हैं, इसलिए उन समुदायों में जहां धन के साथ-साथ अभाव भी मौजूद है, वहां यह सोचना आवश्यक है कि उपलब्ध संसाधनों का वितरण कैसे किया जाता है।
- जहां लोगों को उनकी पहचान के आधार पर बहिष्कार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, गरीबी के मूल कारण से निपटने और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने के लिए असमानता को पहचानना और समझना महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक असमानता, राजनीतिक असमानता से गहराई से जुड़ी हुई है, जो एक स्व-स्थायी चक्र बनाती है, इससे समाज में विभाजन मज़बूत होता है क्योंकि सबसे अमीर लोगों की तुलना में सबसे गरीब लोगों का राजनीतिक निर्णय पर कम प्रभाव होता है।
वास्तव में, ऐसा कोई एक उपाय नहीं है जो असमानता के सभी पहलुओं को शामिल कर सके, इसलिए असमानता के स्तर और रुझानों को समझने के लिए विभिन्न उपायों का उपयोग किया जाना चाहिए।
उच्चतम आय असमानता रैंकिंग वाले देश-
- दक्षिण अफ़्रीका में सबसे अधिक आय असमानता है, नीचे के 50% लोग कुल आय का केवल 5.48% कमाते हैं, जबकि शीर्ष 10%, कुल आय का 66.23% अर्जित करते हैं और शीर्ष 1% के पास कुल देश की संपत्ति का 22% है।
- इसके ठीक बाद नामीबिया है, जहां नीचे के 50% लोग 6.55% कमाते हैं, शीर्ष 10% 64.2% कमाते हैं, और शीर्ष 1% देश की कुल संपत्ति का 21.57% अर्जित करते हैं।
- ज़ाम्बिया में, नीचे के 50% को कुल आय का 6.95% प्राप्त होता है, जबकि शीर्ष 10% और शीर्ष 1% के पास कुल देश की संपत्ति का क्रमशः 61.74% और 23.17% हिस्सा है।
- मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में और भी अधिक असमानता देखने को मिलती है, जहाँ नीचे के 50% लोग 7.63% कमाते हैं, शीर्ष 10% देश की कुल संपत्ति का 64.91% कमाते हैं, और शीर्ष 1% देश की कुल संपत्ति का 31% कमाते हैं।
- अंत में, एस्वातिनी में निचले 50% की हिस्सेदारी 7.86% है, शीर्ष 10% की हिस्सेदारी 59.88% है, और शीर्ष 1% की कमाई कुल देश की संपत्ति का 19.33% है।
सबसे कम आय असमानता रैंकिंग वाले देश-
- इस सूची में पहला नाम, चेक गणराज्य का है, जहां नीचे के 50% लोग 25.48% कमाते हैं, शीर्ष 10% 28.57% कमाते हैं, और शीर्ष 1% देश की कुल संपत्ति का 10.04% प्राप्त करते हैं।
- दूसरे स्थान पर आइसलैंड है, जहां निचले 50% को 24.98% मिलता है, शीर्ष 10% को 29.09% प्राप्त होता है, और शीर्ष 1% के पास देश की कुल संपत्ति का 8.78% है।
- तीसरे स्थान पर नॉर्वे है, जहां निचले 50% लोग देश की कुल आय का 24.84% कमाते हैं, जबकि शीर्ष 10% इसका 29.59% अर्जित करते हैं, और शीर्ष 1% देश की कुल संपत्ति का 8.88% कमाते हैं।
आर्थिक असमानता: पूंजीवाद बनाम समाजवाद-
हाल के वर्षों में, वैश्विक स्तर पर आर्थिक असमानता में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है, जनसंख्या के एक छोटे से हिस्से - लगभग 0.027% - के पास संयुक्त रूप से $45 ट्रिलियन की संपत्ति है। धन का यह केंद्रीकरण, कोविड-19 महामारी के बाद से और भी अधिक स्पष्ट हो गया है, क्योंकि महामारी शुरू होने के बाद से 10 सबसे अमीर व्यक्तियों की संपत्ति दोगुनी हो गई है, जबकि दुनिया की 99% आबादी की आय में गिरावट देखी गई है।
