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क्या मेट्रो के स्थान पर विद्युत ट्रैम प्रणाली स्थापित करना होगा हमारे जौनपुर के हित में?

जौनपुर

 05-06-2024 09:27 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

जबकि वर्तमान में भारत के कई बड़े शहरों में बड़े निवेश के साथ भूमिगत और सतही मेट्रो प्रणाली स्थापित की जा रही हैं, हमारे शहर जौनपुर में, आबादी केवल 1.4 लाख है, जबकि मेट्रो प्रणाली स्थापित करने के लिए शहर की आबादी कम से कम 3 मिलियन होनी चाहिए। हालाँकि, दुनिया के कई शहर, जिनकी आबादी जौनपुर के समान है, विद्युत ट्रैम प्रणाली होने से विकास की राह पर अग्रसर हैं।
यह आंकड़ा भी दिलचस्प है कि जहां एक तरफ दुनिया के केवल 201 शहरों में, (जिनमें भारत के भी कुछ प्रमुख शहर – लखनऊ, दिल्ली, मेरठ आदि शामिल हैं) मेट्रो प्रणाली मौजूद है, वहीं 380 शहरों में विद्युत ट्रैम प्रणाली मौजूद है और ये शहर निरंतर विकास की ओर प्रगतिशील हैं। आइए ऐसे ही कुछ शहरों के उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं कि कैसे मेट्रो के स्थान पर विद्युत ट्रैम प्रणाली की स्थापना करके भी आगे बढ़ा जा सकता है। यहां यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि हाल के वर्षों में ब्राज़ील (Brazil) के रियो (Rio), चीन (China) और अमेरिका (America) सहित कई अन्य देशों के शहर नई विद्युत ट्रैम प्रणाली स्थापित करके आगे बढ़ रहे हैं। आज, दुनिया भर के 380 से अधिक शहरों में विद्युत ट्रैम प्रणाली स्थापित की जा चुकी हैं, जिनकी सहायता से प्रतिदिन हजारों यात्री नियमित अंतराल पर और निश्चित शहर लाइनों पर परिवहन करते हैं। कई अन्य शहरों द्वारा भी ट्रैमवे को स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है क्योंकि इन्हें स्थापित करना मेट्रो या भूमिगत सबवे नेटवर्क को स्थापित करने की तुलना में बहुत सस्ता होता है। इन्हें शहरों के बीच पहले से बनी सड़कों पर बिना किसी बड़ी मरम्मत की आवश्यकता के जोड़ा जा सकता है। आधुनिक ट्रैमवे बिजली से संचालित होते हैं और आम तौर पर रेल के मुक़ाबले में हल्के होते हैं। इनमें यात्री गाड़ियों की संख्या आमतौर पर एक से पांच तक होती है। लेकिन जहां यह अंतर-शहरी मॉडल के हिसाब से बनाए जाते हैं वहां इनमें यात्री गाड़ियों की संख्या अधिक भी हो सकती है। कुछ ट्रैम गाड़ियों को ट्रैमवे के अलावा पारंपरिक रेलवे पटरियों या चुंबकीय पटरियों पर भी चलाया जाता है। डिज़ाइन के आधार पर ट्रैम निम्न प्रकार के होते हैं:
- सिंगल-एंडेड (Single-ended) - सिंगल-एंडेड ट्रैम में सिर्फ एक सिरे पर परिचालन की व्यवस्था होती है।
- डबल-एंडेड (Double-ended) - डबल-एंडेड ट्रैम में दोनों सिरों से परिचालन व्यवस्था होती है। और इस प्रकार ये ट्रैम अधिक बहुमुखी होते हैं।
- लो फ्लोर (Low floor) - लो फ्लोर ट्रैम का डिज़ाइन अत्यधिक आधुनिक है जो यात्रियों को अधिक आसानी से और जल्दी से ट्रैम में प्रवेश करने या बाहर निकलने की अनुमति देता है। व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले विकलांग उपयोगकर्ताओं के लिए ये ट्रैम अत्यंत उपयुक्त होते हैं।
