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सदियों पुरानी है कंप्यूटर द्वारा उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोग्राफी

लखनऊ

 04-01-2023 10:45 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

आपने फिल्मों में अक्सर देखा होगा कि जब किसी जासूस या आतंकवादी को अपने आकाओं तक कोई बात पहुचानी होती है, तो वह फ़ोन पर "जलेबी जल गई" या “दुल्हन की बिदाई का वक़्त बदलना है” जैसी अजीब गुप्त भाषा (Code Word) में बातें करते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब आप अपने किसी रिश्तेदार या मित्र को संदेश भेजने के लिए मोबाइल या कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं, तो आप दिन में कई बार जाने-अनजाने में कोड वर्ड में ही बाते करते हैं, इन बातों को तकनीक की दुनिया में कूट लेखन विधि अर्थात क्रिप्टोग्राफी (Cryptography)" कहा जाता है।
प्रौद्योगिकी की दुनिया में क्रिप्टोग्राफी, ऑनलाइन संचार करने वाले दो पक्षों के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित करने वाली तकनीक मानी जाती है। ऐसा कूटलेखन अर्थात एन्क्रिप्शन (Encryption) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से संभव हो पाता है, इसमें सामान्य, जानकारी ( Plain text) को कूटलिखित पाठयांश (Cipher Text) में परिवर्तित करने के लिए गणितीय एल्गोरिदम (Mathematical Algorithms) का उपयोग शामिल है। क्रिप्टोग्राफी का उपयोग अक्सर डिजिटल संसार में संवेदनशील डेटा, जैसे पासवर्ड और वित्तीय जानकारी को विच्छेदकों (Hackers) या अन्य अनधिकृत तत्वों की पहुंच से बचाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक ई-कॉमर्स वेबसाइट (E-Commerce Website) पर खरीदारी करने के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय, क्रेडिट कार्ड की जानकारी के सीधे शब्दों (Plain Text) को ब्राउज़र (Browser) के कोड द्वारा कूटलिखित पाठयांश (cipher text) में परिवर्तित किया जाता है। यह कूटलिखित पाठयांश अव्यवस्थित और अपठनीय पाठ के रूप में प्रकट होता है। हालांकि, एक बार जब कूटलिखित पाठयांश अपने इच्छित प्राप्तकर्ता (Intended Recipient) तक पहुँच जाता है, तो सॉफ्टवेयर (Software) द्वारा इसे वापस सीधे शब्दों (Plain Text) अर्थात पढ़े जा सकने वाले शब्दों में डिक्रिप्ट कर दिया जाता है, ताकि खरीदारी पूरी हो सके।
यद्यपि विज्ञान और कला दोनों के रूप में क्रिप्टोग्राफी का व्यवस्थित अध्ययन लगभग 100 साल पहले ही शुरू हुआ है, किंतु गुप्त संदेश बनाने की प्रथा अर्थात क्रिप्टोग्राफी सदियों से इस्तेमाल की जाती रही है। क्रिप्टोग्राफी का सबसे पुराना ज्ञात उपयोग मिस्र में 1900 ईसा पूर्व के एक रईस खानुमहोटेप II (Khnumhotep II )के मकबरे के मुख्य कक्ष केशिलालेख में देखा जा सकता है, जहां संदेश को छिपाने की बजाए अधिक प्रतिष्ठित दिखाने के उद्देश्य से कुछ चित्रलिपि प्रतीकों को दूसरों के साथ बदल दिया गया था। मूल पाठ के इस परिवर्तन को गुप्त लेखन नहीं माना जाता है, लेकिन यह इस प्रकार के परिवर्तन का सबसे पुराना ज्ञात उदाहरण है। क्रिप्टोग्राफ़ी के साक्ष्य अन्य प्रारंभिक सभ्यताओं में भी पाए गए हैं, जैसे कि “अर्थशास्त्र", जोकि कौटिल्य द्वारा लिखित राजकीय कला पर एक उत्कृष्ट कार्य है, में जासूसी में "गुप्त लेखन" के उपयोग का उल्लेख है। जूलियस सीज़र (Julius Caesar) को लगभग 100 ईसा पूर्व के युद्धों के दौरान अपने जनरलों को गुप्त संदेश भेजने के लिए सीज़र सिफर (Caesar Cipher) नामक कूट लेखन के एक रूप का उपयोग करने के लिए जाना जाता है। इस कूट लेखन में सामान्य संदेश के प्रत्येक वर्ण को कूटलिखित पाठयांश (एन्क्रिप्टेड संदेश) बनाने के लिए दूसरे वर्ण के साथ बदलना शामिल है। सीज़र सिफर में, वर्णों को तीन स्थानों से स्थानांतरित किया जाता है, इसलिए 'ए' 'डी' बन जाता है, और इसी तरह 'बी' 'ई' बन जाता है। हालाँकि, इस प्रणाली की जानकारी होने के बाद इस प्रकार के सिफर को आसानी से तोड़ा जा सकता है, क्योंकि यह कूटलेखन कुंजी के बजाय प्रणाली की गोपनीयता पर निर्भर करता है।
16वीं शताब्दी के दौरान, विगेनेरे (Vigenère) ने एक सिफर (कूटलेखन प्रणाली) डिजाइन किया जिसके बारे में यह माना जाता है कि यह पहला सिफर या कूटलेखन था जिसमें एक कूटलेखन कुंजी का उपयोग किया गया था।
