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छोटे क़स्बे से लेकर कैसे सम्पूर्ण भारत में सबकी पसंद बन गया निरमा?

जौनपुर

 10-02-2024 09:15 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

निरमा ब्रांड एवं उसके संस्थापक– करसनभाई पटेल की कहानी कई लोगों के लिए, अपने सपनों को पूरा करने और उन्हें बड़ा बनाने के लिए प्रेरणा रही हैं। करसनभाई एक ऐसे आदमी है, जो अपनी साइकिल पर घर-घर जाकर डिटर्जेंट(Detergent) बेचते थे। और , अब वह प्रसिद्ध निरमा डिटर्जेंट ब्रांड के संस्थापक है।
टाइम्स नाउ(Times now) की एक रिपोर्ट के अनुसार, करसनभाई पटेल की कुल संपत्ति 23,000 करोड़ रुपये से अधिक है। करसनभाई के नेतृत्व में निरमा ब्रांड ने हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड(Hindustan Unilever Limited) और प्रॉक्टर एंड गैंबल(Procter & Gamble) जैसे अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी प्रतिस्पर्धियों को कड़ी टक्कर दी है। करसनभाई पटेल का जन्म गुजरात में, एक किसान परिवार में हुआ था। 21 साल की उम्र में उन्होंने रसायन विज्ञान में बीएससी(BSc) की पढ़ाई पूरी की। बाद में, उन्होंने प्रयोगशाला सहायक के रूप में अपना पेशा शुरू किया। लेकिन, अपनी अल्प कमाई के बावजूद, उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन प्रदान करने की आशा थी।
बाज़ार की संभावनाओं को पहचानते हुए, उन्होंने कम लागत वाला डिटर्जेंट पाउडर बनाने का निर्णय लिया, जो आम जनता के लिए सुलभ हो। वर्ष 1969 में, उन्होंने अपने घर के पिछले आंगन में निर्मित और पैक किए गए डिटर्जेंट पाउडर की बिक्री शुरू की। आस-पड़ोस में साइकिल चलाकर, करसनभाई घर-घर जाकर हाथ से बने डिटर्जेंट के पैकेट बेचते थे। यह एक तत्काल सफलता थी। वे अपना डिटर्जेंट केवल 3 रुपए प्रति किलोग्राम में बेचते थे। इस डिटर्जेंट की उच्च गुणवत्ता और कम कीमत ने इसे उत्कृष्ट मूल्य प्रदान किया। परिणामस्वरुप, एक दशक के भीतर, निरमा भारत का सबसे अधिक बिकने वाला डिटर्जेंट बन गया था।
चूंकि, इस डिटर्जेंट का उत्पादन श्रम प्रधान था, निरमा एक अग्रणी नियोक्ता बन गया। साथ ही, निरमा ने भारतीय गृहिणियों की कपड़े धोने की आदतों को सफलतापूर्वक प्रभावित किया, और उन पर एक अमिट छाप छोड़ी। अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए, पटेल के व्यावहारिक दृष्टिकोण, समर्पण और अटूट प्रयासों के परिणामस्वरूप ब्रांड को व्यापक उपभोक्ता स्वीकृति मिली। मांग बढ़ने पर पटेल को उत्पादन बढ़ाना पड़ा। निरमा की सफलता तेजी से बढ़ी, और यह व्यवसाय तेजी से भारत में प्रसिद्ध हो गया। आज करसनभाई पटेल एक वैश्विक उद्योगपति माने जाते हैं। निरमा, जिसका मुख्यालय अहमदाबाद, गुजरात में है, अब दुनिया के सबसे बड़े डिटर्जेंट ब्रांडों में से एक है, और मात्रा के हिसाब से सोडा ऐश(Soda ash) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है।
