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राम नवमी विशेष: जानें महाकाव्य रामायण की विविधताओं और अंतर्राष्ट्रीय संस्करणों का मेल

जौनपुर

 17-04-2024 09:28 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

क्या आप जानते हैं, मुगल बादशाह अकबर द्वारा पवित्र हिंदू ग्रंथ “रामायण” का फ़ारसी में अनुवाद करवाया गया था। अकबर के बाद हमीदा बानो बेगम, रहीम और जहाँगीर ने भी अपने लिये रामायण का अनुवाद करवाया था। यह तथ्य धार्मिक सौहार्द से कहीं अधिक, रामायण की वैचारिक उपलब्धि को उजागर करता है। रामायण की महत्ता का अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि, आज भारत सहित कई देशों की अपनी-अपनी खुद की रामायण के संस्करण मौजूद हैं।
हालांकि अलग-अलग देशों में इन रामायणों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, लेकिन इसकी मूल भारतीय कथा में थोड़े-बहुत बदलावों को छोड़कर रामायण का मूल विचार सभी में सुसंगत रहता है। दुनिया भर में रामायण पर आधारित कई पुस्तकें पाई जाती हैं। इस विषय के अलावा आज हम उन पात्रों के बारे में भी जानेंगे जो रामायण और महाभारत दोनों में मौजूद हैं। महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण और रामचरितमानस, दोनों ही महान भारतीय महाकाव्य हैं। दोनों में ही हमें पृथ्वी पर भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम की जीवन यात्रा के बारे में बताया गया है। हालाँकि, रामायण और रामचरितमानस में कई अंतर भी हैं।
चलिए इनमें से कुछ महत्वपूर्ण अंतरों पर ग़ौर करते हैं।
1. लेखकत्व और समय: रामायण की रचना, महर्षि वाल्मिकी ने त्रेता युग के दौरान संस्कृत में की थी। भगवान राम और महर्षि वाल्मिकी एक ही युग में रहते थे। दूसरी ओर, रामचरितमानस को अवधी कवि “गोस्वामी तुलसीदास” जी के द्वारा कलियुग के दौरान 15वीं शताब्दी ईसवी में अवधी भाषा में लिखा गया था।
2. शीर्षकों का अर्थ: 'रामायण' शब्द 'राम' और ' अयनम् ' (कहानी) का एक संयोजन है, जिसका अनुवाद 'राम की कहानी' होता है। दूसरी ओर 'रामचरितमानस' में 'राम', 'चरित्र' (अच्छे कर्म) और 'मानस' (झील) का मिश्रण है, जिसका अर्थ 'राम के अच्छे कर्मों की झील' होता है।
3. संरचना: दोनों ही महाकाव्य सात अध्यायों में विभाजित हैं। हालाँकि, रामचरितमानस में, तुलसीदास ने 'युद्ध कांड' का नाम रामायण से बदलकर 'लंका कांड' कर दिया।
4. प्रारूप और सामग्री: रामायण में भगवान राम की मूल कहानी, 'श्लोक' में लिखी गई है, जबकि रामचरितमानस में रामायण का एक पुनर्कथन, 'चौपाई' में लिखा गया है। हालांकि तुलसीदास ने अपनी पुस्तक में वाल्मिकी के योगदान को स्वीकार किया है। 5. राजा दशरथ की पत्नियाँ: रामायण में, राजा दशरथ की 350 से अधिक पत्नियाँ थीं, जिनमें तीन प्रमुख पत्नियाँ - कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं। रामचरितमानस में केवल इन्हीं तीन पत्नियों का उल्लेख है।
6. भगवान हनुमान का चित्रण: रामायण में भगवान हनुमान को वानर जनजाति के एक मानव के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें 'वानर' का तात्पर्य वन में निवास करने वाली जनजातियों से है। लेकिन रामचरितमानस में उन्हें एक वानर के रूप में दर्शाया गया है, जहां 'वानर' उनकी प्रजाति को संदर्भित करता है।
7. माता सीता का स्वयंवर : रामायण में वर्णन मिलता है कि, राजा जनक ने माता सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन नहीं किया था। इसके बजाय, उन्होंने शक्तिशाली आगंतुकों को शिव का धनुष दिखाया और उन्हें इसे उठाने के लिए कहा। जब श्री राम ने यह धनुष उठा लिया तो उनका विवाह माता सीता से हो गया। लेकिन रामचरितमानस में, एक स्वयंवर का आयोजन किया गया था, और माता सीता ने शिव के धनुष को उठाने और न तोड़ने की क्षमता के आधार पर अपने पति को चुना। राम ने धनुष उठाया और तोड़ दिया, जिससे परशुराम क्रोधित हो गए।