- अल्ट्रा लो फ्लोर (Ultra low floor) - अल्ट्रा लो फ्लोर ट्रैम में हालिया तकनीकी सुधार से अधिकांश मोटर प्रणाली छत में स्थित होती है, जिससे इनका फर्श क्षेत्र जमीन के बहुत करीब होता है। इन ट्रैमों की प्रवेश ऊंचाई लगभग फुटपाथ की ऊंचाई के बराबर केवल 18 सेंटीमीटर होती है।
- संधित (Articulated) - संधित ट्रैम में कई यात्री गाड़ियां जुड़ी होती हैं। इस प्रकार के ट्रैम दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हैं, कुछ ट्रामों में 5 या छह यात्री डिब्बे होते हैं जो इस तरह से जुड़े होते हैं।
- डबल डेकर (Double Decker) - इनमें दो मंज़िला यात्री गाड़ी होती है। इनका उपयोग अधिकतर ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain), ऑस्ट्रेलिया (Australia), हांगकांग (Hong Kong) और अलेक्जेंड्रिया (Alexandria) में किया जाता है।
- ट्रैम-ट्रेन Tram-train - ये ट्रैम शहर ट्रैम लाइनों और नियमित गेज रेलवे ट्रैक दोनों पर चल सकते हैं। इनका उपयोग अधिकतर लंबी लाइनों पर किया जाता है। दुनिया का पहला प्रायोगिक विद्युत् ट्रैमवे 1875 में रूस (Russia) के सेंट पीटर्सबर्ग (St Petersburg) के पास यूक्रेनी आविष्कारक फ्योडोर पिरोत्स्की (Fyodor Pirotsky) द्वारा बनाया गया था। जिसके बाद पहली व्यावसायिक रूप से सफल विद्युत् ट्रैम लाइन 1881 में बर्लिन, जर्मनी (Berlin, Germany) के पास लिखतेरफेल्ड (Lichterfelde) में संचालित हुई थी। इसे वर्नर वॉन सीमेंस (Werner von Siemens) द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इसके लिए 1883 में ओवरहेड विद्युत् तार स्थापित किया गया।
अमेरिका की पहली बड़ी विद्युत् ट्रैमवे प्रणाली आठ साल बाद रिचमंड, वर्जीनिया (Richmond, Virginia) में संचालित की गई थी, जिसे फ्रैंक जे. स्प्रैग (Frank J. Sprague) द्वारा डिज़ाइन किया गया था। ट्रैम की तकनीक से प्रेरित होकर, ट्रॉलीबस (trolleybus) को भी जल्द ही जनता के लिए पेश किया गया। 19वीं शताब्दी के अंत तक, विद्युत् ट्रैम और ट्रॉलीबस ने बड़े पैमाने पर पशु शक्ति के साथ साथ केबल और भाप सहित प्रेरक शक्ति के अन्य रूपों का स्थान ले लिया। ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो (Rio de Janeiro) में ओलंपिक खेलों के उद्घाटन से ठीक पहले जून 2016 में बिजली से चलने वाली एक नई ट्रैम प्रणाली स्थापित की गई, जो शहर के केंद्र को उत्तर-पश्चिम में ऐतिहासिक बंदरगाह से जोड़ती है। यह मार्ग लंबी दूरी की बस और नौका टर्मिनलों और सैंटोस ड्यूमॉन्ट (Santos Dumont) राष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी कवर करता है। इस प्रकार यह ट्रैम प्रणाली विभिन्न प्रकार के परिवहन और यातायात केंद्रों को एक साथ लाती है। इसकी दूसरी लाइन धीरे-धीरे फरवरी और दिसंबर 2017 के बीच जोड़ी गई। यह मार्ग फेरी टर्मिनल से ट्रेन स्टेशन और लंबी दूरी के बस स्टेशन के माध्यम से नितेरोई (Niterói) के उपनगर तक जाता है, जिससे परिवहन के अन्य रूप शामिल होते हैं। दोनों लाइनें मिलकर 28 किलोमीटर की लंबाई तय करती हैं।
