जौनपुर और ग्वालियर का घनिष्ठ सम्बन्ध

जौनपुर

 24-02-2018 10:32 AM
मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

जौनपुर अपने समय काल में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण राज्य के रूप में प्रतिष्ठित था तथा इसका अपने आसपास के कई राज्यों के साथ घना रिश्ता भी था। ग्वालियर राज्य भी शर्कियों के समय में एक प्रतिष्ठित स्थान बनाये हुये था जिसके कई उदाहरण वहाँ के किलों व इमारतों आदि को देख कर मिल जाता है। जौनपुर और ग्वालियर के रिश्ते पर मियाँ मुहम्मद सईद ने अपनी पुस्तक द शर्की सल्तनत ऑफ जौनपुर में विस्तार से लिखा है। जिसमें लोदियों व शर्कियों तथा इनके बीच के कई बिन्दुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। ग्वालियर व जौनपुर का गायन के क्षेत्र में भी एक अभिन्न रिश्ता है, जौनपुर से ही राग जौनपुरी ग्वालियर गयी और वहाँ पर उसका विकास मानसिंह के देख-रेख में हुआ।

ग्वालियर में लाधेड़ी नाम का 50 फुटी ऊँचा द्वार ग्वालियर और जौनपुर के रिश्ते की जीती-जागती निशानी है। इस गेट का निर्माण ग्वालियर के राजा कल्याणमल तोमर जो की राजा मान सिंह तोमर के पिता थे ने करवाया था। यह द्वार जौनपुर के हुसैन शाह शर्की के आवभगत के लिये बनवाया गया था तथा यहाँ पर हुशैन शाह शर्की रुके भी थे। ग्वालियर और जौनपुर के मध्य मैत्री अत्यन्त पुरानी थी और लोदियों के उदय के साथ कई बदलाव आने शुरू हो गये व साम्राज्य विस्थापन की लड़ाइयाँ भी होने लगी।

1451 में, लोदी वंश ने दिल्ली सल्तनत का अधिग्रहण किया। प्रारंभ में, बहलोल लोदी ने ग्वालियर के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखा, क्योंकि उनके लिए अधीन होना आसान नहीं था, और क्योंकि ग्वालियर ने दिल्ली और मालवा के बीच के महत्वपूर्ण राज्य के रूप में काम किया था। हालांकि, 1466 में, ग्वालियर शासक कीर्तिसिंह ने दिल्ली के खिलाफ युद्ध में जौनपुर शासक हुसैन शाह शर्की का समर्थन किया था। ग्वालियर शासक ने हुसैन शाह को केवल पुरुषों और धन नहीं दिए, बल्कि दिल्ली पर आक्रमण के दौरान उन्हें कल्पी में सहयोग भी दिया था। इस कृत्य ने ग्वालियर को बहलोल लोदी का शत्रु बना दिया। लोदियों ने 1479 में हुसैन शर्की को हराया, लेकिन ग्वालियर पर हमला करने के लिए 1486 में किर्तीसिंह के उत्तराधिकारी कल्याणमल्ल की मृत्यु तक इंतजार किया। यही वह काल था जब हुशैन शाह ग्वालियर आया था। वर्तमान काल में इस स्थान को यवनपुर भी कहा जाता है जो की जौनपुर का प्राचीन नाम था। यहाँ पर अब मात्र एक तरफ का ही हिस्सा इस द्वार का बचा हुआ है। चित्र देखें।

1. द शर्की सल्तनत ऑफ जौनपुर, मियाँ मुहम्मद सईद
2. ग्वालियर टुडे, माइकल एच. ब्राउन, गवर्नमेंट ऑफ ग्वालियर
3. https://wikivisually.com/wiki/Hussain_Shah_Sharqi



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id