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नदियाँ, अविश्वसनीय होती हैं। ये बिना किसी भेदभाव या अपेक्षा के हज़ारों वर्षों से मानव सभ्यता के भरण पोषण का बोझ अपने सिर पर उठाए हुए हैं। नदी एक विशालकाय नीले साँप की भांति होती है, जो घाटियों, जंगलों और यहाँ तक कि शहरों से होकर पौधों, जानवरों और लोगों तक पानी पहुँचाता है। हालंकि हम अक्सर नदियों में प्रदूषण और गंदगी की बातें करते हैं, लेकिन आज हम धरती की सबसे साफ़ नदियों में से एक ‘चंबल नदी’ के बारे में जानने जा रहे हैं, जो अपनी अछूती सुंदरता और समृद्ध वन्य जीवन के लिए अद्वितीय मानी जाती है। भारत की कई अन्य नदियों के विपरीत, चंबल नदी प्रदूषण रहित मानी जाती है और स्वतंत्र रूप से बहती है। आज हम यह जानेंगे कि चंबल नदी कहाँ से शुरू होती है, इसकी मुख्य सहायक नदियाँ कौन-कौन सी हैं, और अंततः यह भी जानेंगे कि चंबल नदी को ‘भूत नदी’ के रूप में क्यों जाना जाता है?
चंबल नदी, मध्य और उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। यह नदी 1,024 किलोमीटर (636 मील) लंबी है, और पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मांडव के पास विंध्य पर्वत की उत्तरी ढलान पर स्थित जनापाव पहाड़ियों में भदकला जलप्रपात से शुरू होती है। यह स्थान मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले में महू से लगभग 67.5 किलोमीटर (41.9 मील) दक्षिण-पश्चिम में, लगभग 843 मीटर (2,766 फीट) की ऊंचाई पर है।
नदी सबसे पहले मध्य प्रदेश से होकर लगभग 376 किलोमीटर (234 मील) उत्तर की ओर बहती है। फिर, यह उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ती है और राजस्थान से होकर 249 किलोमीटर (155 मील) बहती है। उसके बाद, यह मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच 216 किलोमीटर (134 मील) और फिर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच 150 किलोमीटर (93 मील) की दूरी तय करती है।
अंत में, चंबल नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और जालौन ज़िले में 123 मीटर (404 फीट) की ऊंचाई पर यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 33 किलोमीटर (21 मील) बहती है। इससे यह बड़ी गंगा जल निकासी प्रणाली का हिस्सा बन जाती है।
चंबल और इसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र को जल निकासी प्रदान करती हैं, जबकि इसकी सहायक, बनास नदी, जो अरावली पर्वतमाला से शुरू होती है, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान को जल निकासी प्रदान करती है। चंबल नदी अपनी स्वच्छता और प्रदूषण मुक्त होने के लिए जानी जाती है। यह नदी कई प्रजातियों के वन्यजीवों को आश्रय प्रदान करती है, जिसमें दो प्रकार के मगरमच्छ (मगर और घड़ियाल), मीठे पानी के कछुओं की आठ प्रजातियाँ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, गंगा डॉल्फ़िन, स्कीमर, ब्लैक-बेलिड टर्न, सारस क्रेन और काली गर्दन वाले सारस आदि शामिल हैं। पहली नज़र में, चंबल नदी भी किसी भी दूसरी नदी की तरह ही भांति आम नदी प्रतीत हो सकती है। हालाँकि, चंबल नदी का एक अनोखा और दिलचस्प इतिहास है, जो मिथकों और कहानियों से भरा हुआ है।
आज भी लोगों के दिलों में "चंबल" नाम से डर पैदा हो जाता है, क्योंकि एक समय में यह इलाका अपने बीहड़ों के लिए कुख्यात था, जहाँ पर डाकुओं का कब्ज़ा था। इन डाकुओं में सबसे मशहूर फूलन देवी थी, जिन्हें भारत की बैंडिट क्वीन (Bandit Queen of India) के नाम से भी जाना जाता है।