8. सीता का अपहरण: रामायण में, माता सीता का अपहरण और पीड़ा, वास्तविक थी, और उन्हें बचाए जाने के बाद अग्नि परीक्षा के माध्यम से अपनी पवित्रता साबित करने के लिए कहा गया था। लेकिन रामचरितमानस के अनुसार, “असली माता सीता का कभी अपहरण नहीं किया गया था, बल्कि उनकी एक प्रति यानी हुबहू प्रति को बनाया गया था, जिसका अपहरण रावण ने किया था। वहीँ वास्तविक माता सीता, अग्नि देव की आश्रय में चली गई था। रामचरितमानस में अग्नि परीक्षा, वास्तव में वास्तविक माता सीता और उनकी प्रति बदलने के लिए बनाई गयी एक योजना थी।
9. रावण के युद्ध: रामायण में रावण और राम के दो बार युद्ध होने का उल्लेख है। लेकिन रामचरितमानस में अंत में केवल एक युद्ध का उल्लेख मिलता है।
10. राम का चित्रण: रामायण में राम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' के रूप में दर्शाया गया है, जो उत्कृष्ट आचरण वाले सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं, जो उन्हें असाधारण गुणों वाले “मनुष्य” के रूप में दर्शाते हैं। लेकिन रामचरितमानस में श्री राम को एक सर्वोच्च व्यक्ति, भगवान के अवतार के रूप में चित्रित किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि” महर्षि वाल्मिकी की रामायण के कई देशों में और अलग-अलग भाषाओँ में लगभग 300 से अधिक संस्करण हैं।” इनमें से अधिकांश संस्करण दक्षिण पूर्व एशिया में निर्मित किये गए। हालांकि 12वीं और 13वीं शताब्दी के आसपास विकसित हुए इन रूपांतरणों में उन देशों की स्थानीय लोककथाओं और सांस्कृतिक मान्यताओं को शामिल किया गया है। इनमे से कई संस्करण मूल रामायण में प्रचलित ब्राह्मणवादी मूल्यों का पालन नहीं करते हैं। रामायण के भारतीय संस्करण (विशेषकर जैन ग्रंथों) में नए पात्रों को भी स्थान दिया गया है। रामायण की बौद्ध संस्करण (दशरथ जातक) कुछ मायनों में भिन्न है, क्यों कि इसमें राजा दशरथ, (प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण) को सजा देकर नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा हेतु जंगल में भेजते हैं। साथ ही इसमें माता सीता का अपहरण भी नहीं होता है। कंबोडिया, थाईलैंड और बर्मा में, (जहां थेरवाद बौद्ध धर्म अधिक प्रचलित है) वहां पर महायान बौद्ध धर्म से पहले हिंदू धर्म का ही बोलबाला था। दक्षिण पूर्व एशिया में इन धर्मों को उड़िया और तमिल समुद्री व्यापारियों ने सामान के साथ कहानियाँ साझा करते हुए वहां पर फैलाया था। कुछ दक्षिण पूर्व एशियाई संस्करणों में, हनुमान को एक चालबाज़ , आकर्षक और चालाक चरित्र के रूप में चित्रित किया गया है। हालांकि इनमे भी वह श्री राम ही प्रिय चरित्र बने हुए हैं। कंबोडिया का रामायण संस्करण, " रीमकर (रामकेरती-राम + कीर्ति/महिमा)" में अच्छे और बुरे के संतुलन को दर्शाने के लिए हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के तत्वों को आपस में जोड़ा गया है। यहां प्रभु श्री राम को फ़्रीह रीम (Phreah Ream) और माता सीता को नेंग सेडा (Neang Seda) कहा जाता है। इसके अलावा नोम पेन्ह (Phnom Penh) के शाही महल परिसर और 12वीं सदी के अंगकोरवाट खंडहरों (Angkor Wat ruins) की दीवारों पर भी रामायण के भित्ति चित्र सुशोभित हैं।
अतीत में, थाईलैंड के राजा, जिन्हें पहले सियाम (Siam) के नाम से जाना जाता था, राम के वंशज होने का दावा करते थे और उनका नाम भी अपने नाम के साथ जोड़ते थे। उनकी राजधानी का नाम तक “अयुत्या” रखा गया, जो अयोध्या के समान प्रतीत होता है। 18वीं सदी में, बर्मी आक्रमण के बाद, राजा ने अपना नाम राम प्रथम रख लिया और महाकाव्य रामकियेन का थाई संस्करण लिखा, जो अब वहां का राष्ट्रीय महाकाव्य है।
म्यांमार का अनौपचारिक राष्ट्रीय महाकाव्य यामायन है, जिसे 11वीं शताब्दी ईसवी में राजा अनावरथ के शासनकाल के दौरान पेश किया गया था। यहां राम, सीता और रावण को क्रमशः यम, थिदा और यवाना के नाम से जाना जाता है।
