City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2951 | 90 | 3041 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
प्राचीन मिथकों से लेकर आधुनिक कहानियों तक, हिंदी उपन्यासों की यात्रा भारतीय साहित्य के बदलते स्वरूप को दर्शाती है। आज भी हिंदी उपन्यास कई अलग-अलग विषयों और कहानियों को कवर करते हैं। जैसे-जैसे हिंदी साहित्य आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उपन्यास भी मानव जीवन और समाज के जटिल पहलुओं का पता लगाने का एक शक्तिशाली तरीका बन गए हैं।
आज हम ऐसे ही कुछ उल्लेखनीय हिंदी उपन्यासों के बारे में जानेंगे, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों को उजागर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है:
1. काशी का अस्सी: यह प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास ‘काशीनाथ सिंह’ द्वारा लिखा गया है। इस उपन्यास का कथानक वाराणसी में घटित होता है, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, जो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और भारत में एक प्रमुख सांस्कृतिक तथा धार्मिक केंद्र है।
काशीनाथ सिंह द्वारा लिखित "काशी का अस्सी" वाराणसी के अस्सी नामक स्थान से जुड़ा हुआ उपन्यास है। अस्सी, वाराणसी के सबसे दक्षिणी घाट (नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियाँ) पर स्थित एक क्षेत्र है। यह स्थान काशी का हृदय माना जाता था, जहाँ लोग अपना खाली समय बिताते थे। यहाँ पर प्रोफेसर, छात्र नेता और धार्मिक गुरु खुलकर और ईमानदारी से गंभीर सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते थे।
लेकिन वैश्वीकरण और आर्थिक परिवर्तनों के और सांप्रदायिक पहचान के उदय के साथ, अस्सी के निवासियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी प्रभावित होने लगी। इस दौरान विदेशी लोग भी वाराणसी में या तो रहने या भारतीय संस्कृति के बारे में जानने के लिए आए थे। लेकिन यहाँ आकर उन्होंने यहाँ की संस्कृति को ही बदल दिया, जिसमें मानवीय रिश्ते भी शामिल हैं।
डॉ. सिंह अस्सी को "ब्रह्मांड का केंद्र" बताते हैं और यह कहकर इसके महत्व पर जोर देते हैं, "जहाँ पानी है, वहाँ जीवन है; जहाँ घाट है, वहाँ बाज़ार है।" अस्सी एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र और भारत के सूक्ष्म जगत का प्रतिनिधित्व करता है। आप चाहे कहीं भी रहते हों, लेकिन आप पुस्तक में वर्णित परिवर्तनों से खुद को जोड़ सकते हैं।
यह पुस्तक अपनी "फक्कड़" भाषा के लिए जानी जाती है, जो बनारसी लोगों के बीच बोलने का एक बेफिक्र और आत्मविश्वास से भरा तरीका है। पुस्तक की भाषा देहाती है, लेकिन यह एक मज़बूत कथा के साथ स्वाभाविक और संतुलित लगती है। डॉ. सिंह चेतावनी देते हैं कि यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है जो इस प्रकार की भाषा को संभाल नहीं सकते हैं। इस भाषा और इसके संदर्भ को समझने के लिए हिंदी में अच्छी दक्षता की आवश्यकता होती है। पुस्तक में कविताएँ और कवि कबीर के संदर्भ भी हैं।
