विभिन्न देशों में लोकप्रियता हासिल कर रही है कबूतर दौड़

लखनऊ

 08-08-2020 06:54 PM
पंछीयाँ

आपने ऐसे कई खेलों के नाम सुने होंगे, जिसमें मनुष्य नहीं बल्कि अन्य जीव-जन्तुओं द्वारा प्रतिभाग किया जाता है। कबूतर दौड़ या रेसिंग (Racing) भी एक ऐसा ही खेल है, जिसमें हजारों की संख्या में कबूतर भिन्न-भिन्न दूरियों की दौड़ में शामिल होते हैं। इस खेल में कबूतर पालक अपने पालतू कबूतरों को विभिन्न दूरी की दौड के लिए तैयार करते हैं। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए लोगों द्वारा कबूतरों का पालन और उनका प्रशिक्षण भी किया जाता है। 'कबूतर पालन' घरेलू कबूतरों को पालने की एक अनूठी कला और विज्ञान है। दुनिया के लगभग हर हिस्से में लोगों ने लगभग 10,000 वर्षों तक कबूतर पालने का अभ्यास किया है। जो लोग कबूतरों की विभिन्न किस्मों को पालते हैं, उन्हें 'कबूतर पालक' के रूप में जाना जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले 50 वर्षों के भीतर कबूतर पालन को अत्यधिक लोकप्रियता हासिल हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में, घरेलू कबूतरों की तीन नस्लों को मान्यता प्राप्त हैं: पहली फ्लाइंग (Flying) या खेल किस्म, दूसरी फैंसी (Fancy) किस्म तथा तीसरी उपयोगी (Utility) किस्म। वर्तमान समय में फ्लाइंग या खेल किस्म की लोकप्रियता विभिन्न देशों में बढती जा रही है। इस किस्म को कबूतरों के हवाई प्रदर्शन और प्रजनन के लिए पाला जाता है। इन्हें कबूतर रेसिंग के खेल में भाग लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और युद्ध के समय संदेश भेजने के लिए उपयोग किया जाता है। कबूतर रेसिंग एक लोकप्रिय खेल है, जिसमें कबूतर पालक अपने कबूतरों को दौड प्रतियोगिताओं में शामिल करते हैं। आधुनिक कबूतर रेसिंग की शुरुआत 19वीं शताब्दी के मध्य में बेल्जियम में हुई थी। इस खेल को युग की कई नई तकनीकों द्वारा सहायता प्राप्त हुई तथा आज भी हो रही है। बड़े पैमाने पर उत्पादित, परिष्कृत समय घड़ियों का निर्माण खेल के लिए सटीक और सुरक्षित समय लेकर आया। कबूतर रेसिंग विशेष रूप से प्रशिक्षित रेसिंग कबूतरों को रिहा करने का खेल है, जो एक निश्चित दूरी तय करने के बाद वापस अपने घरों में लौट आते हैं। इसके लिए एक विशिष्ट नस्ल की आवश्यकता होती है। प्रतिस्पर्धी कबूतरों को लगभग 100 किलोमीटर से लेकर 1,000 किलोमीटर की दूरी के लिए प्रशिक्षित और अनुकूलित किया जाता है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जाता है कि कबूतर रेसिंग कम से कम 220 ईस्वी पूर्व से चली आ रही है।
कबूतर रेसिंग, यूरोप के कुछ हिस्सों में भी लोकप्रिय है। भारत में कबूतर रेसिंग पहली बार 1940 और 1970 के दशक में भारतीय शहरों कोलकाता और बेंगलुरु में दिखाई दी। चेन्नई में इस खेल को 1980 के दशक में लोकप्रियता मिली तथा धीरे-धीरे यह कबूतर रेसिंग के लिए भारत में एक केंद्र के रूप में उभरा। इंडियन रेसिंग पिजन एसोसिएशन (Indian Racing Pigeon Association-IRPA) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक आधिकारिक निकाय है, जो कबूतर दौड़ को आयोजित करता है। इसके अलावा कई अन्य छोटे समूह भी अपने अनुसार दौड़ का आयोजन करते हैं। पिछले एक दशक में भारत में खेल उद्देश्यों के लिए कबूतर पालन में लगातार वृद्धि हुई है तथा कबूतरों की संख्या हर साल 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच बढ़ रही है। जनवरी और अप्रैल के बीच कबूतर पालक 200 किलोमीटर से 1,400 किलोमीटर तक की अलग-अलग लंबाई की दौड़ में भाग लेने के लिए अपने कबूतरों को तैयार करते हैं। पशु अधिकारों के समूहों द्वारा पक्षियों के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त करने के बाद 1,850 किलोमीटर की पूर्व अधिकतम दौड़ लंबाई को हटा दिया गया था। पहले केवल श्रमिक वर्ग ही शौक के रूप में कबूतर पालन और इस दौड प्रतियोगिता में रूचि लेते थे किंतु अब डॉक्टर, वकील, व्यापारी, इंजीनियर और कानूनविद जैसे लोग भी इसमें शामिल हो रहे हैं। रामपुर का ऊंची उड़ान भरने वाला कबूतर समूह, भारत के सभी कबूतर उडान प्रतियोगिताओं की मेजबानी करता है। लेकिन वर्तमान समय में केवल बहुत कम जानकारी इस समूह के बारे में उपलब्ध है।
कबूतर रेसिंग खेल प्रेमियों के सामने प्रमुख चुनौतियों में से एक चुनौती खेल को औपचारिक रूप देने के लिए सरकार की अनिच्छा है। ऐसे कुछ क्षेत्र हैं जहां कबूतर रेसिंग को प्रतिबंधित भी किया गया है। इन क्षेत्र के लोगों का मानना है कि कबूतर पालकों और अन्य लोगों के लिए यह कमाई का साधन और मनोरंजन हो सकता है किंतु पक्षियों के लिए यह अत्यधिक कष्टदायी यातना है। मात्र तीन वर्ष की आयु में ही कबूतरों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया जाता है। उन्हें एक बहुत छोटे पिंजरे में कैद किया जाता है तथा प्रशिक्षित किये जाने वाले कबूतरों को पूरे दिन में केवल एक बार ही भोजन खिलाया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान कई शिकारी पक्षी कबूतरों पर हमला करते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है। प्रतिस्पर्धा के दौरान कई कबूतर जख्मी भी हो जाते हैं। इसके अलावा जब दौड़ में कबूतर हार जाते हैं तब उनके पालकों द्वारा कभी-कभार उन्हें मार दिया जाता है। इन सब बातों को देखते हुए इन क्षेत्रों में कबूतर दौड़ को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

संदर्भ:
https://en.wikipedia.org/wiki/Pigeon_keeping
https://www.dw.com/en/pigeon-racing-season-reaches-a-high-point-in-india/a-43233986
https://en.wikipedia.org/wiki/Pigeon_racing
https://bit.ly/2WnpZGa

चित्र सन्दर्भ:
पहले चित्र में एक कबूतर दौड़ की शुरू लाइन दिखाई गई है। (youtube)
दूसरा चित्र उड़ान में एक कबूतर का है। (wikimedia)
तीरसे चित्र में भारतीय कबूतरों की एक किस्म को दिखाया गया है। (youtube)


RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id