कुछ लोगों का मानना है कि समकालीन दुनिया में व्याप्त आर्थिक असमानता मानव इतिहास में अब तक देखी गई सबसे ऊंचे स्तर की असमानता है। यह दावा किसी भी तरह से निरर्थक नहीं है। चूंकि पूंजीवाद के तहत आज तक उत्पादक शक्तियों के विकास का उच्चतम स्तर देखा गया है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर पूंजीवाद के तहत उत्पादन में आर्थिक असमानता किसी भी पहले के समय की तुलना में आज अधिक है। यदि हम पूंजीवाद को अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी देखते हैं जहां यह अपनी परिधि में गैर-औद्योगिकीकरण का कारण बनता है, जो श्रम उत्पादकता में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद वास्तविक मज़दूरी को निर्वाह स्तर के काफ़ी करीब रखता है, तो यह उस असमानता का अनुसरण करता है जिसमें समग्र रूप से विश्व में अधिशेष का हिस्सा पूंजीवाद के तहत उत्पादन के पहले के तरीकों की तुलना में बहुत अधिक होगा, इसका कारण यह है कि पहले के तरीकों की तुलना में इसमें उत्पादक शक्तियों का अधिक विकास हुआ है। लेकिन भले ही इस अर्थ में असमानता आज पूंजीवादी व्यवस्था के कारण मानव इतिहास में किसी भी अन्य समय की तुलना में अधिक है, बमुश्किल तीन दशक पहले ऐसे समाज मौजूद थे जहां असमानता मानव इतिहास में पहले से कहीं कम थी। उदाहरण के लिए, पूर्वी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में उस समय असमानता पश्चिम जर्मनी, फ़्रांस या डेनमार्क की तुलना में बहुत कम थी। और इस कम असमानता के पीछे मुख्य रूप से तीन प्रमुख कारण थे। पहला, बोल्शेविक क्रांति के बाद निज़ी, विशेष रूप से सामंती, संपत्ति का बड़े पैमाने पर हनन और किसानों के बीच इसका वितरण हुआ था; युद्ध के बाद कई अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों में भी इसी तरह का भूमि पुनर्वितरण किया गया था। दूसरा तथ्य यह था कि हर किसी को मुफ़्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध थी। चूंकि कोई निज़ी कॉलेज और विश्वविद्यालय नहीं थे, इसलिए सभी को समान शिक्षा प्राप्त होती थी और सभी के लिए आगे बढ़ने के समान अवसर खुले होते थे; तथाकथित "समृद्ध" पृष्ठभूमि के कुछ छात्रों को अन्य छात्रों की तुलना में बेहतर स्थिति में होने का कोई सवाल ही नहीं था। और तीसरा कारक रोज़गार की गारंटी थी; सभी को नौकरी का आश्वासन प्राप्त था, कुछ लोगों के बेरोज़गार रहने और श्रमिकों की एक निश्चित श्रेणी में बने रहने का कोई सवाल ही नहीं है, जैसा कि पूंजीवाद के तहत होता है।
हालाँकि, ये कारक महत्वपूर्ण होते हुए भी, समाजवाद के तहत अधिक समानता की पूरी तरह से व्याख्या नहीं करते हैं। पूंजीवाद के तहत आय वितरण श्रमिकों और पूंजीपतियों के बीच सौदेबाज़ी के माध्यम से अलग-अलग और स्वतंत्र रूप से निर्धारित किया जाता है, जिसमें श्रमिकों की संख्या जितनी अधिक होती है, श्रमिकों का वेतन हिस्सा उतना ही कम होगा। हालाँकि, एक समाजवादी अर्थव्यवस्था में श्रमिकों का हिस्सा स्वतंत्र रूप से दिए जाने के बजाय, स्वयं लचीला होता है, हमेशा समायोजित होता