Post Viewership from Post Date to 31-May-2023 30th day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2007 510 2517

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

एक किले को अभेध्य बना देती हैं उसकी यह विशेषताएं

रामपुर

 15-04-2023 10:32 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

आपने “सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे" वाली कहावत तो अवश्य ही सुनी होगी। लेकिन क्या आप जानते है कि आजादी से पूर्व राजा-महाराजाओं ने इस कहावत से प्रेरणा लेकर अपने किलों के निर्माण में मर्लोन (कंगूरा) (Merlon), नामक एक ऐसी अनोखी रक्षा प्रणाली विकसित कर ली थी, जो दुश्मन की नजर में आए बिना ही उसकी सेना को धूल चटा देने के लिए पर्याप्त थी।
भारत में विद्यमान प्रत्येक किले या दुर्ग की अलग-अलग कई विशेषताएं हैं । अधिकांश मामलों में ये विशेषताएं किले को सुरक्षा प्रदान करती हैं, या कुछ मामलों में केवल एक आकर्षण का काम करती हैं।
भारत के किलों या दुर्गों की कुछ प्रमुख विशेषताओं की सूची नीचे क्रमानुसार दी गई है:
१. किले की दीवारें: प्राचीन काल से ही किले की दीवारें किलेबंदी का काम करती थी जिनका उपयोग अंदर के महलों व् बस्तियों और सत्ता के केंद्रों की रक्षा के लिए किया जाता था। कभी-कभी तो पूरे शहर को घेरने के लिए इन दीवारों का निर्माण किया जाता था।किले की ये दीवारें मिट्टी, पत्थर, ईंटों और चूने जैसी विभिन्न सामग्रियों से बनी होती हैं। २.प्राचीर: प्राचीरें किलों में रक्षात्मक दीवारों का शीर्ष भाग होती हैं। ये प्राचीरें हमलों के दौरान सैनिकों के लिए पैदल मार्ग के रूप में काम करती थी। इन प्राचीरों को मिट्टी, पत्थर, कंक्रीट, लकड़ी या इन सभी के संयोजन से बनाया जाता था। ३. गढ़: गढ़ वे संरचनाएं होती हैं जो किले की दीवार के एक निश्चित कोण पर बाहर की ओर निकली हुई होती है ताकि विभिन्न दिशाओं से दुश्मन के हमलों को क़िले के अंदर से सुरक्षित रखने के लिए सुविधाजनक बनाया जा सके। बारूद और तोपों के आविष्कार के बाद गढ़ बेहद महत्वपूर्ण हो गए। गढ़ आकार में गोलाकार या कोणीय हो सकते हैं। ४. खाइयाँ: किले के चारों ओर चौड़ी और गहरी खाइयां, रक्षा की प्रारंभिक रेखाओं के रूप में कार्य करती थी। वे कृत्रिम झीलों और बांधों जैसे विस्तृत आकार की भी हो सकती हैं। ६. प्रवेश द्वार या गेट: प्रवेश द्वार रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे गढ़ क्षेत्र तक सीधी पहुंच देते हैं। किलों में कई द्वार हो सकते हैं, जो अक्सर लकड़ी और लोहे से बने होते हैं और अत्यधिक सजावटी भी होते हैं। ७. प्रहरीदुर्ग: किले के प्रहरीदुर्ग ऊँचे स्थान होते हैं जहाँ पहरेदार आसपास के क्षेत्र पर नज़र रखते हैं। प्रहरीदुर्ग पर तैनात संतरी दूर से आने वाली सेना को देख सकते थे और किले के अंदर चेतावनी बिगुल बजा सकते थे। अतिरिक्त रक्षा प्रदान करने के लिए यहां पर बंदूकों और तोपों को भी रखा जा सकता था। ८. मुंडेर: मुंडेर प्राचीर के किनारे के साथ निचली दीवारें या कटघरे होते हैं जिनमें बंदूकों को चढ़ाने और दागने के लिए छिद्र होते हैं। रक्षकों को नीचे की ओर गोली दागने में सहायक होने के लिए इनका निर्माण दुश्मन की ओर झुकाव के साथ किया जता था। इन्हें मिट्टी, लकड़ी, कंक्रीट या लोहे से बनाया जाता था । ९.कंगूरा / मर्लोन: मर्लोन, किले या युद्धक्षेत्र की दीवार का ठोस, ऊर्ध्वाधर और लंबवत भाग खंड होते है। दुश्मन सेना के अवलोकन और उस पर गोलीबारी के लिए इसमें अक्सर संकीर्ण, ऊर्ध्वाधर उद्घाटन या एक छोटा सा छेद बनाया जाता है। दो कंगूरों के बीच की जगह को एक आधार (Crenel) कहा जाता है। कंगूरे और आधार की एक श्रृंखला बुर्ज (Crenellation) का निर्माण करती है। बाद के युगों में, तोपों के लिए डिज़ाइन किए गए आधार को जालक (Embrasures) कहा जाने लगा। कंगूरे को हजारों सालों से किलेबंदी में इस्तेमाल किया गया है। मध्यकालीन इमारतों में यह एक आम सजावटी विशेषता थी।
