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रंग-बिरंगी बैसाखी के अवसर पर जानिये कि क्या हैं CMYK और RGB रंग मॉडल

रामपुर

 14-04-2023 09:16 AM
द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

आज हम बैसाखी का पवित्र पर्व मना रहे हैं। यह एक फसल उत्सव है जिसका पंजाब और इसके पड़ोसी क्षेत्रों में विशेष महत्व होता है। वसंत के मौसम को मनाने के पीछे कई कारण मौजूद हैं। उदाहरण के लिए यह वो समय है, जब मौसम सुहावना हो जाता है, फूल खिल उठते हैं और खाने के लिए स्वादिष्ट व्यंजनों की एक श्रृंखला मौजूद होती है। बैसाखी का त्यौहार हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 'वैसाख' महीने के पहले दिन मनाया जाता है। बैसाखी के उत्सव में पीले रंग का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस दिन लोग विशेष रूप से पीले और नारंगी रंग के कपड़े पहनते हैं। यहां तक कि इस दिन बनाए जाने वाले विभिन्न व्यंजनों जैसे चावल, खीर आदि को भी पीला रंग प्रदान किया जाता है। हालांकि व्यंजनों और कपड़ों को कैसे रंगा जाता है इसके बारे में तो आपको कुछ पता ही होगा किंतु क्या आप जानते हैं कि प्रिंटर ,कंप्यूटर या टेलीविजन द्वारा किस प्रकार एवं किन तकनीकों के माध्यम से आपको रंगीन चित्र दिखाए जाते हैं? तो आइए बैसाखी के मौके पर CMYK और RGB कलर मॉडल या रंग मॉडल की जानकारी प्राप्त करते हैं। CMYK और RGB दो विभिन्न रंग मॉडल हैं, जिनका उपयोग डिजिटल इमेजिंग (digital imaging) और प्रिंटिंग (printing) में किया जाता है। ये दोनों मॉडल भले ही एक समान प्रतीत होते हैं, किंतु इनकी कार्यिकी अलग-अलग है। CMYK मॉडल मेंसायन (cyan), मैजेंटा (magenta), पीला (Yellow) और काला रंग शामिल होते है, इस मॉडल को मुख्य रूप से छपाई या प्रिंटिंग में उपयोग किया जाता है। CMYK मॉडल के द्वारा, पृष्ठभूमि पर मौजूद हल्के रंगों, आमतौर पर सफेद रंग को आंशिक रूप से या पूरी तरह से ढक दिया जाता है। इसमें उपयोग की गई स्याही उस प्रकाश को कम कर देती है जो परावर्तित होता है। इस तरह के मॉडल को ऋणात्मक रंग मॉडल (subtractive colour model) कहा जाता है, क्योंकि स्याही सफेद रोशनी से लाल, हरे और नीले रंग को अलग कर देती है या निकाल देती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से व्यापार कार्ड, पोस्टर, विवरणिका (brochures), बैनर आदि बनाने में किया जाता है। 1906 में, ‘ईगल प्रिंटिंग इंक कंपनी’ (Eagle Printing Ink Company) द्वारा पहली बार चार रंगों वाली गीली स्याही का उपयोग किया गया था। कंपनी ने पाया कि इन चार रंगों को मिलाकर लगभग असीमित संख्या में समृद्ध, गहरे रंग उत्पन्न किए जा सकते हैं। वास्तव में इस मॉडल को समझने के लिए हमें इसके पीछे छिपे विज्ञान को समझना होगा। हमारे चारों ओर सूर्य का सफेद प्रकाश मौजूद है, जिसमें विभिन्न प्रकाश तरंग दैर्ध्य और रंगीन प्रकाश मौजूद होता है। ये प्रकाश तरंग दैर्ध्य धरती पर मौजूद सभी वस्तुओं से टकराती है, तथा परावर्तित होकर हमारी आंखों तक पहुंचती हैं, जिससे हमें धरती पर मौजूद विभिन्न रंगों वाली वस्तुएं दिखाई देती हैं। जब सूरज की रोशनी एक चमकीले हरे रंग की सतह से टकराती है, तो यह सतह लाल, नारंगी और बैंगनी रंगों को "अवशोषित" कर लेती है और नीले, हरे और पीले रंगों को प्रदर्शित करती है। इस प्रकार एक तरह से इन रंगों को प्रकाश तरंगों से निकाल लिया जाता है या अवशोषित कर लिया जाता है। CMYK मॉडल में जब सायन, मैजेंटा और पीला रंग मिलाया जाता है, तो हमें काला रंग प्राप्त होता है। रंगीन चित्र को प्रिंट करते समय, छवि को चार संबंधित संस्करणों सायन , मैजेंटा, पीला और काला में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक छवि को एक प्लेट में बनाया जाता है जिस पर रंगीन स्याही की सही मात्रा लगाई जाती है। जब चार प्लेटें प्रत्येक पृष्ठ पर प्रिंट होती हैं, तो रंग पुनः संयोजित होते हैं और मूल छवि अपने सही रंगो के साथ बनती हैं। CMYK मॉडल में K काले रंग या कुंजी (Key) को संदर्भित करता है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि चूंकि B नीले रंग को संदर्भित करता है, इसलिए काले रंग या कुंजी को संदर्भित करने के लिए K का उपयोग किया जाता है, जो अंग्रेजी शब्द “BLACK” में अंत में आता है। जो कि वास्तव में गलत धारणा है। चार-रंग वाली छपाई में, सायन , मैजेंटा और पीली छपाई वाली प्लेटों को काली कुंजी वाली प्लेट की कुंजी के साथ सावधानीपूर्वक संरेखित किया जाता है। CMYK मुद्रण द्वारा छपाई उद्योग का मानकीकरण किया गया है। हालांकि CMYK मुद्रण एक जटिल प्रक्रिया थी इसलिए 1956 में, पैनटोन (Pantone