Post Viewership from Post Date to 08-Jul-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2587 103 2690

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

माइकल मधुसूदन दत्त: अंग्रेज़ी में पौराणिक कथा लिखने वाले पहले भारतीय व् महानतम बंगाली कवि

रामपुर

 07-06-2024 09:30 AM
ध्वनि 2- भाषायें

अंग्रेजी भाषा में भारतीय देवताओं और संबंधित पौराणिक कथाओं के बारे में लिखने वाले सबसे पहले भारतीयों में, माइकल मधुसूदन दत्त थे। आइए, आज हम उनके कुछ प्रारंभिक अंग्रेज़ी लेखन को फिर से देखते है।
बंगाली सॉनेट(Sonnet) या काव्य और आधुनिक बंगाली नाटक के जनक माइकल मधुसूदन दत्त (1824-1873) बंगाली नवजागरण के प्रमुख थे, जब इस पुनर्जागरण ने लोगों को धार्मिक अंधविश्वास, जड़ता और विभिन्न बुरी प्रवृत्तियों से मुक्त कराया और उन्हें समाज में सुधार के लिए प्रेरित किया।
एक द्वंद्वात्मक, सहज, अतृप्त तेजस्विता और अनंत जीवनशक्ति उनके मानस पटल पर अनंत दीप्तिमान थी। परिणामस्वरूप, उनके साहित्य में आशा से अधिक निराशा है; स्थिरता से अधिक गति है, प्रेम से अधिक संघर्ष है; प्रेम से अधिक घृणा है; सांत्वना से अधिक वादा है; प्रार्थना से अधिक दृढ़ विश्वास है; आज्ञाकारिता से अधिक विद्रोह है और शांति से भी बढ़कर संघर्ष है।उन्होंने साहित्य को न केवल औद्योगिक मनोरंजन का सौंदर्यपरक विवरण बनाया, बल्कि, उसे संघर्ष-ग्रस्त जीवन के स्तर पर भी ला खड़ा किया। मधुसूदन के जीवन काल में उनकी कविता – ‘कैप्टिव लैडी (Captive Ladie)’, का महत्व असाधारण है। कवि अपनी ओजस्वी कविता –‘कैप्टिव लैडी’ में भारत के इतिहास की बात करते हैं, लेकिन, गैर-भारतीय भाषा – अंग्रेज़ी का उपयोग करते हैं। लेकिन, फिर भी यह कविता साबित करती है कि, उनकी काव्य प्रतिभा कितनी सच्ची थी। और इसके माध्यम से, कवि के स्वयं की सफलता और गौरव के सही मार्ग की शुरुआत हुई ।
इस कविता को पढ़ने के बाद, बेथ्यून(Bethune)नामक एक अन्य विद्वान को एहसास हुआ कि, “माइकल की प्रतिभा के समुचित विकास और उत्कृष्टता के लिए, उनका अपनी मातृभाषा के साहित्य का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है। यदि उनका लक्ष्य कविता लिखना है, तो वह (मधुसूदन) अपने देश की अधिक सेवा करने में सक्षम होगा और उनके पास अपने लिए एक स्थायी प्रतिष्ठा हासिल करने का बेहतर मौका होगा। फिर भले ही,अंग्रेज़ी अभ्यास के माध्यम से उन्होंने जो प्रतिभा हासिल की है, वह अपनी स्वयं की भाषा और कविता को बेहतर बनाने के लिए है।“ इस सलाह व विचार का मधुसूदन के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। अत: देखा जा सकता है कि, 1849 के बाद मधुसूदन द्वारा लिखित अंग्रेज़ी कविता का प्रकाशन काफी कम हो गया। दूसरी ओर, नौ सर्गों में माइकल दत्त द्वारा रचित ‘मेघनादवोध काब्य’ एक बंगाली भाषा महाकाव्य है। इसे कलकत्ता से दो खंडों में प्रकाशित किया गया था। पहले संस्करण के आरंभ में, कवि द्वारा स्वयं बनाया गया एक प्रतीकात्मक चित्रण था। इसमें भारत को एक हाथी द्वारा, यूरोप को एक शेर द्वारा, कवि की अपनी प्रतिभा को एक सूर्य द्वारा और महाकाव्य को एक कमल के फूल द्वारा दर्शाया गया था। दूसरे शब्दों में, महाकाव्य भारत, यूरोप और स्वयं कवि की संयुक्त प्रतिभा का परिणाम था। इस प्रतीकात्मक चित्रण से पता चलता है कि, मधुसूदन का लक्ष्य एक महाकाव्य लिखना था, जो भारत और यूरोप की महाकाव्य परंपराओं को संश्लेषित करेगा और एक साहित्यिक श्रेष्ठ कृति का दर्जा प्राप्त करेगा। उनका यह सपना साकार हो गया। उनके महाकाव्य के मानक की बराबरी करने में न केवल 19वीं शताब्दी के बांग्ला साहित्य में, बल्कि, पूरे उपमहाद्वीप के संपूर्ण आधुनिक साहित्य में भी कोई सफल नहीं हुआ।
