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मेरठ शहर के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक ‘मेरठ सिटी जंक्शन’ (Meerut City Junction)’ उत्तर रेलवे जोन, दिल्ली डिवीजन (Northern Railway Zone, Delhi Division) के अंतर्गत आता है। इसकी स्थापना 1911 में ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा की गई थी, और आज यह शहर का एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र बन चुका है। लेकिन यदि हम देश की सबसे पुरानी रेलवे प्रणालियों की बात करें तो इनमें ‘ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (Great Indian Peninsula Railway (GIPR)’ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । जीआईपीआर ने ऐतिहासिक रूप से भारतीय रेलवे प्रणाली में बहुत बड़ा योगदान दिया है। आइए आज जीआईपीआर के इतिहास, विकास और प्रभाव पर गौर करें। इसके अतिरिक्त आज हम भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन के बारे में भी जानेगें।
ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे भारत की सबसे शुरुआती रेलवे प्रणालियों में से एक थी। यह लंदन में पंजीकृत एक निजी स्वामित्व वाली ब्रिटिश कंपनी थी। जीआईपीआर भारत में ब्रिटिश बोर्ड ऑफ कंट्रोल (British Board of Control) और ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) से लाइसेंस और गारंटी के तहत संचालित होता था। विशेष रूप सेयह भारत और एशिया का पहला रेलवे था। इसका मुख्यालय मुंबई में बोरे बंदर (जिसे बाद में विक्टोरिया टर्मिनस (Victoria Terminus) और वर्तमान में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (Chhatrapati Shivaji Terminus) के नाम से जाना जाने लगा) में स्थित था। इसकी शुरुआत 1 अगस्त 1849 में केवल 50,000 पाउंड के छोटे से निवेश के साथ हुई थी।
इस रेलवे की पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई से ठाणे के लिए रवाना हुई थी। 21 मील की दूरी तय करने में इसे 57 मिनट लगे। सुल्तान, सिंध और साहिब नामक तीन इंजनों द्वारा खींची गई इस पहली सवारी ट्रेन में 400 यात्री सवार थे।
1849 में, जीआईपीआर ने केवल 56 किलोमीटर लंबे एक छोटे परीक्षण ट्रैक के निर्माण के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसकी योजना मुंबई को भारत के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ने के लिए एक बहुत बड़ी रेलवे लाइन की शुरुआत के रूप में बनाई गई थी।
जेम्स जॉन बर्कले (James John Berkeley) को इस परियोजना के लिए मुख्य रेजिडेंट इंजीनियर (Chief Resident Engineer) के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसमें सी. बी. कार और आर. डब्ल्यू. ग्राहम (C.B. Car and R. W. Graham) उनकी सहायता कर रहे थे। भारत में पहली रेलवे लाइन, बॉम्बे (मुंबई) और तन्ना (ठाणे) के बीच 21 मील (33.8 किमी) खंड, 1853 में खोली गई थी। सरकार ने 1 जुलाई, 1925 को रेलवे का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और 5 नवंबर, 1951 के दिन यह मध्य रेलवे का हिस्सा बन गई।
डॉ. मरियम डोसल (Dr. Mariam Dossal) की पुस्तक "इंपीरियल डिज़ाइन्स एंड इंडियन रियलिटीज़ (Imperial Designs and Indian Realities)" रेलवे के इतिहास का एक अच्छा सारांश प्रदान करती है।
पुस्तक बताती है कि रेलवे का विकास दो मुख्य कारणों से किया गया था:
१. राजनीतिक रूप से अस्थिर क्षेत्रों को सैन्य और प्रशासनिक केंद्रों से जोड़ने के लिए।
२. ब्रिटिशों की कच्चे माल और बाजारों तक पहुंच बनाने के लिए।
जब जीआईपीआर की मुख्य लाइनें पूरी हो गईं, तो उन्होंने तीन प्रेसीडेंसी राजधानियों: (बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता) को आपस में जोड़ दिया। खोले गए मार्ग की कुल लंबाई 1483 मील (2388 किमी) थी।
1870-71 में भारतीय रेलवे की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जीआईपीआर ने 400-मील (644 किमी) ब्रॉड गेज (बीजी) लाइन खोली थी, जिसके परिणामस्वरूप कुल लाइन की लंबाई 1272 मील (2047 किमी) हो गई। 1900 तक भारत सरकार (GOI / जीओआई) ने जीआईपीआर की संपत्ति खरीद ली और इसका विलय इंडियन मिडलैंड रेलवे (Indian Midland Railway) के साथ कर दिया। इसने पुरानी कंपनी द्वारा प्रबंधित एक "नया" GIPR बनाया।