मध्य युग में नए हथियारों के आगमन के साथ ही कंगूरे के आकार को भी बड़ा किया गया और इनमें विभिन्न आकृतियों और आयामों के छिद्र (Loop-Hole) बनाए गए। बाद में, 19वीं शताब्दी की नव-गॉथिक (Neo-Gothic) वास्तुकला शैली में निर्मित इमारतों में कंगूरे किले की सजावटी विशेषता बन गए। कंगूरे मुख्य रूप से मिट्टी, पत्थर, ईंट और चूने जैसी सामग्रियों से बने होते थे।हमले के दौरान सैनिक उन पर चल भी सकते थे और दुश्मन को निशाना बनाने के लिए इन्हें एक आदर्श जगह माना जाता था। भारतीय किलों में ज्यादातर कंगूरे गोलाकार और कोणीय संरचना वाले होते थे। हमले के प्रकार या सौंदर्य संबंधी विचारों के आधार पर कंगूरे विभिन्न आकारों जैसे कि तीन-नुकीले, चौकोर, परिरक्षित, फूल की तरह, गोल और पिरामिडनुमा (Pyramidal) के हो सकते थे। रोमन काल में, कंगूरे इतने ही चौड़े होते थे कि वे एक अकेले आदमी को आश्रय दे सकते थे।
एक किले की आदर्श रक्षा प्रणाली बेहतर ढंग से समझने के लिए हम आपको रुहेलखंड के किलों की सैर पर ले चलते हैं, जिनकी संरचनाएं यहां के शासकों की बहादुरी, संघर्ष और विजय की गवाही देती हैं। रुहेलखंड एक ऐसा क्षेत्र है जिसका समृद्ध इतिहास 4,000 वर्षों से अधिक पुराना है। प्राचीन काल में इसे उत्तरी पांचाल और बाद में मध्यकाल में कटेर या कटेहर के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजों के आगमन के बाद इस क्षेत्र को रुहेलखंड के नाम से जाना जाने लगा। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण के संदर्भ में इस क्षेत्र में कई बदलाव हुए हैं, लेकिन इसका इतिहास और सांस्कृतिक महत्व पूरे देश और दुनिया में आज भी जाना जाता है। यह जिला कई किलों का घर है जिन्होंने भारत के इतिहास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन किलों का निर्माण राजाओं और नवाबों द्वारा किया गया था जो अपने राज्य पर प्रशासन करने के लिए उन्हें अपने गढ़ के रूप में इस्तेमाल करते थे। जगत सिंह कठेरिया ने 1500 के आसपास अपने शासनकाल के दौरान जगतपुर गांव की स्थापना की। उनके बेटों, बंस देव और बराल देव ने बाद में गांव का विस्तार किया। बंस देव और बराल देव के द्वारा 1537 में यहां एक किला बनवाया गया जिसके द्वार अभी भी बरकरार हैं। उनके बाद यहां के नाज़िम और फौजदार मकरंद राय खत्री ने शाहजहाँ के शासनकाल में एक किले का निर्माण किया, जिसे बाद में किला मोहल्ला के नाम से जाना गया। किले की कुछ दीवारें अभी भी खड़ी हैं, और किले का थाना उसी परिसर में है। द्रौपदी का जन्म स्थान माने जाने वाले अहिछत्र में एक अन्य प्रसिद्ध किला था जिसे पांडवों से जुड़े होने के कारण पांडव किला कहा जाता है। रोहिलखंड रियासत की नींव रखने वाला आंवला का किला आज भी खड़ा है। नवाब अली मोहम्मद खान ने वर्ष 1730 के बाद रोहिलखंड की रियासत की स्थापना की। आंवला का किला उनके शासनकाल के दौरान 1737 से 1749 तक बनाया गया था, जो आज भी उनकी स्मृति को संरक्षित करता है। नवाब हाफिज रहमत खान का मकबरा इस क्षेत्र का एक अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है।

संदर्भ
https://rb.gy/qur10
https://rb.gy/mc0nr
https://rb.gy/jfuvt
https://rb.gy/dfnqu
https://rb.gy/bqzu8

चित्र संदर्भ
1. ग्वालियर किले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. लाल किले की दीवार को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. किले की प्राचीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. किले के गढ़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. किले के बाहर खाइयों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. किले के प्रवेश द्वार को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
7. जयगढ़ किले के प्रहरीदुर्ग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. मुंडेर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. किले के मर्लोन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. साओ जॉर्ज कैसल, लिस्बन, पुर्तगाल के मर्लोन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
11. पत्थरगढ़ किले को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id