Post Viewership from Post Date to 08-Jul-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2629 119 2748

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

अंग्रेज़ी व फ्रांसीसी भाषा में लिखने वाली पहली भारतीय महिला कवि थीं बंगाल की तोरू दत्त

जौनपुर

 07-06-2024 09:28 AM
ध्वनि 2- भाषायें

अंग्रेज़ी भाषा में लिखने और अपनी रचनाएं प्रकाशित करने वाली, भारत की सबसे पहली महिला लेखिका, फ्रांसीसी भाषा में भी पारंगत थीं। और वास्तव में, उन्होंने फ्रांसीसी भाषा में कविताएं भी लिखी थी।वह लेखिका तोरू दत्त थी। इसलिए, हमें उनके फ्रांसीसी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में, उनके अग्रणी कार्यों को पहचानना चाहिए। आइए जानते हैं।
‘एंशिएंट बैलाड्स एंड लेजेंड्स ऑफ हिंदुस्तान(Ancient Ballads and Legends of Hindustan)’ (1882) तोरू दत्त की कविताओं का एक संग्रह है। उनकी मृत्यु के बाद संकलित, और लंदन(London) में प्रकाशित, यह पुस्तक भारतीय इतिहास और बंगाली साहित्य में, एक अग्रणी व्यक्ति की कला का एक अमूल्य काम है। कलकत्ता में बंगाली ईसाइयों के एक परिवार में जन्मी तोरू दत्त का पालन-पोषण अंग्रेज़ी और भारतीय संस्कृतियों के चौराहे पर हुआ था। अपनी मूल बंगाली भाषा के अलावा, वह एक युवा लड़की के रूप में अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी और संस्कृत भाषाओं में भी पारंगत हो गईं। और अंततः,उन्होंने प्रत्येक भाषा में उपन्यास और कविताएं लिखीं। अपने सीमित कार्य के बावजूद, एक अग्रणी लेखिका के रूप में दत्त की विरासत भारत और दुनिया भर में कायम है। तुकबंदी वाली अपनी अंग्रेज़ी कविताओं में,कवि तोरु दत्त प्राचीन भारत की कुछ सबसे पुरानी और महाभारत व रामायण जैसी पवित्र कहानियां प्रस्तुत करती है। इन कविताओं के साथ-साथ, दत्त के बंगाली लोककथाओं के संस्करण – “जोघध्या उमा” – और यूरोप में उनके प्रवास के दौरान लिखी गई कविताएं भी काफ़ी प्रसिद्ध हैं। 1876 में, बिना किसी प्रस्तावना या परिचय के,‘ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स’ (A Sheaf Gleaned in French Fields) प्रकाशित हुई थी। दत्त द्वारा इसकी 165 कविताओं का, फ्रांसीसी भाषा से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। सबसे पहले इस संग्रह ने थोड़ा ही ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि, अंततः यह 1877 में एडमंड गोसे(Edmund Gosse) के ध्यान में आया, जिन्होंने उस वर्ष एक्जामिनर(Examiner) में इसकी अनुकूल समीक्षा की। इस संग्रह का 1878 में दूसरा भारतीय संस्करण और 1880 में लंदन के केगन पॉल(Kegan Paul) द्वारा तीसरा संस्करण प्रकाशित किया गया था। लेकिन, दत्त इनमें से कोई भी संस्करण देखने के लिए, जीवित नहीं रही। तपेदिक के कारण महज़ 21 वर्ष की उम्र में ही, उनकी मृत्यू हो गई। ‘ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स’ के दूसरे संस्करण में 44 नई कविताएं, तोरू दत्त और उनकी बहन का एक चित्र और उनके पिता की एक प्रस्तावना जोड़ी गई थी।
आइए अब कवि के बारे में जानते हैं। तरुलत्ता दत्ता, जो ‘तोरू दत्त’ के नाम से लोकप्रिय है, ब्रिटिश भारत की एक भारतीय बंगाली कवि और अनुवादक थी। वह हेनरी लुईस विवियन डेरोज़ियो(Henry Louis Vivian Derozio), मनमोहन घोष और सरोजिनी नायडू के साथ इंडो-एंग्लियन साहित्य(Indo-Anglian literature) की संस्थापक हस्तियों में से एक हैं। दत्त का जन्म 1856 में, बंगाल प्रांत के प्रसिद्ध रामबगन दत्त परिवार में हुआ था। गोविन चंद्र दत्त और क्षेत्रमोनी मित्तर की सबसे छोटी संतान के रूप में, तोरू लेखकों के परिवार से संबंधित थी। उनके पिता गोविंद दत्त, जो भारत सरकार के कर्मचारी थे, एक भाषाविद् थे और उन्होंने कुछ कविताएं भी प्रकाशित की थी। उनकी मां, क्षेत्रमोनी मित्तर, हिंदू पौराणिक कथाओं को बहुत पसंद करती थीं और उन्होंने ‘द ब्लड ऑफ क्राइस्ट(The Blood of Christ)’ इस पुस्तक का बंगाली में अनुवाद किया था। और, उनके पिता की सरकारी नौकरी के कारण, तोरू का परिवार अक्सर विभिन्न स्थानों की यात्रा करता था।
उस समय, महिलाओं को पर्दे के पीछे ही रहने के लिए कहा जाता था। लेकिन, तोरू दत्त ने अपनी बहन अरु और अपने माता-पिता के साथ फ्रांस की यात्रा की। दत्त परिवार अगले दो वर्षों के लिए, इंग्लैंड जाने से पहले एक वर्ष तक फ्रांस में रहे।
वह अंग्रेज़ी में अपनी कविताओं – सीता (Sita), ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स (A Sheaf Gleaned in French Fields) और एंशिएंट बैलाड्स एंड लेजेंड्स ऑफ हिंदुस्तान (1882) तथा फ्रांसीसी उपन्यास – ले जर्नल डी मैडेमोसेले डी’आर्वर्स(Le Journal de Mademoiselle d’Arvers) के लिए जानी जाती हैं। उनकी कविताएं अकेलेपन, लालसा, देशभक्ति और पुरानी यादों के विषयों पर अक्सर चर्चा करती हैं। तोरू दत्त ने अपना कार्य तब प्रकाशित करना शुरू किया, जब वह केवल 18 वर्ष की थी। उनकी पहली प्रकाशित रचनाएं, अर्थात हेनरी डेरोज़ियो और लेकोन्टे डी लिस्ले(Leconte de Lisle) पर निबंध, 1874 में बंगाल मैगजीन(Bengal Magazine) में छपीं थी। इन कवियों की बहुराष्ट्रीय और अंतरजातीय पृष्ठभूमि तोरू के लिए रुचिकर विषय था। अपने साहित्यिक पेशे की शुरुआत, गद्यों से करने के बावजूद, तोरू दत्त अपनी कविताओं के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने एक और उपन्यास – ‘बियांका ऑर द यंग स्पैनिश मेडेन(Bianca or The Young Spanish Maiden)’ लिखना भी शुरू किया था, जो उनकी युवावस्था और असामयिक मृत्यु के कारण अधूरा रह गया। ये दोनों उपन्यास भारत के बाहर गैर-भारतीय नायकों पर आधारित थे।इसी उपन्यास को किसी भारतीय महिला लेखक द्वारा, अंग्रेज़ी में पहला उपन्यास माना जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4zaj79jz
https://tinyurl.com/3rrhmzys
https://tinyurl.com/s2c26h8t
https://tinyurl.com/2pkzfe7n
https://tinyurl.com/2jdzznee