इस पुस्तक के लेखक डॉ. काशीनाथ सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हिंदी विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख हैं। पुस्तक के कई पात्र वास्तविक लोगों पर आधारित हैं, जिनमें से कुछ लोग पुस्तक के प्रकाशित होने पर नाखुश थे। पुस्तक की एक कहानी में एक ब्राह्मण परिवार का वर्णन है जो एक विदेशी को पेइंग गेस्ट (paying guest) के रूप में स्वीकार करने का फैसला करता है। हालाँकि शुरू में वह अपने घर में विदेशियों को आने देने के खिलाफ़ होता है, लेकिन बाद में परिवार का मुखिया वित्तीय कारणों से अपना मन बदल लेता है और यहाँ तक कि अपने नए मेहमान के आराम के लिए अपने घर में महत्वपूर्ण बदलाव भी करता है। यह कहानी काशी के स्थानीय रीति-रिवाज़ो और रिश्तों पर विदेशियों के प्रभाव को उजागर करती है। पुस्तक की कहानियाँ राजनीति और आम लोगों पर इसके प्रभाव का भी पता लगाती हैं, जो राजनीतिक परिदृश्य की उनकी गहरी समझ को दर्शाती हैं।
यह पुस्तक उस समय को दर्शाती है जब एक दूसरे के जीवन में लोगों के गहरे मायने थे और एक-दूसरे के साथ गहराई से बातचीत करते थे, भले ही वे असहमत ही क्यों न हों।
2. मृत्युंजय: शिवाजी सावंत द्वारा लिखित और 1967 में प्रकाशित, यह प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास, भारतीय महाकाव्य महाभारत के एक प्रमुख पात्र कर्ण की काल्पनिक जीवन कहानी बताता है। "मृत्युंजय" में महारथी कर्ण के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक के जीवन की कहानी बताई गई है, जो उसके करीबी रहे विभिन्न पात्रों के दृष्टिकोण से सुनाई गई है, जिसमें उसकी पत्नी वृषाली, उसका मित्र दुर्योधन, उसका भाई शोण, उसकी माँ कुंती शामिल हैं। कहानी श्री कृष्ण के दृष्टिकोण के साथ समाप्त होती है। यह पुस्तक दार्शनिक अंतर्दृष्टि और युद्ध की कहानियों से समृद्ध है। पुस्तक उपमाओं और रूपकों से भरी हुई है, इसलिए आपको सब कुछ समझने के लिए इसे पूरे ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता पढ़ सकती है। इसके वाक्य अक्सर लंबे और विशद वर्णन से भरे हुए हैं, जिससे आपको ऐसा लगता है कि आप खुद भी इस कहानी के अंदर हैं। कहानी के माध्यम से आप स्वयं भी गंगा नदी के तट पर खड़े होने या कुरुक्षेत्र युद्ध के बीच में होने की कल्पना कर सकते हैं। यहाँ तक की आप उस गहरे दुख को भी महसूस कर सकते हैं, जब कर्ण को अपने कवच और बालियाँ खोनी पड़ती हैं।
इस पुस्तक के कुछ हिस्से आपको गहराई से सोचने पर मजबूर कर देंगे। लेखक श्री शिवाजी सावंत ने यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत मेहनत की है, कि आपको सभी प्रश्नों जैसे (कर्ण कौन था? क्या वह जातिवाद और पितृसत्ता का शिकार था? क्या वह एक अजेय था? क्या वह एक वफादार दोस्त था? असली खलनायक कौन है, और नायक कौन है?) के उत्तर मिल गए हों। यह पुस्तक जीवन के अर्थ, धर्म और कर्म के महत्व, व्यापार और राजनीति की अनिवार्यता और मानव होने के उद्देश्य के बारे में गहरे सवाल उठाती है। यह अश्वत्थामा और कृष्ण जैसे बुद्धिमान पात्रों के माध्यम से सूक्ष्म उत्तर प्रदान करती है। यह पुस्तक बताती है कि कर्ण वाकई में युद्ध हार गया (या उसने ऐसा जानबूझकर किया?)। हालाँकि जब पाठक पहले से ही जानता है कि कहानी का अंत कैसे होगा, तो कहानी को रोमांचक बनाए रखना मुश्किल होता है। लेकिन यह किताब रोमांच को बखूबी बनाए रख पाती है, भले ही आप पहले से ही कथानक के मोड़ जानते हों।
3. गुनाहों का देवता: यह अत्यधिक प्रशंसित हिंदी उपन्यास धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया था और 1949 में प्रकाशित हुआ था। यह आधुनिक हिंदी साहित्य में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती द्वारा 1949 में लिखा गया एक हिंदी उपन्यास है। इसकी कहानी भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान इलाहाबाद में सेट की गई है और चार मुख्य पात्रों: चंदर, सुधा, विंती और पम्मी के इर्द-गिर्द घूमती है। चंदर एक युवा व्यक्ति है, जो अपने माता-पिता के निधन के बाद अपने चाचा के साथ रहने चला जाता है। चंदर अपने कॉलेज के प्रोफेसर की बेटी सुधा से प्यार करने लगता है। इस पुस्तक का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा किया गया और इसका 55वाँ संस्करण 2009 में आया।