समय के साथ, जीआईपीआर ने शाखा लाइनें जोड़कर, कुछ रेलवे को समाहित करके और अन्य रेलवे के साथ कार्य समझौते बनाकर अपने नेटवर्क का विस्तार किया। 1918 की "भारतीय रेलवे पर प्रशासन रिपोर्ट" में महान भारतीय प्रायद्वीप प्रणाली का वर्णन किया गया था, जिसमें कुल 3441 मील (5489 किमी) रेलवे लाइनें शामिल थीं। इसमें जीआईपीआर की 2668 मील (4293 किमी) ब्रॉड गेज (बीजी) लाइनें और अन्य रेलवे शामिल भी हैं, जिनका अलग से विवरण दिया गया है। शुरुआत में इस रेलवे लाइन को 1300 मील लंबा बनाने की योजना बनाई गई थी, जो बॉम्बे (मुंबई) को भारतीय प्रायद्वीप के आंतरिक भाग और पूर्वी तट पर एक प्रमुख बंदरगाह से जोड़ती थी। इसका लक्ष्य कपास, रेशम, अफ़ीम, चीनी और मसालों के निर्यात को बढ़ावा देना था। रेलवे का उद्देश्य पुणे, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर, सोलापुर, नागपुर, अमरावती और हैदराबाद जैसे शहरों को जोड़ना था।
1925 में, भारत सरकार ने सीधे जीआईपीआर पर नियंत्रण कर लिया और ईस्ट इंडियन रेलवे (ईआईआर) की जुबुलपुर शाखा को जीआईपीआर में स्थानांतरित कर दिया। 19वीं सदी के मध्य में, रेलवे ब्रिटेन में सबसे अधिक लाभदायक निवेशों में से एक था। इससे प्रेरित होकर, बंबई के प्रमुख व्यापारियों और फाइनेंसरों ने अप्रैल 1845 में 'अंतर्देशीय रेलवे एसोसिएशन (Inland Railway Association)' का गठन किया।
रेलवे का उद्देश्य परिवहन और संचार में सुधार करना था, जिससे शहर को अधिक संसाधन प्राप्त करने और अपने आसपास के क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त करने की अनुमति मिल सके। रेलवे और शिपिंग शहर की दो भुजाओं की तरह थे, एक भीतरी इलाकों तक पहुंचती थी और दूसरी बॉम्बे को ब्रिटेन और बाकी दुनिया से जोड़ती थी।
भारत की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को चलनी शुरू हुई थी। यह बॉम्बे वीटी (विक्टोरिया टर्मिनस, जिसे अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के नाम से जाना जाता है ) और कुर्ला हार्बर के बीच चलती थी। यह भी पूर्व ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे प्रणाली का हिस्सा थी। रेलवे लाइन 1500 वोल्ट डीसी (डायरेक्ट करंट) विद्युत प्रणाली द्वारा संचालित थी।
इलेक्ट्रिक ट्रेनों का उपयोग बाद में मध्य रेलवे के अन्य हिस्सों में भी विस्तारित किया गया। इसमें पूर्वोत्तर लाइन पर इगतपुरी और दक्षिणपूर्व लाइन पर पुणे तक के मार्ग शामिल थे। पश्चिमी घाट के चुनौतीपूर्ण इलाके में विद्युत कर्षण (ट्रेनों के लिए विद्युत शक्ति) के उपयोग की आवश्यकता पड़ी। 5 जनवरी, 1928 तक, कोलाबा और बोरीविली के बीच पश्चिमी रेलवे के उपनगरीय खंड पर 1500 वोल्ट डीसी इलेक्ट्रिक ट्रेनें भी चल रही थीं। 15 नवंबर, 1931 को इसे दक्षिणी रेलवे के मद्रास बीच और तांबरम के बीच के मार्ग तक बढ़ा दिया गया। इसलिए, भारत को आज़ादी मिलने से पहले हमारे पास डीसी विद्युतीकरण द्वारा संचालित 388 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइनें थीं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/48ev2cc9
https://tinyurl.com/bdzbrvpn
https://tinyurl.com/bdht88yt
चित्र संदर्भ
1. ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे और उसके लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के कल्याण जंक्शन स्टेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के बॉम्बे टर्मिनस पर पड़ी कपास की गांठों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. लक्षद्वीप में पहली ट्रेन को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
6. वादी बंदर वायाडक्ट में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला इलेक्ट्रिक ट्रेन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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