गोमती नदी के किनारों के पास या सई नदी के आस-पास कभी-कभी यह सुनाई दे जाता है की आज खेत में जंगली सुअर दिखाई दिया। एक समय था जब जौनपुर में जंगली सुअरों की संख्या काफी थी परन्तु इनके शिकार व जंगलों में आई कमी के कारण आज ये यहाँ कहीं-कहीं ही दिखाई देते हैं। जंगली सुअरों की महत्ता सनातनी समाज में वहीं से दिखाई दे जाती है जहाँ पर इन्हे विष्णु के दशावतार में से एक अवतार का दर्जा दिया गया था। मध्यप्रदेश के उदयगिरी में वाराह की अत्यन्त मनोरम मूर्ति पहाड़ में बनाई गयी है जिसमें वह भू देवी को उठाते हुये दिखाई दे रहे हैं। जौनपुर में भी वाराह की प्राचीन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं। खजुराहो से प्राप्त व गुजरी महल संग्रहालय में रखी वाराह प्रतिमायें भारतीय कला को प्रदर्शित करती हैं। वाराह के कई प्राचीन लघुचित्र भी हमें प्राप्त होते हैं। जंगली सुअरों की अस्थियाँ पाषाणकालीन पुरास्थलों से प्राप्त होती हैं। जंगली सुअर (सुस स्क्रोफा) सुअर की एक प्रजाती है। यह मध्य यूरोप, भूमध्य सागर क्षेत्र सहित एशिया में इंडोनेशिया तक के क्षेत्रों में पाया जाता है। सुअर आर्टियोडेक्टिला गण के सुइडी कुल के जीव हैं। जंगली सुअरों के कुकुरदंत उनकी आत्मरक्षा के हथियार हैं। ये इतने मजबूत और तेज होते हैं कि घोड़ो व अन्य जानवरों का भी पेट फाड़ सकते हैं । इन जीवों की घ्राणशक्ति बहुत तेज होती है जिनकी सहायता से ये पृथ्वी के भीतर की स्वादिष्ट जड़ों आदि का पता लगा लेते हैं। इनका मुख्य भोजन कंद-मूल, गंन्ना और अनाज है लेकिन इनके अलावां ये कीड़े-मकोड़े और छोटे सरीश्रृपों को भी खा लेते हैं। जंगली सुअरों का शिकार विदेशियों द्वारा बड़ी संख्या में किया गया था जिस वजह से इनकी संख्या में भारी गिरावट आयी थी परन्तु विगत कुछ दशकों से इनको मारने पर पाबन्दी लगा दी गयी जिस कारण अब इनकी संख्या में सुधार हो रहा है। जंगली सुअर अपनी ताकत व सामाजिक स्थिति के लिये महत्वपूर्ण हैं। 1. https://www.pravakta.com/wild-pig-attacking-animal/ 2. https://goo.gl/XkVSND
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