विभिन्न प्रकार के पौधों का महत्व समाज में अभिन्न है जैसे नीम का उपयोग आयुर्वेद व कई बिमारियों से लड़ने के लिये, बरगद और पीपल बढियाँ गुड़वत्ता के ऑक्सीज़न के लिये तो वहीं शीशम का महत्व इमारती लकड़ी के रूप में है। शीशम को पादप जगत का पौधा माना गया है तथा ये फेबल्स गण फ़बेशी कुल व डलबर्जिया वंश से सम्बन्धित है। शीशम मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप का वृक्ष है। शीशम भारत में असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान सहित सम्पूर्ण भारत में बहुतायत से मिलने वाला छायादार वृक्ष है। शीशम के पेड़ का महत्व इमारती लकड़ियों के अलावा आयुर्वेद में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसको कई नामों से जाना जाता है जैसे शीशु, शिनसपा, विटी, शीशम, शिसु, बिराडी आदि। शीशम की लकड़ी भारी, मजबूत व बादामी रंग की होती है। इसके अंतःकाष्ठ की अपेक्षा बाह्य काष्ठ का रंग हल्का बादामी या भूरा सफेद होता है। जौनपुर में शीशम का पेड़ बड़ी संख्या में पाया जाता है। तमाम मार्गों में किनारों पर व बगीचों में शीशम के पेड़ों को देखा जा सकता है। यहाँ पर सड़कों के किनारों पर सरकार द्वारा भी शीशम के पेड़ों को लगवाया गया था जिसका प्रमुख कारण है शीशम के पेड़ का महत्व। यहाँ की मुख्य लकड़ी मंडी नौपेड़वां में है जहाँ पर लकड़ी का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। 1. सी. डैप जौनपुर
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