चंबल नदी की उत्पत्ति आकर्षक किंवदंतियों से घिरी हुई है। पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि इसे मूल रूप से चर्मणवती नदी कहा जाता था और यह राजा रंतिदेव द्वारा मारे गए हज़ारों जानवरों के खून से पैदा हुई थी। महाभारत महाकाव्य से जुड़ी एक अन्य किवदंती में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है, जहाँ कौरवों और पांडवों के बीच इसके तट पर पासा का खेल खेला गया था। खेल के दौरान द्रौपदी को अपमानित किए जाने के बाद, उसने नदी को श्राप दिया, कि जो कोई भी इसका पानी पीएगा, वह प्रतिशोध की प्यास से भर जाएगा। इस अभिशाप के कारण लंबे समय तक लोग इस नदी का पानी पीने से डरते रहे।
चलिए अब अधिक न डरते हुए, चंबल नदी की सहायक नदियों की ओर रुख करते हैं, जिनकी सूची निम्नवत दी गई है:
अलनिया नदी: यह नदी मुकिन्दवाड़ा पहाड़ियों की उत्तर-पश्चिमी ढलानों से शुरू होती है और कोटा ज़िले के नोटाना गाँव के पास चंबल नदी से मिलने से पहले लगभग 58 किलोमीटर तक बहती है। यह 792 वर्ग किमी में फैली हुई है।
कालीसिंध नदी: यह नदी विंध्य पहाड़ियों की उत्तरी ढलानों से शुरू होती है। यह मध्य प्रदेश (म.प्र.) से होकर बहती है और झालावाड़ ज़िले के बिंदा गाँव के पास राजस्थान में लगभग 145 किलोमीटर बहने के बाद, यह कोटा ज़िले के नोनेरा गाँव के पास चंबल नदी में मिल जाती है। कालीसिंध नदी का क्षेत्रफल 2,892 वर्ग किमी है।
मेज नदी: यह नदी भीलवाड़ा ज़िले की मंडलगढ़ तहसील से निकलती है और कोटा ज़िले के भैसखाना गांव के पास चंबल नदी में मिल जाती है। इसका क्षेत्रफल 5,860 वर्ग किमी है।
चाकन नदी: कई छोटी-छोटी धाराओं से बनी चाकन नदी दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है और सवाई माधोपुर ज़िले के करणपुरा गांव के पास चंबल में मिल जाती है। यह सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी और कोटा ज़िलों में 789 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
पार्वती नदी: मध्य प्रदेश में विंध्य पहाड़ियों की उत्तरी ढलानों से निकलती हुई यह नदी मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच लगभग 18 किमी तक सीमा बनाती है, फिर बारां ज़िले के छतरपुरा गांव के पास राजस्थान में प्रवेश करती है। यह राजस्थान में लगभग 83 किलोमीटर तक बहती है, फिर 58 किलोमीटर तक बहते हुए अंततः कोटा ज़िले के पाली गांव में चंबल में मिल जाती है।
बनास नदी: यह नदी कुंभलगढ़ के पास अरावली पर्वतमाला की खमनोर पहाड़ियों से शुरू होती है और पूरी तरह से राजस्थान से होकर बहती है। यह चंबल नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, और दोनों नदियाँ आपस में सवाई माधोपुर ज़िले के खंडार ब्लॉक में रामेश्वर गांव के पास मिलती है।
हमारे उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले और हमीरपुर शहर में चंबल और बेतवा नदियाँ यमुना नदी में मिल जाती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3b75f9dc
https://tinyurl.com/29xet9jn
https://tinyurl.com/2fcx7r6n
https://tinyurl.com/5n87x9x9
चित्र संदर्भ
1. चंबल नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चम्बल नदी पर बने गांधी सागर बांध को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. चंबल नदी में घड़ियाल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अलनिया नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कालीसिंध नदी बांध को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पार्वती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. बनास नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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