Post Viewership from Post Date to 03-Sep-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2140 552 2692

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

रामपुर में रहकर आप भी सीख सकते हैं, आत्मरक्षा की प्राचीन भारतीय मार्शल आर्ट कलाओं को!

लखनऊ

 03-08-2023 10:02 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

आधुनिक समय में बच्चों और युवाओं के अधिकांश खेल और गतिविधियां इनडोर (Indoor) यानी 12x12 फीट के कमरों में मोबाइल और कंप्यूटर तक ही सीमित रह गई हैं। हालांकि यदि आप भारतीय संस्कृति का इतिहास देखें तो पाएंगे कि प्राचीन समय में हमारे अधिकांश खेल या मार्शल आर्ट (Martial Arts) शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को ध्यान में रखकर बनाए और खेले जाते थे। अच्छी खबर यह है कि हमारे रामपुर में कुछ ऐसी अकादमियाँ आज भी अस्तित्व में है, जहां आप "मार्शल आर्ट" के गुर सीख सकते हैं। मार्शल आर्ट या युद्ध कलाएं विधिबद्ध अभ्यास की प्रणाली और बचाव के लिए प्रशिक्षण की परंपराएं होती हैं। भारत में विभिन्न प्रकार की मार्शल आर्ट कलाओं की उत्पत्ति प्राचीन युद्ध कौशल से हुई है। यहाँ पर मार्शल आर्ट की जड़ें बहुत गहरी और पुरानी मानी जाती हैं। प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता से भी लोगों के बीच भाले से लड़े गए द्वंद्वयुद्ध के प्रमाण मिलते हैं। 1700 ईसा पूर्व और 1100 ईसा पूर्व के बीच लिखे गए वेदों में भी युद्ध कलाओं का उल्लेख मिलता है। महाभारत महाकाव्य में शेरों को हराने के लिए खंजर का उपयोग करने वाले बहादुर सेनानियों की कहानियां वर्णित हैं। अर्जुन और कर्ण जैसे योद्धाओं के बीच गहन युद्धों का वर्णन भी मिलता है, जहां उन्होंने युद्ध में धनुष, तलवार और भालों आदि अस्त्र-शस्त्रों का इस्तेमाल किया था। मल्ल-युद्ध या युद्ध-कुश्ती को भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पुरानी निहत्थे युद्ध कलाओं में से एक माना जाता है। मल्ल-युद्ध में चार श्रेणियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का नाम हिंदू देवताओं और पौराणिक सेनानियों के नाम पर रखा गया है।
१. हनुमंती: यह शैली तकनीकी श्रेष्ठता पर ध्यान केंद्रित करती है।
२. जांबुवंती: जांबुवंती पकड़ पर ध्यान केंद्रित करती है।
३. जरासंधी: जरासंधी का लक्ष्य अंगों और जोड़ों को तोड़ना होता है।
४. भीमसेनी: भीमसेनी सरासर ताकत पर जोर देती है।
शौनक द्वारा लिखित रचना में चरणव्यूह में चार उपवेदों (व्यावहारिक वेदों) का उल्लेख मिलता है, जिनमें तीरंदाजी (धनुर्वेद) और सैन्य विज्ञान (शस्त्रशास्त्र) भी शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि कुछ भारतीय युद्ध शैलियाँ योग, नृत्य और प्रदर्शन कलाओं से भी निकटता से जुड़ी हुई हैं। दक्षिणी भारत में संगम साहित्य में मार्शल आर्ट के लिखित अभिलेख मिलते हैं, जो लगभग दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी तक लिखा गया था। इन सभी प्रमाणों से पता चलता है कि प्राचीन काल से ही भारत अपनी मार्शल आर्ट कलाओं के लिए काफी प्रसिद्ध है। इन कलाओं में केरल के कलारीपयट्टू और तमिलनाडु के सिलंबम जैसे प्रसिद्ध मार्शल आर्ट भी शामिल हैं, साथ ही इनमें महाराष्ट्र के मर्दानी खेल और हिमाचल प्रदेश के थोडा जैसे कम प्रसिद्ध मार्शल आर्ट भी शामिल हैं। भारतीय इतिहास की कुछ प्रमुख युद्ध कलाओं का वर्णन निम्नवत किया गया है:
