होलिका दहन में अरण्ड का महत्व

जौनपुर

 25-02-2018 10:02 AM
कोशिका के आधार पर

होली एक पवित्र त्योहार माना जाता है इसका महत्व सनातन धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस त्योहार की तैयारियाँ कई दिन पहले से ही होने लग जाती है, जैसा की होली एक धार्मिक त्योहार है तो इस त्योहार के हर एक अनुष्ठान का अपना एक अलग महत्व होता है। होलिका दहन की सामग्री जुटाना व होलिका दहन के लिये अरंड का महत्व अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अरण्ड का पेड़ होलिका दहन वाले स्थान पर गाड़ा जाता है तथा बाद में इसे ऊपल से सहारा दिया जाता है, अब कई दिनों के जुटाये गये खर-पतवार को इसके ऊपर रख दिया जाता है जिसमें बाँस व अन्य कई लकड़ियाँ होती है। अब सबके मन में यह सवाल उठता है कि आखिर अरण्ड का पेड़ क्युँ रखा जाता है होलिका में, इस बिन्दु को समझने के लिये हमें अरण्ड के औषधीय गुणों को समझना पड़ेगा। अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग 12 मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ 15-45 सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की होती है। अरण्ड का जगत (रेगन्म): पादप, संघ (फाइलम): मैग्नोलियोफाइटा, वर्ग (क्लास): मैग्नोलियोप्सीडा, गण (ऑर्डर): मैल्पीजिएल्स, कुल (फैमिली): यूफोर्बियेसी, उपकुल (सबफैमिली): अकैलीफोएडी व ट्राइब अकैलीफी है। अरण्ड औषधि के रूप में प्रयोग में लायी जाती है, इससे कई अचूक औषधियों का निर्माण किया जाता है जो कई रोगों में कारगर साबित होती हैं। अरण्ड का तेल कई बिमारियों में काम में लाया जाता है। इसके पत्ते व तना जलाये जाने पर इससे जो धुआँ निकलता है वह वायुमण्डल में उपलब्ध कई किटाड़ुओं का नाश कर देता है यही कारण है कि अरण्ड का पेड़ होली में प्रयोग में लाया जाता है। होलिका दहन के लिये अरण्ड को गाड़नें की भी एक अलग ही प्रक्रिया होती है इसे मात्र वही गाड़ सकता है जिसके ऊपर अपने पिता का साया ना हो अर्थात् जिसके पिता का देहावसान हो चुका हो। इसी लिये अरण्ड को गाँव के बड़े बुज़ुर्ग ही गाड़ते हैं। 1. फैज़ाबाद सांस्कृतिक गैजेटियर, नीतू सिन्हा



RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id