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अपतटीय ड्रिलिंग एवं पेट्रोलियम भंडार की क्या ज़रुरत आन पड़ी?

मेरठ

 16-08-2024 09:31 AM
समुद्री संसाधन
पेट्रोल, डीज़ल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन आधुनिक जीवन के लिए बेहद आवश्यक हो गए हैं। लेकिन पृथ्वी का अधिकांश पेट्रोलियम, मोटी चट्टानों की परतों के नीचे और पानी के नीचे दबा हुआ है, जिसका महत्वपूर्ण भंडार अपतटीय क्षेत्रों (Offshore Areas) में स्थित है। सऊदी अरब में सफ़ानिया तेल क्षेत्र, दुनिया का सबसे बड़ा अपतटीय तेल क्षेत्र है, जिसमें 50 बिलियन बैरल से अधिक तेल होने का अनुमान है, जिसमें से 36 बिलियन बैरल निकाला जा सकता है। आज के इस लेख में, हम पानी के नीचे के तेल संसाधनों और उनके निष्कर्षण का पता लगाएंगे, जिसमें अपतटीय ड्रिलिंग (Offshore Drilling) का महत्व और इसके पर्यावरणीय प्रभाव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, हम भारत की वर्तमान स्थिति, क्षमता और भविष्य की विस्तार योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) पर भी चर्चा करेंगे।
समुद्र तल के नीचे से तेल और प्राकृतिक गैस निकालने की प्रक्रिया को अपतटीय ड्रिलिंग (Offshore Drilling) कहा जाता है। यह प्रक्रिया, समुद्री तेल रिग (Offshore Oil Rig) द्वारा किए गए अन्वेषणात्मक ड्रिलिंग (Exploratory Drilling) से शुरू होती है। एक बार तेल का पता लग जाने के बाद, इसे अपतटीय संचालन के लिए डिज़ाइन किए गए विशेष रिग का उपयोग करके निकाला जाता है। अपतटीय ड्रिलिंग में, विभिन्न तकनीकों और अवसंरचनाओं का उपयोग किया जाता है, जिसमें समुद्र तल पर लंगर डाले गए स्टील फ़्रेमवर्क (Steel Framework) से बने प्लेटफ़ॉर्म और कई कुओं की ड्रिलिंग चल संरचनाएँ (Mobile Drilling Structures) शामिल हैं।
अपतटीय ड्रिलिंग के कई लाभ होते हैं। जिनमें शामिल हैं:
1. तेल उत्पादन में वृद्धि: अपतटीय ड्रिलिंग से तेल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिससे देश का आर्थिक विकास बढ़ता है और विदेशी तेल पर निर्भरता कम होती है।
2. पारिस्थितिकी तंत्र का विकास: अपतटीय ड्रिलिंग अगर खराब तरीके से प्रबंधित की जाए तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन उचित प्रबंधन होने पर यह छोटे पारिस्थितिकी तंत्रों को भी बढ़ावा दे सकती है, जो पक्षियों और मछलियों सहित विभिन्न समुद्री जीवन का समर्थन करते हैं।
3. नौकरी सृजन: अपतटीय ड्रिलिंग से स्थानीय रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं। ये सुविधाएँ, अक्सर उद्योग के इर्द-गिर्द केंद्रित पूरे समुदायों के विकास की ओर ले जाती हैं।
4.तेल की कीमतों में स्थिरता: घरेलू तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन में वृद्धि से बाज़ार की कीमतों में स्थिरता आती है। अपतटीय ड्रिलिंग के बिना, आपूर्ति में कमी से कीमतों में उल्लेखनीय उछाल आ सकता है, जिससे जीवन यापन की लागत प्रभावित हो सकती है।
5. तकनीकी उन्नति: अपतटीय ड्रिलिंग की चुनौतियाँ नवाचार और तकनीकी सफलताओं को बढ़ावा देती हैं, जो विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में प्रगति में योगदान देती हैं।
6. करदाता लाभ: अपतटीय तेल, उत्पादन लाइसेंस और पट्टों के माध्यम से पर्याप्त सरकारी राजस्व उत्पन्न करता है। 2016 में, संघीय सरकार ने तेल से संबंधित परियोजनाओं से $2.5 बिलियन से अधिक की कमाई की, जिससे करदाताओं को संभावित लाभ मिला।
हालांकि उक्त लाभों के अलावा अपतटीय ड्रिलिंग के पर्यावरणीय प्रभाव भी होते हैं। जिनमें शामिल है:
1.) पानी के नीचे जीवन में व्यवधान: अपतटीय ड्रिलिंग गतिविधियों का बुनियादी ढांचा, जैसे कि प्लेटफ़ॉर्म, पाइपलाइन और भूकंपीय सर्वेक्षण (Seismic Surveys), समुद्री आवासों और संवेदनशील प्रजातियों जैसे कि कोरल रीफ़ (Coral Reefs), मैंग्रोव (Mangroves) और समुद्री घास के मैदानों (Seagrass Beds) को बाधित या नष्ट कर सकते हैं, जो अन्य समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण नर्सरी ग्राउंड (Nursery Grounds) और खाद्य स्रोत प्रदान करते हैं।