Inc) ने अपनी छपाई प्रक्रिया की जटिलता को कम करने के लिए एक रसायनज्ञ से परामर्श लिया। एक सरल प्रणाली में स्याही की आपूर्ति को कम कर दिया गया था, जहां रंगों की असीमित श्रृंखला का उत्पादन करने के लिए स्याही की एक छोटी मात्रा का उपयोग किया गया। कंपनी द्वारा 1963 में ‘पैनटोन कलर मैचिंग सिस्टम’ (Pantone Colour Matching System) पेश किया गया जो मुद्रण उद्योग में कंपनी का सबसे बड़ा योगदान माना जाता है। पैनटोन कलर मैचिंग सिस्टम द्वारा 1,114 प्रकार के अद्वितीय रंग बनाने के लिए केवल 14 रंगों का उपयोग किया जाता है। वहीं दूसरी ओर RGB रंग मॉडल की बात करें, तो यह एक संरचित प्रणाली है, जिसका उपयोग डिजिटल उपकरणों और प्रकाश-आधारित मीडिया में किया जाता है ताकि प्राथमिक रंगों के एक छोटे से समूह से रंगों की एक श्रृंखला बन सके। RGB, रंग मॉडल को CMYK रंग मॉडल के विपरीत एक योजक प्रणाली माना जाता है, क्योंकि यह रंगों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने के लिए प्राथमिक लाल, हरे और नीले रंगों के तरंग दैर्ध्य को एक साथ जोड़ती है। इस प्रक्रिया को तीन प्रकाश प्रोजेक्टरों का उपयोग करके प्रदर्शित किया जा सकता है। प्रत्येक प्रोजेक्टर में एक रंगीन फिल्टर लगाया जाता है ताकि एक सफेद दीवार पर लाल रोशनी की एक पहली किरण, हरी रोशनी की एक दूसरी किरण और नीली रोशनी की एक तीसरी किरण पड़ सके। यदि दीवार पर लाल और हरे रंग की प्रकाश किरण मिलती है, तो इन किरणों से पीले रंग का निर्माण होता है।
अगर हरे रंग की रोशनी की तीव्रता कम हो जाती या लाल रंग की तीव्रता बढ़ जाती है, तो दीवार पर नारंगी रोशनी दिखाई देती है। और यदि तीनों रोशनियों को मिला दिया जाए, तो सफेद रंग उत्पन्न होता है। आरजीबी रंग मॉडल को अपना आधार अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ आइज़ैक न्यूटन (Isaac Newton) द्वारा 1665 और 1666 में प्रकाश के साथ किए गए उनके प्रयोगों की श्रृंखला से मिलता है। वह यह बताने वाले पहले व्यक्ति थे कि सफेद रोशनी सभी रंगों का एक संयोजन है और मनुष्य रंगों को कैसे देख पाते हैं। रंगीन रोशनी के मिश्रण को अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी थॉमस यंग (Thomas Young) और जर्मन भौतिक विज्ञानी हरमन वॉन हेल्महोल्ट्ज़ (Hermann von Helmholtz) ने आगे बढ़ाया। जबकि यंग और हेल्महोल्त्ज़ ने प्रस्तावित किया कि हमें जो रंग दिखाई देते हैं वे तीन रंगों पर आधारित होते हैं, लगभग उसी समय स्कॉटिश गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell) रंग दृष्टि ( Colour Vision) के साथ प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने प्रदर्शित किया कि कलाकारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक लाल, पीले और नीले रंगों के विरोध में - लाल, हरा और नीला रंग एक व्यापक श्रेणी का उत्पादन कर सकते हैं। मैक्सवेल ने बाद में दिखाया कि कैमरा लेंस पर लाल, हरे और नीले फिल्टर का उपयोग करके एक पूर्ण रंगीन तस्वीर बनाई जा सकती है। उन्होंने इस प्रयोग के द्वारा कुछ तस्वीरें ली, जिनको उन्होंने 1861 में एक व्याख्यान के दौरान कांच पर मुद्रित किया और एक दीवार पर एक साथ पेश किया। इन तस्वीरों को अक्सर पहली रंगीन तस्वीर कहा जाता है और वास्तव में मैक्सवेल की तीन-रंग प्रणाली ने आधुनिक फोटोग्राफी की नींव प्रदान की। इस प्रक्षेपण को आरजीबी रंग मॉडल का पहला प्रदर्शन भी माना जाता है।
RGB का उपयोग डिजिटल डिस्प्ले (digital displays) जैसे कंप्यूटर मॉनिटर, टेलीविजन और स्मार्टफोन स्क्रीन के लिए किया जाता है। आज प्रौद्योगिकी के इस युग में डिजिटल छवियों और मुद्रण सामग्री में काम करते हुए इन रंग मॉडलों के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है। हम आशा करते हैं कि हमारे इस लेख से आपको कम से कम इन दोनों रंग मॉडलों के मूल को समझने में अवश्य सहायता मिलेगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3MBuozN
https://bit.ly/3GACzZl
https://bit.ly/405lZHG
https://bit.ly/3obWDL2
https://bit.ly/43nEla1

चित्र संदर्भ
1. एक पारंपरिक रंगोली को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. CMYK और RGB कलर मॉडल को दर्शाता एक चित्रण ( Free SVG)
3. वर्णक रंगों के वर्गीकरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. CMYK मॉडल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्रकाश के परावर्तन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6.RGB कलर व्हील को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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