आज भारत में कानूनी तौर पर समलैंगिक जोड़े एक साथ रह सकते हैं। इसके तहत, उन्हें कानूनी सुरक्षा और अधिकार भी दिए जाते हैं। हालाँकि, भारत में आज भी कानूनी तौर पर समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं दी गई है। आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हम भारत में समलैंगिकता और उससे जुड़ी गतिविधियों से संबंधित कानूनों के बारे में जानेंगे। हम अपने देश में एल जी बी टी क्यू+ (LGBTQ+) समुदाय की जनसांख्यिकी पर भी चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि भारत में समलैंगिक विवाह की अनुमति क्यों नहीं है। उसके बाद, हम कुछ ऐसे देशों पर नज़र डालेंगे, जिन्होंने समलैंगिक विवाह को वैध बनाया है। अंत में, हम दुनिया भर के कुछ जाने-माने संगठनों पर प्रकाश डालेंगे जो इस समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
भारत में एल जी बी टी क्यू+ (LGBTQ+) समुदाय की जनसंख्या का कोई निश्चित अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। 2012 में, भारत सरकार ने इस समुदाय के लोगों की संख्या "कम से कम 2.5 मिलियन" बताई थी। लेकिन, इस समुदाय से जुड़े कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह संख्या लगभग 125 मिलियन तक हो सकती है। 2021 में इप्सोस (Ipsos) नामक एक बहुराष्ट्रीय शोध ने एल जी बी टी+ प्राइड (LGBT+ Pride) पर एक सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण में, भारत में एल जी बी टी क्यू समुदाय से जुड़े 50,000 लोगों से जानकारी ली गई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस आबादी का 17% हिस्सा, ख़ुद को समलैंगिक ( गे (Gay) और लेस्बियन (Lesbian) दोनों) के रूप में पहचानता है। इसके अलावा, 9% लोग ख़ुद को उभयलिंगी (Bisexual), 1% पैनसेक्सुअल (Pansexual), और 2% अलैंगिक (Asexual) के रूप में अपनी पहचान बताते हैं। दिलचस्प बात यह है कि 69% लोग ख़ुद को विषमलैंगिक (Heterosexual) के रूप में पहचानते हैं। वहीँ कुछ लोग ऐसी भी हैं जिन्होंने "नहीं जानते (Don't Know)" या "उत्तर नहीं देना पसंद करते हैं (Prefer not to say)" का विकल्प चुना।
भारत में समलैंगिकता और इससे जुड़ी गतिविधियों की कानूनी स्थिति में हाल के वर्षों में काफ़ी बड़े बदलाव देखे गए हैं। 7 सितंबर, 2018 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इस निर्णय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस हिस्से को हटा दिया, जिसमें समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध माना गया था। इस निर्णय ने समलैंगिकता को वैध बना दिया। लेकिन, यह ध्यान रखना जरूरी है कि धारा 377 के अन्य हिस्से अभी भी लागू हैं। इनका उपयोग, वयस्कों से जुड़े समलैंगिक बलात्कार के मामलों में किया जा सकता है।
हालांकि, आज भी भारतीय कानून, समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देता। हमारे देश का कानून विवाह को एक पुरुष और एक महिला के बीच का बंधन मनाता है। भारत में समलैंगिक विवाह की अनुमति न होने के कई कारण हैं। ये कारण धार्मिक, सांस्कृतिक और कानूनी दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं।
आइए कुछ प्रमुख कारणों की पड़ताल करते हैं:
पारंपरिक मान्यताएँ: कई धार्मिक और सांस्कृतिक समूह मानते हैं कि ‘विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच होना चाहिए।’ यह उनके लिए एक पारंपरिक दृष्टिकोण है। इसे बदलना उनकी मूल मान्यताओं और मूल्यों के खिलाफ़ जाता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि विवाह का मुख्य उद्देश्य बच्चों का जन्म देना है। उनका तर्क है कि समलैंगिक जोड़ों के जैविक बच्चे नहीं हो सकते। इसलिए, वे सोचते हैं कि उन्हें विवाह की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। इस दृष्टिकोण से, समलैंगिक विवाह को प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ़ समझा जाता है।