2.) वायु और जल प्रदूषण: हालाँकि अपतटीय ड्रिलिंग स्वयं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सीधे योगदान नहीं देती है, लेकिन इससे निकाले गए तेल और गैस, जब जलाए जाते हैं, तो वे जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण रूप से योगदान करते हैं। अपतटीय ड्रिलिंग से हवा और पानी में प्रदूषक निकलते हैं, जिनमें वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) (Volatile Organic Compounds), नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide) और बारीक हानिकारक कण (Fine Harmful Particles) शामिल हैं। ये प्रदूषक तटीय समुदायों में धुंध, अम्लीय वर्षा और श्वसन संबंधी समस्याओं में योगदान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ड्रिलिंग संचालन से उत्पादित अपशिष्ट जल में भारी धातु और हाइड्रोकार्बन जैसे संदूषक हो सकते हैं, जो पानी की गुणवत्ता को और अधिक प्रभावित करते हैं।
3.) ध्वनि प्रदूषण: ड्रिलिंग रिग (Drilling Rigs), भूकंपीय सर्वेक्षण (Seismic Surveys) और सहायक जहाज़ों से लगातार होने वाला शोर, समुद्री स्तनधारियों के संचार और व्यवहार को बाधित कर सकते हैं , जिससे उनकी नैविगेट करने, शिकार करने और प्रजनन करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहने से कुछ प्रजातियों को शारीरिक रूप से भी क्षति हो सकती है।
4.) तेल रिसाव : ड्रिलिंग प्लेटफ़ॉर्म, पाइपलाइनों और टैंकरों से तेल के आकस्मिक रिसाव से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीव और मनुष्यों पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। इन प्रभावों की सीमा रिसाव के आकार, शामिल तेल के प्रकार और विशिष्ट पर्यावरणीय स्थितियों पर निर्भर करती है।
आज भारत जैसे कई देशों के लिए संकट की स्थिति में आपूर्ति के लिए रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) रखना बेहद ज़रूरी हो गया है। रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR), कच्चे तेल के भंडार को कहा जाता है, जिसकी वजह से देश भू-राजनीतिक अनिश्चितता या आपूर्ति में व्यवधान के समय भी कच्चे तेल की स्थिर आपूर्ति बनी रहती है। ये भूमिगत भंडारण सुविधाएँ, किसी राष्ट्र की वृद्धि और विकास के लिए, ऊर्जा संसाधनों के स्थिर प्रवाह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम (I.E.P.) समझौते की शर्तों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) से संबंधित प्रत्येक राष्ट्र को अपने शुद्ध तेल आयात के कम से कम 90 दिनों के बराबर तेल का आपातकालीन भंडार बनाए रखना ज़रूरी है। तेल आपूर्ति में गंभीर व्यवधान की स्थिति में, IEA सदस्य सामूहिक कार्रवाई के हिस्से के रूप में इन स्टॉक को बाज़ार में जारी करने का निर्णय ले सकते हैं। भारत ने 2017 में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के भीतर एक सहयोगी सदस्य का दर्जा प्राप्त किया।
भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार की वर्तमान स्थिति और क्षमता
भारतीय सामरिक पेट्रोलियम भंडार लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserves Limited) को भारत सरकार द्वारा 2004 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में बनाया गया था। भारत की मौजूदा भूमिगत एसपीआर (Strategic Petroleum Reserve (SPR)) सुविधाओं में कच्चे तेल की 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) की संयुक्त क्षमता है, जो रणनीतिक रूप से दो राज्यों में स्थित है:
● विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश - 1.33 एमएमटी क्षमता
● मंगलुरु, कर्नाटक - 1.5 एमएमटी क्षमता
● पादुर, कर्नाटक - 2.5 एमएमटी क्षमता
अप्रैल/मई 2020 में, भारत ने कम कच्चे तेल की कीमतों द्वारा प्रस्तुत अवसर का लाभ उठाते हुए, अपनी मौजूदा एसपीआर (SPR) सुविधाओं को पूरी क्षमता तक सफलतापूर्वक भर दिया। इस सामरिक कदम के परिणामस्वरूप, लगभग 5000 करोड़ रुपये की बचत हुई।
जुलाई 2021 में, भारत सरकार ने दो अतिरिक्त वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक एसपीआर (SPR) सुविधाओं की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान की:
● चंडीखोल, ओडिशा - 4 एमएमटी क्षमता
● पादुर, कर्नाटक - 2.5 एमएमटी क्षमता (विस्तार)


संदर्भ
https://tinyurl.com/2ah8b52f
https://tinyurl.com/27bhus6y
https://tinyurl.com/25sxvjgy

चित्र संदर्भ
1. अपतटीय ड्रिलिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
2. समुद्री तेल रिग को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
3. विशालकाय समुद्री रिग को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
4. समुद्री तेल रिग में जहाज़ों के आवागमन को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
5. तेल के संग्रहण को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
6. पेट्रोल भरण को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
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