है। इस प्रकार, जबकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अपर्याप्त कुल मांग की स्थिति में बेरोज़गारी होती है, समाजवादी अर्थव्यवस्था में कभी भी अपर्याप्त समग्र मांग नहीं होती है क्योंकि मजदूरी का हिस्सा हमेशा समायोजित होता है। लेकिन, चूंकि उत्पादन के साधनों का मालिक कोई निजी पूंजीपति नहीं होता है, आर्थिक अधिशेष में यह संपूर्ण वृद्धि राज्य को प्राप्त होती है और व्यक्तियों के बीच आय या धन असमानता में कोई वृद्धि नहीं होती है।
पूंजीवादी व्यवस्था और आय असमानता-
पूंजी और श्रम का अलग-अलग रूपों में वितरण विभिन्न आर्थिक प्रणालियों को जन्म देता है। इस संदर्भ में दो मुख्य प्रणालियाँ विशेष रूप से प्रासंगिक हैं। पूंजीवाद में, लोगों का एक समूह पूरी तरह से संपत्ति के स्वामित्व से आय प्राप्त करता है जबकि दूसरे समूह की आय पूरी तरह से श्रम से प्राप्त होती है। पहला समूह (पूंजीपति) आम तौर पर छोटा और अमीर होता है; जबकि दूसरा समूह (श्रमिक) आम तौर पर असीमित और गरीब होता है, या अधिक से अधिक इस समूह में मध्यम आय स्तर वाले लोग होते हैं। उच्च स्तर की आय असमानता इस प्रणाली की विशेषता है। हालाँकि, उदार पूंजीवाद में, लोगों का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत पूंजी और श्रम दोनों से आय प्राप्त करता है। जैसे-जैसे आय वितरण में बढ़ोतरी होती है, पूंजी से प्राप्त आय का हिस्सा बढ़ता जाता है। लेकिन अक्सर, अमीरों के पास उच्च पूंजी और उच्च श्रम आय दोनों होती है। हालाँकि अंतर-वैयक्तिक आय असमानता अभी भी अधिक हो सकती है, आय की संरचना में असमानता बहुत कम होती है।
पिछले 25 वर्षों में 47 देशों में आय असमानता पर किए गए एक अध्ययन में तीन निष्कर्ष निकलकर सामने आते हैं:
- सबसे पहला, कठोर पूंजीवाद, उदार पूंजीवाद की तुलना में उच्च आय असमानता से जुड़ा है।
- दूसरा, वैश्विक स्तर पर, कुछ प्रमुख समूह उभर कर सामने आते हैं। एक समूह, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया शामिल हैं।
- तीसरा निष्कर्ष, नॉर्डिक देशों के समूह से संबंधित है | यह असाधारण है क्योंकि यह आय असमानता के निम्न स्तर को उच्च संरचनागत असमानता के साथ जोड़ता है। यह पूरी तरह से आश्चर्य की बात नहीं है: नॉर्डिक देशों को पूंजी पर 'सामाजिक रूप से स्वीकार्य' उच्च रिटर्न के साथ वेतन कटौती को जोड़ने के लिए जाना जाता है। पूंजी और श्रम के बीच, इस तरह के समझौते ने इन क्षेत्रों में असमानता पर रोक लगा दी है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/adjcvtay
https://tinyurl.com/3cmvys5w
https://tinyurl.com/44pudaru
https://tinyurl.com/fr33pwyj

चित्र संदर्भ
1. जूते पॉलिश करवाते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
2. परेशानी में बैठे एक बेघर व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. परीक्षा देते छात्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
4. कुछ गरीब भूखे भिखारियों को एक अमीर घराने से दान प्राप्ति के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)

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