इस उपभोक्ता ब्रांड का नाम करसनभाई पटेल की दिवंगत बेटी– निरुपमा के नाम पर रखा गया है। इसके अलावा, नए ब्रांडों के लिए शुभंकर या मैस्कॉट(Mascot) चुनना भी एक कठिन काम हो सकता है। क्योंकि, उस शुभंकर को संबंधित ब्रांड को अक्षरशः प्रस्तुत करना होता है। स्वाभाविक रूप से, यह एक ऐसा काम है, जिसके लिए बहुत अधिक योजना और विचार की आवश्यकता होती है। जब 70 के दशक में करसनभाई पटेल को अपने नए वाशिंग पाउडर ब्रांड– निरमा के साथ बाजार में आना था, तो यह एक महत्त्वपूर्ण निर्णय था, जो उन्होंने लिया था। भारत की विज्ञापन विरासत का एक अभिन्न अंग– निरमा शुभंकर या “ट्विर्लिंग गर्ल(twirling girl)” भी, वास्तव में, पटेल की दिवंगत बेटी निरुपमा से प्रेरित है।
निरमा गर्ल ने इस ब्रांड के कई विज्ञापनों में भी अपनी जगह बनाई। विज्ञापन अक्सर सफेद पोशाक में घूमती एक लड़की के साथ समाप्त होते हैं, और फिर निरमा के चिन्ह के साथ विलीन हो जाते हैं। निरमा गर्ल निस्संदेह ही, हमारे देश भारत की सबसे बड़ी विज्ञापन विरासतों में से एक है। दूसरी ओर, एक अन्य कहानी लक्स साबुन की है। लक्स(Lux) को प्यार से, ‘सितारों का साबुन’ कहा जाता है। और, इसने अब भी उस छवि को बरकरार रखा है। यूनिलीवर का सौंदर्य साबुन– लक्स न केवल भारत में बल्कि, विश्व स्तर पर भी, कुछ सबसे लोकप्रिय साबुनों में से एक है। वर्ष 1925 में बाजार में लाया गया, लक्स दुनिया का पहला व्यापक बाजार वाला टॉयलेट साबुन बन गया । लक्स का एशिया(Asia) में उपभोक्ता पहुंच बिंदु (Consumer Reach Points) की संख्या में 5वां स्थान है, और यह अपने प्रतिस्पर्धियों से कहीं आगे है।
दुनिया भर में 34% घरों में इस्तेमाल होने वाला लक्स साबुन हमेशा सुर्खियों में बना रहता है, क्योंकि, यह बदलावों के अनुसार खुद को ढालने से कभी पीछे नहीं हटता। समय के साथ, लक्स खुद को नया रूप देता रहा है, और उपभोक्ताओं की जरूरतों को बिना किसी असफलता के पूरा करता रहा है। इसके अलावा, इस ब्रांड की महत्वाकांक्षी स्थिति, इसे ‘सितारों का साबुन’ कहना और फिर भी हमेशा आम आदमी की पहुंच में रहना, ने ब्रांड के लिए अद्भुत काम किया है। जहां तक ब्रांड के विज्ञापनों का सवाल है, साबुन हमेशा विलासी और शानदार दिखता था, लेकिन, इसका कीमत बिंदु हमेशा आम आदमी-केंद्रित था, जिससे ब्रांड को जनता के बीच लोकप्रिय होने में मदद मिली।
पिछले कुछ वर्षों में लक्स ने अनिवार्य रूप से सुंदरता, ग्लैमर(Glamour) और स्टारडम(Stardom) पर ध्यान केंद्रित किया है। सुखद सुगंध, रंगीन पैकेजिंग और सौंदर्य बढ़ाने वाली सामग्री, आदि ने इस ब्रांड की सफलता में योगदान दिया है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/2fsjdt6p
http://tinyurl.com/ycy94u3m
http://tinyurl.com/mpe84f6x

चित्र संदर्भ
1. करसनभाई पटेल और निरमा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. करसनभाई पटेल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. निरमा के विज्ञापन दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. निरमा के वाशिंग पाउडर विज्ञापन में छोटी बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. वर्ष 1925 में बाजार में लाया गया, लक्स दुनिया का पहला व्यापक बाजार वाला टॉयलेट साबुन बन गया। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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