क्या है स्वादिष्ट और लोकप्रिय फल खजूर और उसके वृक्ष की कहानी ?

लखनऊ

 24-06-2020 11:55 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

इस पृथ्वी पर अनेकों प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं जो कि विभिन्न प्रकार के पर्यावरण में निवास करते हैं। इनमे से कई ऐसे भी वृक्ष होते हैं जो अत्यंत ही स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक फल भी प्रदान करते हैं। इन फलों का एक सांस्कृतिक महत्व भी हमारे समाज से जुड़ जाता है। अब जब फल वाले वृक्षों की बात कर रहे हैं तो एक ऐसा भी वृक्ष है जो कि अत्यंत ही स्वादिष्ट फल प्रदान करता है तथा यह वृक्ष अत्यंत ही रेगिस्तानी माहौल में ज्यादा फलता है, यह वृक्ष है खजूर का।
खजूर एक रेगिस्तानी ताड़ के वृक्ष का फल है तथा यह रेगिस्तान में फलने वाले कुछ एक गिने हुए वृक्षों की श्रंखला में आता है। खजूर के पेड़ को जीवन का वृक्ष कहा जाता है। यह वृक्ष अत्यंत ही लम्बा होता है अतः इसी से सम्बंधित एक कहावत भी भारत में प्रचलित है-

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।

इस कहावत में भी इस वृक्ष के लम्बाई के विषय में ही कहा गया है। यह वृक्ष अत्यंत लम्बे समय तक फल प्रदान करता है तथा यह अत्यंत सूखे और गर्म तापमान वाले माहौल में भी जिन्दा रह सकता है। खजूर को लेकर मिश्र (Egypt) में एक कहावत है की- खजूर भगवान द्वारा की गयी एक मात्र रचना है जो कि मनुष्य की तरह दिखती है। जैसा कि अन्य फल आदि के पेड़ हैं जो अधिक पुराने होने पर कम फल देने लगते हैं वहीँ खजूर इसके उलट कार्य करता है और यह जितना अधिक पुराना होता है उतना ही अधिक फल देने का कार्य करता है।

भारत में लोग खजूर को बड़े चाव से खाते हैं और यही कारण है कि भारत खजूर का सबसे बड़ा आयातक देश है और वहीँ निर्यात की बात करें तो इरान (Iran) खजूर का दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत में खजूर की खेती कच्छ जिला गुजरात में कुल 12493 हेक्टेयर (hectare) में की जाती है तथा यहाँ पर इसका उत्पाद कुल 85 हजार टन से अधिक का है। इसके अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती आदि की जाती है। वैसे बात की जाए तो यह पेड़ भारतीय मूल का वृक्ष है जो कि पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बर्मा, श्रीलंका और बांग्लादेश आदि से भी सम्बंधित है। भारत में इसके पेड़ से निकलने वाले रस से शराब, गुड आदि का निर्माण भी किया जाता है। इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम फिनिक्स डैक्टीलाइफेरा (Phoenix dactylifera) है। जब इस पेड़ के जन्मस्थान के बारे में बात की जाती है तब कई समस्याओं का उदय होता है क्यूंकि प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में इस पेड़ का साक्ष्य 4000 ईसा पूर्व का मिलता है परन्तु जब वानस्पतिक अध्ययन करते हैं तब इस वृक्ष का जन्मस्थान भारत सिद्ध होता है तथा भारत में पाए जाने वाले ताड़ को फिनिक्स सिलवेस्ट्रिस (Phoenix sylvestris) के नाम से जानते हैं।

कुछ वैज्ञानिक शोधों की माने तो अफ्रीका के ताड़ और भारत के ताड़ के संकरण से खजूर के पेड़ का जन्म हुआ है। इस पेड़ की लम्बाई करीब 4 से 15 मीटर (Meter) तक की होती है तथा इसकी गोलाई करीब 40 सेमी (CM) तक की होती है। इसकी पत्तियां करीब 1 से 3 मीटर तक की होती हैं तथा इस एक पेड़ में करीब 100 पत्ते होते हैं। इस पेड़ पर एक मुखी पुष्प लगते हैं। भारत में इस पेड़ के कृषि से एक अच्छा फायदा मिल सकता है तथा राजस्थान का वातावरण इसकी आवश्यकता के अनुरूप ही कार्य करता है। हांलाकि जोधपुर में इसकी खेती के लिए 18 खेतों का मूल्यांकन किया गया था जिसमे विभिन्न किश्मों के खजूरों का सफल प्रयोग किया गया हांलाकि भारत में इसके विकास और रोपड़ व्यवस्था में सीमितता मुख्य बाधक रही। वर्तमान समय में इसकी कृषि के लिए विभिन्न प्रयासों को किया जा रहा है ताकि धुल भरी आंधी आदि जो की इसकी गुणवत्ता को कम करते हैं से निजात पाया जा सके।

चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र - मुख्य चित्र में खजूर की खेती और खजूर के पेड़ पर एक किसान को दिखाया गया है। (youtube)
2. दूसरा चित्र - दूसरे चित्र में खजूर से लदा एक पेड़ दिखाया गया है। (Flickr)
3. तीसरा चित्र - तीसरे चित्र में खजूर के एक गुच्छे को दिखाया गया है जो एक पेड़ के ऊपर लगे हैं। (publicdomainpictures)
4. अंतिम चित्र - अंतिम चित्र में उच्चाई पर लगे हुए ताड़ी खजूर दिख रहे हैं। (Picseql)

सन्दर्भ :
1. http://www.journalijcar.org/issues/importance-date-palm-cultivation-india
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Phoenix_sylvestris
3. https://bit.ly/37YlCoU
4. http://www.fao.org/3/Y4360E/y4360e06.htm



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id