१. कलारीपयट्टू: कलारीपयट्टू को विश्व की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट माना जाता है और इसे अक्सर "सभी युद्ध कलाओं की जननी" भी कहा जाता है। केरल के विभिन्न हिस्सों में इसकी विभिन्न शैलियाँ प्रचलित हैं।
२. सिलंबम: सिलंबम तमिलनाडु की एक प्राचीन हथियार-आधारित युद्ध शैली है, और कई दक्षिण भारतीय राज्यों में व्यापक रूप से प्रचलित है।
३. गटका: पंजाब में छड़ी लड़ाई, तलवार और लकड़ी की छड़ी से लड़ने की शैली है। यह शैली अब सिख त्योहारों के दौरान एक बहुत लोकप्रिय खेल बन गई है।
४. मर्दानी: मर्दानी खेल महाराष्ट्र की एक प्राचीन मार्शल आर्ट है, जिसे विशेष रूप से दो तलवारों के उपयोग के लिए जाना जाता है।
५. काथी सामू: आंध्र प्रदेश की काथी सामू, एक और प्राचीन मार्शल आर्ट है। काथी सामू में तलवार से लड़ने की तकनीक में विभिन्न नामों और शैलियों के साथ विभिन्न प्रकार की तलवारों का उपयोग किया जाता है।
६. ह्येन लैंग्लॉन (Hien Langlon): ह्येन लैंग्लॉन, मणिपुर की एक मिश्रित मार्शल आर्ट है, जिसमें सशस्त्र और निहत्थे लड़ाई के दो घटक होते हैं। ह्येन लैंग्लॉन मार्शल आर्ट के प्राथमिक हथियार ढाल और कुल्हाड़ी के साथ-साथ भाला और तलवार होते हैं।
७. लाठी खेला-: लाठी खेला-पश्चिम बंगाल की एक लोकप्रिय छड़ी-लड़ाई मार्शल आर्ट या युद्ध कला है, जिसका प्रदर्शन अक्सर त्योहारों और अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है।
७. स्के (Sqay): स्के कश्मीर में तलवार से लड़ा जाने वाला मार्शल आर्ट का सबसे लोकप्रिय रूप है। यह कश्मीर की सबसे प्राचीन मार्शल आर्ट है, जो आज 27 भारतीय राज्यों के साथ-साथ भूटान और नेपाल में भी प्रचलित और सिखाई जाती है।
८. थोडा: हिमाचल प्रदेश का थोडा, एक कम प्रसिद्ध मार्शल आर्ट माना जाता है, जिसमें नृत्य तत्वों के साथ धनुष और तीर का उपयोग शामिल है।
९. परी खंडा (Pari Khanda): तलवार प्रशिक्षण की परी खंडा शैली का अभ्यास ओडिशा और बिहार के कई हिस्सों में किया जाता था, साथ ही यह विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य का पहला भाग भी था।
१०. मुस्टी युद्ध (Musti Yuddha): मुस्टी युद्ध का उपयोग मुक्केबाजी कला के लिए एक सामान्य शब्द के रूप में किया जाता है। यह विशेष रूप से वाराणसी की मुकी मुक्केबाजी को संदर्भित करता है। कई लोग अलग-अलग कारणों से युद्ध कौशल सीखते हैं - कुछ लोग स्वस्थ्य और फिट रहना चाहते हैं, जबकि अन्य लोग कठिन परिस्थितियों में खुद का बचाव कैसे किया जाए, यह जानने के लिए युद्ध कौशल सीखते हैं। लोग अक्सर पूछते हैं कि आत्मरक्षा के लिए कौन सी युद्ध कला सर्वोत्तम होती है, लेकिन इसका कोई एक उत्तर नहीं है।
