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सर्दियों में विशेष रूप से लाभप्रद है अदरक की चाय और हमारे शहर रामपुर में बनने वाला अदरक का हलवा

लखनऊ

 16-01-2023 10:49 AM
साग-सब्जियाँ

भारतीय घरों में अदरक का इस्तेमाल आमतौर पर पूरे साल किया जाता है। यह न केवल किसी व्यंजन के स्वाद और सुगंध को बढ़ाता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य के लिए भी कई लाभ प्रदान करता है। अपने दैनिक आहार में अदरक को शामिल करने का एक सबसे अच्छा तरीका है इसे अपनी चाय में शामिल करना, खासकर सर्दियों के मौसम के दौरान। शायद सर्दियों के मौसम में सुबह- सुबह, हर कोई ही अपने दिन की शुरुआत एक कप गर्म अदरक की चाय के साथ करना चाहता है।
आपको तरोताजा महसूस कराने के अलावा, अदरक की चाय आपको सर्दियों के साथ आने वाली बीमारियों को दूर रखने में भी मदद कर सकती है। अदरक हमा रे रोग प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है, जिससे आप सर्दी-खांसी जैसी आम समस्याओं से बचे रहते हैं और शरीर से विषैले पदार्थ हटाने में भी मदद करता है। साथ ही अदरक को पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है। यह कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन, फोलिक एसिड (Folic acid), मैंगनीज (Manganese) और कोलीन (choline) का अच्छा स्रोत है। तो आइए जानते है सर्दियों में अदरक के स्वास्थ्य लाभ:
१.श्वसन संबंधी समस्याओं में सहायता
अदरक की चाय सर्दी के कारण बंद होने वाली नाक से राहत देने में हमारी मदद कर सकती है। एक कप अदरक की चाय मौसमी एलर्जी (Allergy) के लक्षणों का स्वाभाविक रूप से इलाज करने में भी अद्भुत काम करता है।
२.मौसमी बीमारियों से बचाव
खांसी और जुकाम, कफ बनना और खराश सर्दियों के मौसम की सबसे आम बीमारियों में से कुछ हैं। अदरक की चाय आपको इन मौसमी बीमारियों से दूर रखने में मदद कर सकती है। इसमें एंटी-बायोटिक (Anti–Biotic) गुण होते हैं जो आपके रोग प्रतिरक्षा तंत्र को संक्रमणों से बचाते हैं।
३.तनाव को कम करना
अदरक की चाय में हमारे मन को शांत करने वाले गुण होते हैं जो तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसकी तेज सुगंध और ताज़ा स्वाद भी आपको थकान पर काबू पाने में मदद कर सकता है।
४. महिलाओं को मासिक धर्म के दर्द से राहत दिलाना
अगर आप मासिक धर्म से परेशान है तो, अदरक की चाय में एक तौलिया भिगोएं और इसे अपने पेट के निचले हिस्से पर रखें। और, शहद के साथ एक कप अदरक की चाय भी पियें। यह दर्द से राहत देता है और मांसपेशियों को आराम देता है। ५.रक्त परिसंचरण में सुधार करना सर्दियों के मौसम में शरीर में गतिविधि कम होने की वजह से शरीर में रक्त परिसंचरण कमजोर होने लगता है, जिससे कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। अदरक में मैग्नीशियम (magnesium), क्रोमियम (chromium) और जिंक (zinc) होता है, जो रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और सूजन एवं सिरदर्द का इलाज करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त अदरक का पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा के विभिन्न रूपों में उपयोग का एक बहुत लंबा इतिहास रहा है। अदरक का उपयोग पाचन में सहायता करने, मतली (Nausea) को कम करने और फ्लू और सामान्य सर्दी से लड़ने में मदद करने के लिए किया जाता है ।
अदरक की अनूठी सुगंध और स्वाद इसके प्राकृतिक तेलों से आता है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण जिंजरोल (Gingerol) है। जिंजरोल अदरक में मुख्य जीवित वस्तुओं पर प्रभाव करने वाला. यौगिक (Bioactive Compound) है। यह अदरक के बहुत से औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार है। शोध के अनुसार, जिंजरोल में शक्तिशाली सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। इसके अतिरिक्त मतली के खिलाफ अदरक अत्यधिक प्रभावी प्रतीत होता है । यह कुछ विशेष प्रकार की सर्जरी से गुजर रहे लोगों के लिए मतली और उल्टी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। अदरक निरंतर निरीक्षण में रहते हुए कीमोथेरेपी (Chemotherapy) से संबंधित मतली में भी मदद कर सकता है ।