चित्र संदर्भ
1. 'तोरू दत्त' को संदर्भित करता एक चित्रण (Madras Courier)
2. तोरु दत्त के चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ए शीफ ग्लीन्ड इन फ्रेंच फील्ड्स को संदर्भित करता एक चित्रण (AbeBooks)
4. अरु दत्त और तोरु दत्त को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • हमारे पड़ोसी शहर वाराणसी के कारीगरों ने, जीवित रखी है, उत्कृष्ट ज़रदोज़ी कढ़ाई
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     18-10-2024 09:18 AM


  • मनुष्यों की बढ़ती जनसंख्या के कारण, अपने ही द्वीप से विलुप्त होना पड़ा जावन बाघ को
    स्तनधारी

     17-10-2024 09:19 AM


  • निश्चित नियमों का पालन करके रखे जाते हैं पौधों और जानवरों के वैज्ञानिक नाम
    कोशिका के आधार पर

     16-10-2024 09:22 AM


  • खनन कार्यों से प्रभावित हुआ है, आदिवासी समुदाय और हमारा पारिस्थितिकी तंत्र
    खदान

     15-10-2024 09:17 AM


  • मूल पौधें का भाग होते हुए भी, विविपैरी के माध्यम से, फल करते हैं, नए जीवन की शुरुआत
    व्यवहारिक

     14-10-2024 09:24 AM


  • आइए देखें, कैसे बनती है चीज़
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     13-10-2024 09:10 AM


  • दशहरा विशेष: बियोवुल्फ़ नामक कृति में, पश्चिम के रावण ग्रेंडल का अंत कैसे होता है?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-10-2024 09:21 AM


  • जानें जौनपुर के बाज़ारों व व्यवसायों के विकास में, कागज़ी मुद्रा की भूमिका
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     11-10-2024 09:13 AM


  • आइए जानें, मंदिर वास्तुकला की नागर शैली की विशेषताएँ और इसके विभिन्न प्रकार
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     10-10-2024 09:10 AM


  • बनारस के श्याम-श्वेत इतिहास से लेकर, आधुनिक रंगीन भारत को दर्शाते हैं पोस्टकार्ड
    संचार एवं संचार यन्त्र

     09-10-2024 09:06 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id