हार्वर्ड आर्कियोलॉजी रिसर्च प्रोजेक्ट (Harvard Archeology Research Project) द्वारा मानव इतिहास में कूटलेखन का सबसे पहला साक्ष्य 3300 ईसा पूर्व हड़प्पा में खोजे गए एक ठीकरे (Tablet) पर दर्ज किया गया है, जिसमें एक चित्रलिपि अंकित है। डेविड कान (David Kahn's) की 1967 की किताब में क्रिप्टोग्राफी के इतिहास पर गहन चर्चा की गई है, जिसमें कामसूत्र में प्राचीन भारत में क्रिप्टोग्राफिक विधियों के उपयोग का संदर्भ दिया गया है। हालांकि कामसूत्र इन विधियों पर विशिष्ट विवरण प्रदान नहीं करता है, बाद में कामसूत्र पर अपनी ‘जयमंगला टिप्पणी’ में यशोधरा जैसी टीकाकारों ने ‘कौटिल्य’ और ‘मूलदेवीय’ के रूप में ज्ञात विधियों का वर्णन किया है, जो ध्वन्यात्मक संबंधों पर आधारित प्रतिस्थापन कूटलेखन हैं। इनमें गुप्त संचार के लिए अन्य तरीकों जैसे गुधायोज्य, गुधापद और गुधवर्ण के संदर्भ भी मिलते हैं। आधुनिक लेखकों ने इन कूटलेखों को कामसूत्र कूटलेखन या वात्स्यायन कूटलेखन के रूप में भी संदर्भित किया है। 19वीं सदी की शुरुआत में जब सब कुछ विद्युतीय (Electric) हो गया, तब हेबर्न (Hebern) ने एक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कोंट्रैप्शन (Electro-Mechanical Contraption) तैयार किया जिसे हेबर्न रोटर मशीन (Hebern Rotor Machine) कहा जाता था। यह एक एकल रोटर का उपयोग करता है, जिसमें गुप्त कुंजी घूर्णन डिस्क में अंतर्निहित होती थी। प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जर्मन इंजीनियर आर्थर शरबियस (Arthur Scherbius) द्वारा ‘एनिग्मा मशीन’ (Enigma Machine) का आविष्कार किया गया था, और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना द्वारा इसका अत्यधिक उपयोग किया गया था। एनिग्मा मशीन में 3 या 4 या इससे भी अधिक रोटर (Rotar) का उपयोग किया गया था। जैसे ही आप इस मशीन के की- बोर्ड (Key- Board) पर टाइप करते हैं, तो रोटर अलग-अलग दरों पर घूमते हैं और कूटलेखन के उपयुक्त अक्षरों को प्रदर्शित करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध तक, क्रिप्टोग्राफी का उपयोग आमतौर पर गुप्त सैन्य जानकारी को छिपाने के लिए किया जाता था। हालांकि, क्रिप्टोग्राफी ने युद्ध के बाद व्यावसायिक ध्यान आकर्षित किया, जिसमें व्यवसाय प्रतिस्पर्धियों से अपने डेटा को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे थे। 1970 के दशक में, द इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉर्पोरेशन(International Business Machines (IBM) ने लूसिफ़ेर सिफर (Lucifer Cipher) बनाने के लिए एक "क्रिप्टो समूह" का गठन किया, जिसे राष्ट्र मानक ब्यूरो द्वारा स्वीकार किया गया और इस प्रकार यह एक डेटा एन्क्रिप्शन स्टैंडर्ड (Data Encryption Standard (DES) बन गया। हालांकि, अंततः DES भी इसकी एन्क्रिप्शन कुंजी के छोटे आकार के कारण टूट गया था। जिसके बाद 1990 के दशक के अंत में, उन्नत एन्क्रिप्शन स्टैंडर्ड (Advanced Encryption Standard (AES) को एक नए मानक के रूप में विकसित और स्वीकार कर लिया गया।
क्रिप्टोग्राफ़ी एक बहुत ही युवा विज्ञान है। यद्यपि मनुष्यों के पास हजारों वर्षों से क्रिप्टोग्राफ़ी के अल्पविकसित रूप ही रहे हैं। एक विज्ञान के रूप में क्रिप्टोलॉजी का व्यवस्थित अध्ययन लगभग सौ साल पहले ही शुरू हुआ था। कंप्यूटरों के आगमन ने क्रिप्टोग्राफी के परिमाण के कई क्रमों को पहले की तुलना में अधिक जटिल बना दिया।

संदर्भ
https://red.ht/3Gaa7wc
https://bit.ly/3Gxl8cC

चित्र संदर्भ
1. 16वीं सदी की फ्रेंच साइफर मशीन एक किताब में क्रिप्टोग्राफी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. क्रिप्टोग्राफी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. क्रिप्टो सिस्टम बेयर। स्विस सेना मुख्यालय के क्रिप्टोग्राफी संग्रह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आर्यभट द्वारा अपने ग्रंथ आर्यभटीय में क्रिप्टोग्राफी का एक बहुत ही अनूठा तरीका है। बड़ी-बड़ी संख्याओं को बड़ी सुन्दरता से संपीडित करने के लिए शब्दों का प्रयोग किया जाता है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. क्रिप्टो-पैन-ट्री-स्ट्रक्चर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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