यह धर्मवीर भारती की सबसे प्रसिद्ध रचना है। इस पुस्तक ने भारती को अपने समय के युवाओं के बीच खूब लोकप्रिय बना दिया। इसने उन्हें मुंशी प्रेमचंद जैसे अन्य प्रसिद्ध लेखकों के साथ हिंदी साहित्य का एक जाना-माना नाम बना दिया। इसकी कहानी चंदर और सुधा के बीच गैर-अभिव्यक्तिपूर्ण प्रेम और रोमांस पर केंद्रित है, जो शहरी, मध्यम-वर्गीय, स्वतंत्रता-पूर्व भारत में प्रेम की चुनौतियों को उजागर करती है। यह उपन्यास उत्साही, महत्वाकांक्षी और आदर्शवादी युवाओं के भावनात्मक संघर्षों को उजागर करता है।
कहानी का नायक, चंद्रकुमार कपूर "चंदर", एक अनाथ और एक युवा शोधकर्ता है। उनके शिक्षक डॉ. शुक्ला हैं, जो एक प्रोफेसर हैं। चंदर, डॉ. शुक्ला की बेटी सुधा के बहुत करीब है, और समय के साथ उनका रिश्ता मज़बूत होता जाता है। सुधा की सबसे अच्छी दोस्त, गेसू और उसकी चचेरी बहन, बिनती, देखती हैं कि सुधा चंदर से प्यार करती है। हालाँकि, चंदर एक निचली जाति से होता है और डॉ. शुक्ला से सुधा का हाथ माँगने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। वहीँ सुधा कुछ मायनों में आधुनिक होती है, लेकिन अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकती और अपने पिता द्वारा चुने गए किसी और से शादी करने के लिए सहमत हो जाती है, साथ ही चंदर भी उसे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। पुस्तक की कहानी सामाजिक और आर्थिक विभाजन को दर्शाती है। भारती बताती हैं कि बच्चों को सामाजिक मूल्यों का पालन करना सिखाया जाता है, लेकिन इन आदर्शों का सख्ती से पालन करना मानसिक रूप से हानिकारक हो सकता है। कभी-कभी, व्यक्तिगत विकास और सामाजिक प्रगति के लिए इन मानदंडों का विरोध करना आवश्यक होता है।
1969 में, अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी के साथ "एक था चंदर एक थी सुधा" नामक एक फिल्म का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन यह फिल्म कभी पूरी नहीं हुई। 2015 में गरिमा प्रोडक्शंस ने इस उपन्यास का "एक था चंदर एक थी सुधा" नामक एक टीवी रूपांतरण भी बनाया था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/ymppxuzr
https://tinyurl.com/2r4zydmj
https://tinyurl.com/atyunvjm
चित्र संदर्भ
1. 'काशी का अस्सी','मृत्युंजय' और 'गुनाहों का देवता'
पुस्तकों को संदर्भित करता एक चित्रण (flipkart)
2. काशी का अस्सी पुस्तक के कवर पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
3. दीपावली के समय अस्सी घाट के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वाराणसी में विदेशी पर्यटकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मृत्युंजय पुस्तक के कवर को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
6. महाभारत के कर्ण को संदर्भित करता एक चित्रण (flipkart)
7. गुनाहों का देवता पुस्तक के कवर को संदर्भित करता एक चित्रण (flipkart)
8. धर्मवीर भारती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. एक भारतीय प्रेमी जोड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.