कानूनी चिंताएँ: इसके अलावा, कानूनी मुद्दों को लेकर भी कई चिंताएँ हैं। कुछ लोग मानते हैं कि समलैंगिक विवाह की अनुमति देने से विरासत, कर और संपत्ति के अधिकारों में जटिलताएँ बढ़ सकती हैं। उनका तर्क है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देने के लिए मौजूदा कानूनों और नियमों में बड़े बदलाव करने होंगे। यह एक कठिन प्रक्रिया है।
हालांकि समलैंगिक विवाह का अधिकार एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है और कई देशों ने इसे स्वीकार भी किया है।
आइए, उन देशों के बारे में जानते हैं जिन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है:
अंडोरा (2023): फ़्रांस और स्पेन के बीच में बसे देश अंडोरा ने 2023 में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने का निर्णय लिया।
लक्ज़मबर्ग (2015): लक्ज़मबर्ग के पूर्व प्रधानमंत्री जेवियर बेटल, जो खुद समलैंगिक हैं, ने 2015 में समलैंगिक विवाह से जुड़े विधेयक का समर्थन किया।
अर्जेंटीना (2010): अर्जेंटीना ने लैटिन अमेरिका में एक नई मिसाल कायम की। 2010 में इसने समलैंगिक जोड़ों को विवाह करने की अनुमति दी। यह ऐसा करने वाला पहला देश बना।
इक्वाडोर (2019): साल 2019 में अदालत के फ़ैसले के बाद इक्वाडोर, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला दक्षिण अमेरिका का पाँचवाँ देश बन गया।
न्यूज़ीलैंड (2014): न्यूज़ीलैंड एशिया-प्रशांत क्षेत्र का पहला देश है, जिसने 2014 में समलैंगिक विवाह को वैध किया।
स्वीडन (2009): स्वीडन में समलैंगिक जोड़े, 1995 से नागरिक संघों के लिए पंजीकरण कर सकते थे। लेकिन 2009 में इन्हें शादी करने की भी अनुमति दी गई।
ताइवान (2019): ताइवान ने एक अदालत के फ़ैसले के माध्यम से एशिया में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी। इसके साथ ही ताइवान, 2019 में समलैंगिक जोड़ों को विवाह करने की अनुमति देने वाला एशिया का पहला देश बन गया।
यूनाइटेड किंगडम (2014): इंग्लैंड और वेल्स में समलैंगिक विवाह को अनुमति मिलने के छह साल बाद, 2020 में उत्तरी आयरलैंड में भी इसे कानूनी मान्यता मिली। स्कॉटलैंड ने 2014 में अपना कानून पारित किया था।
संयुक्त राज्य अमेरिका (2015): यू.एस. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि समलैंगिक विवाह सभी के लिए एक अधिकार है। इससे पहले, छत्तीस राज्यों ने इसे पहले ही कानूनी बना दिया था।
आज दुनियाभर की अदालतों के साथ-साथ कई संगठन भी समलैंगिक अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नीचे ऐसे ही कुछ प्रमुख संगठनों की सूची दी गई है, जो एल जी बी टी क्यू आई ए+ (LGBTQIA+) समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं:
ऑल आउट (All Out): ऑल आउट, एक वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन है। यह एल जी बी टी क्यू आई ए+ (LGBTQIA+) समुदाय के मानवाधिकारों की रक्षा करता है। इसकी शुरुआत 2010 में पर्पस फाउंडेशन (Purpose Foundation) के एक कार्यक्रम के रूप में हुई थी। 2014 में, इसे एक स्वतंत्र संगठन के रूप में स्थापित किया गया। ऑल आउट का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को एल जी बी टी क्यू आई ए+ अधिकारों के समर्थन में एकजुट करना है। 2012 में, इस समूह ने समलैंगिक विरोधी समूहों के खिलाफ़ एक याचिका शुरू की। इस याचिका ने एक गेम प्रकाशक ईए (EA) पर अपने समलैंगिक पात्रों को लेकर दबाव डाला था।
