होली एक पवित्र त्योहार माना जाता है इसका महत्व सनातन धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस त्योहार की तैयारियाँ कई दिन पहले से ही होने लग जाती है, जैसा की होली एक धार्मिक त्योहार है तो इस त्योहार के हर एक अनुष्ठान का अपना एक अलग महत्व होता है। होलिका दहन की सामग्री जुटाना व होलिका दहन के लिये अरंड का महत्व अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अरण्ड का पेड़ होलिका दहन वाले स्थान पर गाड़ा जाता है तथा बाद में इसे ऊपल से सहारा दिया जाता है, अब कई दिनों के जुटाये गये खर-पतवार को इसके ऊपर रख दिया जाता है जिसमें बाँस व अन्य कई लकड़ियाँ होती है। अब सबके मन में यह सवाल उठता है कि आखिर अरण्ड का पेड़ क्युँ रखा जाता है होलिका में, इस बिन्दु को समझने के लिये हमें अरण्ड के औषधीय गुणों को समझना पड़ेगा। अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग 12 मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ 15-45 सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की होती है। अरण्ड का जगत (रेगन्म): पादप, संघ (फाइलम): मैग्नोलियोफाइटा, वर्ग (क्लास): मैग्नोलियोप्सीडा, गण (ऑर्डर): मैल्पीजिएल्स, कुल (फैमिली): यूफोर्बियेसी, उपकुल (सबफैमिली): अकैलीफोएडी व ट्राइब अकैलीफी है। अरण्ड औषधि के रूप में प्रयोग में लायी जाती है, इससे कई अचूक औषधियों का निर्माण किया जाता है जो कई रोगों में कारगर साबित होती हैं। अरण्ड का तेल कई बिमारियों में काम में लाया जाता है। इसके पत्ते व तना जलाये जाने पर इससे जो धुआँ निकलता है वह वायुमण्डल में उपलब्ध कई किटाड़ुओं का नाश कर देता है यही कारण है कि अरण्ड का पेड़ होली में प्रयोग में लाया जाता है। होलिका दहन के लिये अरण्ड को गाड़नें की भी एक अलग ही प्रक्रिया होती है इसे मात्र वही गाड़ सकता है जिसके ऊपर अपने पिता का साया ना हो अर्थात् जिसके पिता का देहावसान हो चुका हो। इसी लिये अरण्ड को गाँव के बड़े बुज़ुर्ग ही गाड़ते हैं। 1. फैज़ाबाद सांस्कृतिक गैजेटियर, नीतू सिन्हा
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