मलय साहित्य का हिकायत सेरी राम (Hikayat Seri Rama) भी मूल संस्कृत महाकाव्य से बारीकी से मेल खाता है। इंडोनेशिया में भी रामायण के विभिन्न प्रकार के संस्करण मौजूद हैं। बाली में, इसे रामकवाका (Ramakawaka), जावा में काकाविन या योगेश्वर रामायण (Kakawin or Yogeshwar Ramayana) और सुमात्रा इसे स्वर्णद्वीप के रूप में पहचाना जाता है।
रामायण के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इसके कई चरित्र आपको महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी देखने को मिल जाएंगे। जैसे कि भगवान् विष्णु रामायण में राम और महाभारत में कृष्ण के रूप में अवतार लेते हैं, और दोनों कथाओं को जोड़ते हैं। भगवान् विष्णु के एक अन्य अवतार, परशुराम, भी दोनों महाकाव्यों में नज़र आते हैं। मूल रूप से उनका नाम भार्गव वंश का राम था। उन्होंने अत्याचारी राजा कार्तवीर्य अर्जुन को अपनी कुल्हाड़ी से मारने के बाद, परशुराम, या 'एक तरह की कुल्हाड़ी “परशु वाले राम' नाम अर्जित किया। रामायण में, परशुराम का नाम सुनते ही भ्रष्ट, लालची क्षत्रिय राजा कांप जाया करते थे।
- परशुराम के अलावा रामायण और महाभारत दोनों में देखें जाने वाले कुछ अन्य अवतारों में शामिल हैं:
- हनुमान (संकटमोचन): महाभारत में भीम द्वारा हनुमान की पूँछ न उठाए जा सकने का वर्णन मिलता है।
- जामवन्त: जामवन्त एक बुजुर्ग भालू थे, जो रामायण में हनुमान जी की सहायता करते हैं, और महाभारत में श्री कृष्ण से कुश्ती लड़ते हैं।
- विभीषण: विभीषण रामायण में रावण के छोटे भाई और लंका के राजा थे। महाभारत में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक में शामिल हुए थे। उक्त सभी चरित्रों के अलावा भगवान् शिव भी दोनों महाकाव्यों में विद्यमान हैं। रामायण में भगवान् राम सहित रावण द्वारा भी उनकी पूजा की जाती है। वहीँ महाभारत में, वह अर्जुन से मिलने के लिए किरात के रूप में प्रकट होते हैं। इन सभी के अलावा रामायण के एक प्रमुख चरित्र “माता सीता” और “द्रौपदी” को शक्ति का रूप माना जाता है। रामायण में माता सीता को शक्ति के रूप में देखा जाता है जो स्वयं रावण को हरा सकती थीं। वहीँ महाभारत में द्रौपदी को शक्ति अम्मा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है और वह अपने दम पर कौरवों को हराने में सक्षम हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdk26vz2
https://tinyurl.com/4jjj88bu
https://tinyurl.com/bdfxmpja

चित्र संदर्भ

1. रामायण के अंतर्राष्ट्रीय संस्करणों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रामचरित मानस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. महर्षि वाल्मीकि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भरहुत का स्तूप: तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध कथाओं (दशरथ जातक) और इतिहास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अंगकोर वाट में लंका युद्ध के भित्ति चित्र में प्रीह रीम ( श्री राम) को हनुमान जी के ऊपर खड़ा दिखाया गया है! को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
6. रीमकर (रामायण पर आधारित खमेर महाकाव्य) के दृश्यों को दर्शाने वाली पेंटिंग। को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
7. काकाविन रामायण के एक संस्करण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
8. परशुराम को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
9. हिन्दू धर्म के पवित्र चार धाम तीर्थस्थलों में से एक रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा करते श्री राम और लक्ष्मण को दर्शाता एक चित्रण (picryl)



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