आई एल जी ए (ILGA): इंटरनेशनल लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांस और इंटरसेक्स एसोसिएशन (ILGA) मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। यह संगठन किसी की लिंग पहचान या यौन विशेषताओं की परवाह नहीं करता। यह एल जी बी टी क्यू आई ए+ मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मानवाधिकार परिषद में वकालत करता है। यह सदस्य देशों की एल जी बी टी क्यू आई ए+ से जुड़े अधिकारों में सुधार करने में मदद करता है। आई एल जी ए, यह सुनिश्चित करता है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में एल जी बी टी क्यू आई ए+ लोगों को भी शामिल किया जाए।
आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल (OutRight Action International): आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल, एक गैर-सरकारी संगठन है। यह एल जी बी टी क्यू आई ए+ लोगों के मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह यौन अभिविन्यास (Sexual Orientation) और लिंग पहचान (Gender Identity) के आधार पर, मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दों को संबोधित करता है। आउटराइट स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं, मीडिया और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर भेदभाव और दुर्व्यवहार का दस्तावेज़ीकरण करता है। इसकी स्थापना 1990 में जूली डॉर्फ़ द्वारा की गई थी। पहले इसे अंतर्राष्ट्रीय गे और लेस्बियन मानवाधिकार आयोग (International Gay and Lesbian Human Rights Commission) कहा जाता था।
ब्यूटीफ़ुल लाइफ़ ऑर्गनाइज़ेशन (Beautiful Life Organization): ब्यूटीफ़ुल लाइफ़ ऑर्गनाइज़ेशन, कंबोडिया के सिएम रीप (Siem Reap) में स्थित एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन है। यह "ए प्लेस टु बी योरसेल्फ़ (A Place To Be Yourself)" नामक एक ड्रॉप-इन सेंटर (Drop-in Center) चलाता है। यह एल जी बी टी क्यू आई ए+ लोगों को एक सुरक्षित स्थान प्रदान करता है। यहाँ, लोग अपने लिंग और कामुकता के बारे में जान सकते हैं। बी एल ओ (BLO) स्वास्थ्य सेवा, परामर्श सेवाओं और अधिकारों के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है।
लव इज डायवर्सिटी (Love is Diversity): लव इज डायवर्सिटी नोम पेन्ह (Phnom Penh) में स्थित एक अनौपचारिक समूह है। यह समूह कंबोडिया में एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय के लिए समान अधिकारों की वकालत करता है। यह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहाँ एलजीबीटीक्यूआईए+ नागरिकों को परिवारों, स्कूलों और समुदायों से पूरा सम्मान और सुरक्षा मिले।
गेलम (Gaylam): गेलम, लैम्पुंग में स्थित एक संगठन है। इसका मिशन सोगी-आधारित समुदाय (SOGIE-based community) के खिलाफ़ कलंक और भेदभाव को ख़त्म करना है। यह संगठन समुदाय को सशक्त बनाता है और एचआईवी/एड्स की रोकथाम पर काम करता है। गेलम एलजीबीटीक्यूआईए+ लोगों और एचआईवी से पीड़ित लोगों के बीच यौन अधिकारों और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/y9mnug5d
https://tinyurl.com/2bc2byb4
https://tinyurl.com/2fey3stk
https://tinyurl.com/2ca7l8ec
https://tinyurl.com/2ahggn3v
चित्र संदर्भ
1. समलैंगिक विवाह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एल जी बी टी प्राइड परेड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एल जी बी टी क्यू झंडे के साथ एक व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. समलैंगिक विवाह के समर्थन में उमड़ी भीड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. समलैंगिक विवाह के एक दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)