उन्होंने अपने महाकाव्य की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई थी। उन्होंने अपनी विषयवस्तु के लिए ‘वाल्मिकी की रामायण’ का उपयोग किया। लेकिन, चौथे सर्ग में उन्होंने विभीषण की सहायता से लक्ष्मण के हाथों रावण के पुत्र मेघनाद की हत्या पर नज़र रखते हुए, रामचंद्र जी और उनके सहयोगियों के हाथों रावण की हार पर ध्यान केंद्रित किया। 1861 में प्रकाशित उनकी मेघनाद-बध काव्य (मेघनाद का वध) भारत की सर्वश्रेष्ठ आधुनिक कविताओं में से एक मानी जाती है। इसके अलावा, उनके महाकाव्य में उपमाओं और देवी-देवताओं द्वारा निभाई गई भूमिकाओं में ग्रीक(Greek) प्रभाव देखा जाता है। उनके महाकाव्य में शिव का प्रभाव संभवतः कृत्तिबासा की रामायण से आया, जहां रावण को शिव के भक्त के रूप में चित्रित किया गया था। जैसा कि दूसरे सर्ग में दर्शाया गया है कि देवी दुर्गा अपने पति को अपने विचारों में लाने के लिए अपनी सुंदरता का उपयोग करती हैं, यह स्पष्ट रूप से एक ग्रीक विशेषता है। यह देवी-देवताओं को मनुष्यों के रूप में चित्रित करने की ग्रीक शैली है। दत्त का लेखन बड़े पैमाने पर शास्त्रीय यूरोपीय साहित्य से प्रेरित है।
हालांकि, उनकी प्रारंभिक रचनाएं अंग्रेज़ी में थीं, लेकिन वे असफल रहीं। उनकी मुख्य रचनाएं, जो अधिकतर 1858 और 1862 के बीच लिखी गईं, उनमें गद्य नाटक, लंबी कथात्मक कविताएं और गीत शामिल हैं। उनका पहला नाटक– शर्मिष्ठा (1858) खूब सराहा गया। उनकी काव्य रचनाएं – तिलोत्तमसम्भाब (1860); जो सुंडा और उपसुंडा की कहानी पर एक कथात्मक कविता; मेघनाद बध (1861); उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति – रामायण विषय पर एक महाकाव्य; ब्रजांगना (1861); राधा-कृष्ण विषय पर गीतों का एक कृति और बिरंगाना (1862) आदि हैं। दत्त को व्यापक रूप से बंगाली साहित्य के महानतम कवियों में से एक कहा जाता है। अमृताक्षर छंद (रिक्त छंद) कहने वाले वह पहले ही व्यक्ति थे। बंगाल और बांग्ला साहित्य के इतिहास में ‘भरतचंद्र रायगुणकर’ के बाद माइकल दत्त संभवतः एकमात्र कवि थे, जिन्होंने बांग्ला काव्य की दिशा को एक नये क्षितिज की ओर मोड़ दिया था। वह ‘परिवर्तन’ के सच्चे प्रशंसक थे क्योंकि, पारंपरिक साहित्यिक व्यवस्था को उन्होंने ज़बरदस्त चुनौती दी थी। वह अपने निजी जीवन में भी उतने ही प्रयोगशील थे, जितने अपने रचनात्मक कार्यों में थे। निस्संदेह, उन्होंने कभी भी अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने की कोशिश नहीं की क्योंकि, जीवन में असंतुलन ही उनके लिए सबसे उपयुक्त था। बल्कि यही असंतुलित व्यवस्था उनके विशाल प्रेरणा के स्त्रोत के रूप में भी कार्य करता थी।
ऐसे उत्कृष्ट कवि, नाटककार और गैर-अनुरूपतावादी व्यक्ति – दत्त को शायद बंगाली साहित्य में पुनर्जागरण की शुरुआत करने के लिए, सबसे ज्यादा याद किया जाता है।
शेक्सपियर और अन्य रोमांटिक लेखकों से प्रभावित होकर, दत्त ने 1858 में अपना पहला बंगाली नाटक – शर्मिष्ठा लिखा था। इसे पूरी तरह से ‘खाली छंद’ में लिखा गया था, और तब यह शैली बंगाली साहित्य के लिए अलग थी।
उनके निधन के बाद लगभग एक दशक तक उनकी रचनाओं पर किसी का ध्यान नहीं गया। परंतु, उनके काम को टैगोर जैसे समकालीन लोगों द्वारा खोजे जाने और प्रशंसा करने के बाद दुनिया भर में मान्यता मिली।
बांग्लादेश में, उनकी जन्मस्थली – सागरदारी, को अब एक राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल में बदल दिया गया है। एक अकादमी का नाम भी उनके नाम पर रखा गया था, जिसमें दत्त और उनके माता-पिता की विरासत है, और आज भी इसमें भारी संख्या में लोग आते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5n6shp32
https://tinyurl.com/4mnessev
https://tinyurl.com/vchzmvpb
https://tinyurl.com/yvcpp8sy
https://tinyurl.com/58ktjz44

चित्र संदर्भ
1. माइकल मधुसूदन दत्त को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, Wikisource)
2. माइकल मधुसूदन दत्त की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कैप्टिव लैडी के एक पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikisource)
4. लोअर सर्कुलर रोड कब्रिस्तान में माइकल मधुसूदन दत्त की कब्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. शेक्सपियर और अन्य रोमांटिक लेखकों से प्रभावित होकर, दत्त ने 1858 में अपना पहला बंगाली नाटक – शर्मिष्ठा लिखा था। के अंश को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id