वर्तमान में इनसे प्रतिदिन लगभग 65,000 लोग यात्रा करते हैं। ऐसा अनुमान है कि इससे प्रति वर्ष कम से कम 5.6 मिलियन कार यात्राओं में कमी आई है। और 25 वर्षों की उपयोग अवधि के परिणामस्वरूप CO₂ उत्सर्जन में 300,000 टन से अधिक की गिरावट आएगी। एक ऐसी ही लाइन साल्वाडोर डी बाहिया में भूमिगत नेटवर्क के रूप में भी खोली गई। रियो डी जनेरियो और साल्वाडोर डी बाहिया में रेल-आधारित प्रणालियों से प्रति वर्ष कम से कम 18 मिलियन कम कार यात्राएं हुई। इस प्रणाली से जलवायु प्रभाव में कमी के साथ-साथ शहरी विकास में भी सहायता मिली है। इसी प्रकार हाल ही में उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत (China's Hebei Province) के तांगशान (Tangshan) में दुनिया का पहला हाइब्रिड विद्युत ट्रैम लॉन्च किया गया, जो सार्वजनिक परिवहन में हरित ऊर्जा के अनुप्रयोग में एक बड़ा कदम है। यह दुनिया का पहला हाइब्रिड विद्युत ट्रैम है, जिसका मुख्य ऊर्जा स्रोत हाइड्रोजन है। यह ट्रैम किसी भी प्रकार के प्रदूषक का उत्सर्जन नहीं करती, यह केवल पानी का उत्सर्जन करती है। इसके साथ ही इससे किसी भी नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्पादन नहीं होता है क्योंकि हाइड्रोजन ईंधन कोशिकाओं के अंदर प्रतिक्रिया का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के नीचे नियंत्रित होता है। यह ट्रैम चीन के शुरुआती औद्योगिक शहरों में से एक, तांगशान शहर में 136 साल पुरानी रेलवे लाइन पर चलती है, और इसके कई औद्योगिक तथा विरासत स्थलों को जोड़ती है। इसमें नवीनतम लो-फ्लोर तकनीक की बदौलत यात्री गाड़ी के प्लेटफॉर्म और भूमि प्लेटफॉर्म की दूरी केवल 35 सेंटीमीटर है, जिससे यात्रियों के लिए इसमें प्रवेश करना अत्यंत आसान है। इसी प्रकार अमेरिका में भी ट्रैम और ट्रॉलीबसों को बहुतायत रूप में अपनाया जा रहा है। 2016 में अमेरिका के डेटन, सैन फ्रांसिस्को और बोस्टन जैसे शहरों में बड़ी मात्रा में ट्रैम और ट्रॉलीबसों के लिए निवेश किया गया।
तो अब मुद्दे की बात यह है कि जब दुनिया के अन्य देश अपने शहरों में इस तरह की परिवहन प्रणालियों को स्थापित करके आगे बढ़ सकते हैं, तो हमारे देश भारत में भी मेट्रो के साथ-साथ इन प्रणालियों पर कार्य किया जाना चाहिए। इन लागत प्रभावी परियोजनाओं के माध्यम से कई छोटे शहरों को लाभ मिल सकता है, जिनमें हमारा शहर जौनपुर भी शामिल हो सकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yc5zvrby
https://tinyurl.com/3h2csb7s
https://tinyurl.com/yzm6d8rz
https://tinyurl.com/3wt9butu
https://tinyurl.com/5926fad2
https://tinyurl.com/3b5fb3hn

चित्र संदर्भ
1. विद्युत ट्रैम प्रणाली और जौनपुर की अटाला मस्जिद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, प्रारंग चित्र संग्रह)
2. 2008 में सैन फ्रांसिस्को में एक केबल कार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेलबर्न ई-क्लास ट्राम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कोलोन-बॉन रेलवे के एक भाप ट्राम इंजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ग्रॉस-लिचटरफेल्ड ट्राम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत (China's Hebei Province) के तांगशान (Tangshan) में दुनिया का पहला हाइब्रिड विद्युत ट्रैम लॉन्च किया गया! को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)



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