Post Viewership from Post Date to 08-Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2511 203 2714

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

इस्लाम की जड़ों की जड़ें है, कवि रूमी की महान काव्य कृति , मसनवी

रामपुर

 07-11-2023 09:19 AM
ध्वनि 2- भाषायें

जैसे कि हम जानते ही हैं, उर्दू शायरी के कई रूप हैं। उदाहरण के लिए, ‘मर्सिया’ एक शोकगीत कविता है, जो किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की मृत्यु पर शोक व्यक्त करती है। दूसरी ओर, ‘कसीदा’ एक राजा या संरक्षक की प्रशंसा में एक स्तुतिगान होता है, जो आमतौर पर अत्यधिक रंजित शैली और उच्चारण में लिखा जाता है। ‘नाअत’ एक कविता है, जो कवि की पैगंबर के प्रति भक्ति को व्यक्त करती है। जबकि, ‘रुबाई’ एक विशिष्ट विषय पर चार पंक्तियों की कविता होती है। साथ ही, गज़ल की सुंदरता से तो हम वाकिफ हैं ही! परंतु, आज हम ‘मसनवी’ के बारे में जानने की कोशिश करेंगे, जो उर्दू शायरी का एक अन्य रूप है।
‘मसनवी’ हज़रत-ए-मौलाना अर्थात ‘रूमी’ की सबसे महान काव्य कृति है, जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, लिखी थी। उन्होंने इसे तब शुरू किया था, जब उनकी उम्र लगभग 54-57 के बीच थी और उन्होंने 1273 में अपनी मृत्यु तक इसके छंदों की रचना जारी रखी। मसनवी सूफी कहानियों, नैतिक शिक्षाओं और रहस्यमय शिक्षाओं का एक संग्रह है। यह कुरान के अर्थों और संदर्भों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। रूमी ने स्वयं मसनवी को “धर्म(इस्लाम) की जड़ों की जड़ों की जड़ें” कहा था। वास्तव में, मसनवी का पूर्ण नाम “मथनवी-ये मा`नवी” है, जिसका अर्थ–“गहरे आध्यात्मिक अर्थ के छंदबद्ध दोहे” है। “मथनवी” नाम(जिसका फ़ारसी उच्चारण “मस्नवी” है) का अर्थ अरबी में “दोहे” है।दूसरे शब्द, “मा’नवी,” का अरबी में अर्थ है– “महत्वपूर्ण,” “वास्तविक,” “सार्थक,” “आध्यात्मिक” आदि।
रूमी का जन्म, जलालअल-दीन मुहम्मद बल्खी के रूप में, 1207 में उत्तरी अफगानिस्तान में मज़ार-ए-शरीफ के पास हुआ था। वह फारसी(Persian) भाषा के महान भारतीय लेखक अमीर खुसरो(1253-1325) के लगभग समकालीन थे। रूमी का काम छंदबद्ध दोहों में एक लंबी कथात्मक कविता, अर्थात मसनवी है। मसनवी सूफ़ी छंद का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है। कुछ लोगों ने इसे पूरा पढ़ा है, जिसमें 50,000 पंक्तियां हैं। जबकि, कई लोग इसके कुछ दोहों से परिचित हैं और निश्चित रूप से कई लोगों ने रूमी के बारे में सुना है। रूमी द्वारा उपयोग किए गए विशेष मथनवी मीटर का एक उदाहरण निम्नलिखित है–XoXXXoXXXoX।
तथा उनके पहले तीन दोहों की तुकबंदी, इस प्रकार है:‘अ–यातमे–को–नाद’, ‘ईदा’तथा ‘अक’ मसनवी की रचना के शुरुआत के बारे में,रूमी के पोते के एक शिष्य ‘अफलाकी’ द्वारा लिखी गई उनकी जीवनी में, एक कहानी वर्णित है।आइए, मसनवी की पुस्तक की रचना का कारण सुनते हैं। एक दिन हज़रत-ए–हुसामुद्दीन(रूमी के सबसे करीबी शिष्य) ने पाया कि, उनके कुछ दोस्त पूरी खुशी और महान प्रेम में, ‘परमात्मा की पुस्तक’ [इलाही-नामा], ‘पक्षियों की वाणी’ [मन तिकूतयार], ‘दुर्भाग्य की पुस्तक’ [मुसीबत-नामा]आदि के अध्ययन के लिए, गंभीर प्रयास कर रहे थे।साथ ही, वे उनके रहस्यों और उनके द्वारा प्रदर्शित असामान्य आध्यात्मिकता से प्रसन्न थे। फिर, एक रात उन्होंने हज़रत-ए-मौलाना अर्थात रूमी को अकेला पाया। अतः तब हुसामुद्दीन ने रूमी से कहा कि, ‘कसीदा[ग़ज़लियत] का संग्रह प्रचुर मात्रा में हो गया है, परंतु, अगर इस गुणवत्ता वाली कोई किताब होगी, तो इसे जानने वालों के बीच, इन शिक्षाओं को याद किया जा सकेगा एवं यह इसके प्रेमियों की आत्माओं का घनिष्ठ साथी भी बन जाएगा। उसी पल में, अपनी धन्य पगड़ी के ऊपर से, रूमी ने हुसामुद्दीन के हाथ में छंदों का एक हिस्सा दिया, जो कि सार्वभौम और विवरणों के रहस्य का व्याख्याकार था। और इसमें ही, मसनवी की शुरुआत के अठारह छंद थे।
मसनवी को छह पुस्तकों में विभाजित किया गया है, और रूमी ने प्रत्येक पुस्तक के लिए प्रस्तावनाएं लिखी हैं। इस प्रत्येक पुस्तक के पीछे, कोन्या(Konya), तुर्की(Turkey) से, रूमी की कब्र की तस्वीर भी है। जबकि, इसकी सबसे प्रारंभिक पूर्ण पांडुलिपि– “कोन्या पांडुलिपि”, दिसंबर 1278 में रूमी की मृत्यु के पांच साल बाद पूरी हुई थी। और, इसके पाठ को दो स्तंभों में विभाजित किया गया है, सदियों से, मसनवी में ऐसे कई सुधार जोड़े गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप ईरान(Iran), भारत एवं पाकिस्तान में, मसनवी प्रेमियों के पास, ऐसे संस्करण हैं जिनमें, दो हजार से अधिक अतिरिक्त छंद शामिल हैं। साथ ही, आज मसनवी के कुछ अन्य भाषाओं में संस्करण एवं अनुवाद भी उपलब्ध है।प्रोफेसर फ्रैंकलिन लूइस (Professor Franklin Lewis) की एक हाल ही में प्रकाशित पुस्तक, जो रूमी के जीवन, शिक्षाओं और पूरे इतिहास में उनके प्रभाव के सभी पहलुओं की एक प्रभावशाली गहन समीक्षा है, में भी मसनवी के बारे में प्रासंगिक जानकारी शामिल है।
कोई भी गणित, संगीत, और यहां तक कि कला में प्रतिभाशाली हो सकता है, लेकिन लेखन में नहीं… क्योंकि, इसके लिए केवल प्रतिभा के बजाय अनुभव की भी आवश्यकता होती है। और मसनवी, यह सब पूरी तरह से, प्रदर्शित करती है। कुछ मुसलमान लोग मसनवी को इस्लामी साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक मानते हैं। जबकि, कई टिप्पणीकारों ने इसे विश्व साहित्य की सबसे महान रहस्यमय कविता के रूप में देखा है।
आइए, अब एक चित्र के माध्यम से, मसनवी की पांडुलिपि को समझते हैं। नीचे प्रस्तुत चित्र में, छह पुस्तकों की पांडुलिपि, के अग्रभाग में एक जीवंत दृश्य दर्शाया गया है। इसमें एक घुड़सवार शिकारी अपने शिकार का पीछा करने के लिए तलवार, धनुष और तीर का उपयोग करते हैं। स्वागत समारोहों और दावतों के अन्यचित्र भी उस समय के दरबारी जीवन के बारे में और अधिक जानकारी प्रदान करती हैं। इस पांडुलिपि के पूरा होने की तारीख 894 (1488-89 ईसवी) बताई गई है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdzkn7sc
https://tinyurl.com/mtmd28dv
https://tinyurl.com/yc4uuvu8
https://tinyurl.com/av7bv3um
https://tinyurl.com/x3w8tr6b
https://tinyurl.com/y264k5yf

