भारतीय समाज व ग्रन्थों में गायों का एक महत्वपूर्ण स्थान है, कामधेनू गाय का विवरण भारतीय ग्रन्थों में बड़ी श्रद्धा के साथ किया गया है। जौनपुर एक कृषक जिला है यहाँ पर एक बड़ी आबादी मवेशियों पर आधारित है। यदि जौनपुर के पशुधन पर प्रकाश डाला जाये तो प्रमुख तथ्य सामने आते हैं- गाय की संख्या 1 लाख 87 हज़ार, 2 लाख 5 हज़ार भैंस तथा 2 लाख 16 हज़ार भेड़- बकरी व सुअर| जिले मे प्रतिदिन 5 मीट्रिक लीटर दुग्ध का उत्पाद होता है| जिले मे 41 पशु चिकित्सालय, 69 गर्भधानी केंद्र, 58 दूध संस्थायें हैं तथा दुग्ध शीत घर की व्यवस्था 25000 लीटर प्रतिदिन की है| सम्पूर्ण पशुधन से करीब 1 लाख व्यक्ति को रोजगार लाभान्वित होता है| विगत कुछ वर्षों से जौनपुर में जर्सी गायों की संख्या में बढोत्तरी हुई है। जर्सी गाय अधिक दुग्ध उत्पादन के लिये जानी जाती हैं। जर्सी नस्ल की गाय दुग्ध व्यापार या दुग्ध उत्पादन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है| यह गाय इंग्लैंड में उत्पन्न हुई है| भूरे तथा लाल रंग की त्वचा, चौड़ा माथा, बड़ी आँखे आदि इसकी प्रमुख पहचान है। जर्सी गाय का वजन करीब 400-450 किलोग्राम का होता है। जर्सी गाय प्रतिदिन करीब 15-25 लीटर तक दूध देती है। आमतौर पर जर्सी गाय की शुद्ध नस्ल हमारे देश में नहीं पायी जाती है लेकिन इसकी क्रॉस-ब्रीड नस्लें बहोत अधिक मात्रा में यहाँ देखी जा सकती हैं। यदि जर्सी गाय के दाम के बारे में बात की जाये तो ये 30-50 हजार के मध्य में मिल जाती हैं। जर्सी गाय की खोज सर्वप्रथम सन् 1700 में हुई थी तब से लेकर करीब सन् 2008 तक यह गाय काफी हद तक बाहरी दुनिया से दूर ही थी। चित्र में दिखाई गयी गाय देशी भारतीय नश्ल की है, जो एक ग्रामीण जीवन को प्रदर्शित कर रही है। 1. डी. आई. पी. एस. जौनपुर 2. सी.डैप जौनपुर
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