हालाँकि, लेख में आगे दिए गए मार्शल आर्ट विकल्प आपकी आत्मरक्षा में मदद कर सकते हैं:
१. ताइक्वांडो (Taekwondo): ताइक्वांडो को आत्मरक्षा के लिए एक प्रभावी मार्शल आर्ट माना जाता है। यह आपको हमलावर के आकार और गति का उपयोग, उन्ही के खिलाफ करना सिखाता है। इस कारण यह छोटे कद के लोगों के लिए बहुत प्रभावी हो जाता है। ताइक्वांडो हमलावरों से बचने के लिए गति और शक्तिशाली किक पर ध्यान केंद्रित करता है।
२. कराटे: कराटे, विशेष रूप से आत्मरक्षा के लिए उपयोगी माना जाता है।
३. जूडो: आत्मरक्षा के लिए जूडो एक और उत्कृष्ट विकल्प माना जाता है, जो प्रतिद्वंद्वी को नियंत्रित करने के लिए जूझने की तकनीक पर जोर देता है।
४. मय थाई (Muay Thai): मय थाई, जिसे आठ अंगों की कला के रूप में जाना जाता है, में युद्ध में घुटनों, कोहनी, हाथों और पैरों का उपयोग किया जाता है। यह आत्मरक्षा के लिए एक प्रभावी किकबॉक्सिंग शैली (Kickboxing Style) मानी जाती है।
५. ब्राजीलियाई जिउ जित्सु (Brazilian Jiu Jitsu): यह आत्मरक्षा के लिए एक लोकप्रिय विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह ज़मीनी लड़ाई तकनीकों और कौशल पर केंद्रित होता है। हमारे सामने अगला सबसे जरूरी प्रश्न यह आता है कि मार्शल आर्ट की इन शानदार शैलियों को हम कहां से सीख सकते हैं?
इसीलिए लेख में आगे आपके लिए रामपुर के शीर्ष मार्शल आर्ट प्रशिक्षण केंद्रों की सूची दी गई हैं, जिन्हें रेटिंग (Rating) के आधार पर क्रमबद्ध किया गया हैं:
1. महालक्ष्मी मार्शल आर्ट अकादमी (Mahalaxmi Martial Arts Academy)
स्थान: बाटा शोरूम के सामने, रामपुर कचहरी के पास
रेटिंग: 5.0 (142 रेटिंग)
सेवाएँ: मार्शल आर्ट क्लब, मार्शल आर्ट प्रशिक्षण केंद्र
2. वैष्णो मार्शल आर्ट फाइट क्लब (Vaishno Martial Arts Fight Club)
स्थान: पानी की टंकी के पास, ज्वाला नगर, रामपुर
रेटिंग: 4.5 (28 रेटिंग)
सेवाएँ: मार्शल आर्ट प्रशिक्षण केंद्र, कराटे क्लब
3. ग्रीन फील्ड सेल्फ डिफेंस अकादमी (Green Field Self Defense Academy)
स्थान: एसबीआई एडीबी शाखा रोड (SBI ADB Branch Road), रामपुर चौक के पास
रेटिंग: 5.0 (2 रेटिंग)
सेवाएँ: नृत्य कक्षाएं, फिटनेस संस्थान (Fitness Institute)
इन सभी संस्थानों में जाकर रामपुर वासी अपनी आत्मरक्षा के हुनर को निखार सकते हैं।


संदर्भ
https://tinyurl.com/4mfx53jy
https://tinyurl.com/5cn493vz
https://tinyurl.com/4yse248t
https://tinyurl.com/3x53df3v

चित्र संदर्भ
1. कलारीपयट्टू को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. वज्र-मुष्टि धारण करने वाले भारतीय पहलवानों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. 100 कुश्ती, विष्णु मंदिर, प्रम्बानन, मध्य जावा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय मार्शल आर्ट को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
5. कलारीपयट्टू को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. ताइक्वांडो को दर्शाता चित्रण (GetArchive)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id