एक अध्ययन के अनुसार, अदरक वजन घटाने में भी अहम भूमिका निभाता है।साथ ही यह शरीर के जोड़ों के दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों से भी राहत दिलाता है। एक समीक्षा में पाया गया कि जिन लोगों ने अपने इलाज के लिए अदरक का इस्तेमाल किया, उनमें दर्द और विकलांगता में महत्वपूर्ण कमी देखी गई। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि अदरक पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) के लक्षणों को कम करने में प्रभावी है, विशेष रूप से घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस। अदरक को टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और हृदय रोग के विभिन्न जोखिम कारकों में सुधार करने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
अदरक को ताजा, सुखाकर, पाउडर बनाकर या तेल या रस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह व्यंजनों में एक बहुत ही सामान्य सामग्री है। इसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (Processed foods) और सौंदर्य प्रसाधनों में भी उपयोग किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि हमारे शहर रामपुर के पाककला इतिहास में अदरक का और भी खास स्थान है। रामपुर के पाककला इतिहास में उन्नीसवीं शताब्दी में, रामपुरी खानसामाओं के हाथों मुगल व्यंजन के रूप में अदरक का हलवा विकसित हुआ था। हलवे को एक अलग प्रक्रिया और अन्य सामग्रियों के साथ एक उत्तम मिठाई के रूप में विकसित किया गया था। किंतु आज, संभवतः इसे बनाने में लगने वाले समय और प्रयास के कारण यह शायद ही कभी रामपुर के घरों में पकाया जाता है। हालांकि , अधिकांश रामपुरी लोग आज ‘अमानत भाई की दुकान’ से अदरक हलवा खरीदते हैं, जो अपने सोहन हलवा के लिए प्रसिद्ध है।
अमानत खान ने 1930 के दशक में रामपुर किले के बाहर एक दुकान स्थापित की, जल्द ही वह सोहन हलवा, बूंदी के लड्डू और अन्य मिठाइयों की नवाब सैयद रज़ा अली खान (शासनकाल 1930-1949), उनके बेटे नवाब सैयद मुराताज़ा अली खान और शाही परिवार के अन्य सदस्यों को आपूर्ति करने के लिए जाने जाने लगे । दुकान की देखभाल अब अमानत भाई के पोते, हारिस रज़ा द्वारा की जाती है, जिन्हें अपने पिता से व्यवसाय और व्यंजन विरासत में मिले हैं।
अब हारिस, समनाक (गेहूं के बीज का आटा) और सूजी को नाप-तोल कर दूध में पकाते है; मिश्रण के कत्थई रंग का होने पर वह मिश्रण में अदरक की लेई (पेस्ट) डालते है। अदरक के हलवे की यह विधि अमानत भाई के अदरक हलवे की विधि से बिल्कुल अलग है। समनाक ‘रामपुरी सोहन हलवे’ का आधार है, लेकिन परंपरागत अदरक के हलवे में कभी भी इसका उपयोग नहीं किया जाता है। अमानत भाई का अदरक हलवा, जो लाजवाब है उसमे हल्का सा खट्टापन होता है। वह सोहन हलवा का ही एक प्रकार है जिसे लोकप्रिय स्वाद के लिए अनुकूलित किया गया है।
वही दूसरी ओर, अन्य लोग अदरक की लेई को घी में कुछ मिनट तक भून लेते है और फिर उसे दूध में पकाते है। तलने के बाद अदरक का स्वाद थोड़ा हल्का हो जाता है। कई बार अदरक की लेई बनाने से पहले उसे दुधया पानी में उबाला भी जाता है ताकि उसका स्वाद हल्का हो जाए। कुछ अन्य लोग हलवे में चीनी के बजाय गुड़ और शहद मिलाते हैं। इससे हमे पता चलता है कि कैसे इस हलवे को बनाने में अलग- अलग विधियों का इस्तेमाल होता है। डॉ. तराना हुसैन खान रामपुर में स्थित एक लेखक और खाद्य इतिहासकार हैं। उन्होंने जब रामपुर के विशेष अदरक के हलवे का इतिहास तथा उसे बनाने की प्राचीन विधि के बारे में अध्ययन किया, तो उन्होंने पाया कि कुछ प्राचीन पाककला की किताबो में अदरक के हलवे का जिक्र है तो कुछ में नहीं। ‘रिसाला दार तर्कीब ताम और ख़्वान–ए–नेमत’ (Risala dar tarkeeb ta’am and Khwaan e Neymat) एवं ‘अलवान–ए–नेमत’ (Alwaan e Neymat) जो की मुंशी बुलाकी दास देहलवी द्वारा लिखित एक किताब है, में अदरक के हलवे के समान ही एक व्यंजन की विधि है। जबकि ‘शाही दस्तरख्वान’ (Shahi Dastarkhwaan) जिसके लेखक लताफत अली खान रामपुरी है, में अदरक के हलवे की एक विस्तृत विधि का वर्णन किया गया है। तो इस प्रकार हमें पता चलता है कि हम सर्दियों में अदरक का उपयोग कैसे कर सकते है। हमने यह भी जाना कि अदरक के हलवे का रामपुर में क्या इतिहास रहा है।

संदर्भ–
https://bit.ly/3i9XucN
https://bit.ly/3vGpJmw
shorturl.at/fiAEI

चित्र संदर्भ
1. अदरक के हलवे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अदरक को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
3. पीसी हुई अदरक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. शहद और अदरक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अदरक की चाय को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)



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