चित्र संदर्भ

1. ‘मसनवी’ हज़रत-ए-मौलाना अर्थात ‘रूमी’ की सबसे महान काव्य कृति है, जो उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, लिखी थी। को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory, wikipedia)
2. मौलाना रूमी - मथनवी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जलाल अल-दीन रूमी की 'अल-मथनावी अल-मनावी' (कविताओं की कविता) के एक पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
4. ‘मसनवी’ में प्रदर्शित चित्र को दर्शाता एक चित्रण (garystockbridge617)
5. ‘मसनवी’ में प्रदर्शित एक अन्य चित्र (इस पांडुलिपि के पूरा होने की तारीख 894 (1488-89 ईसवी) बताई गई है।) को दर्शाता एक चित्रण (metmuseum)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • दिल्ली में आयोजित, रामपुर भोजन उत्सव ने किया है, रामपुरी व्यंजनों का सम्मान
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:23 AM


  • रामपुर में कोसी और रामगंगा जैसी नदियों को दबाव मुक्त करेंगे, अमृत ​​सरोवर
    नदियाँ

     18-09-2024 09:16 AM


  • अपनी सुंदरता और लचीलेपन के लिए जाना जाने वाला बूगनविलिया है अत्यंत उपयोगी
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:13 AM


  • अंतरिक्ष में तैरते हुए यान, कैसे माप लेते हैं, ग्रहों की ऊंचाई?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:32 AM


  • आइए, जानें विशाल महासागर आज भी क्यों हैं अज्ञात
    समुद्र

     15-09-2024 09:25 AM


  • प्रोग्रामिंग भाषाओं का स्वचालन बनाता है, एक प्रोग्रामर के कार्यों को, अधिक तेज़ व सटीक
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:19 AM


  • जानें शाही गज़ से लेकर मेट्रिक प्रणाली तक, कैसे बदलीं मापन इकाइयां
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:08 AM


  • मौसम विज्ञान विभाग के पास है, मौसम घटनाओं की भविष्यवाणी करने का अधिकार
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:22 AM


  • आइए, परफ़्यूम निर्माण प्रक्रिया और इसके महत्वपूर्ण घटकों को जानकर, इन्हें घर पर बनाएं
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:14 AM


  • जानें तांबे से लेकर वूट्ज़ स्टील तक, मध्यकालीन भारत में धातु विज्ञान का रोमाचक सफ़र
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:25 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id