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नई दिल्ली में भारत की संसद के पुस्तकालय में एक तिजोरी जैसे कमरे के भीतर 30x21x9 इंच के
हीलियम (Helium) से भरे बक्से मौजूद हैं।जिसका तापमान 20 डिग्री सेल्सियस (+/- 2 डिग्री
सेल्सियस) पर रखा जाता है और संपूर्ण वर्ष 30% (+/- 5%) सापेक्ष आर्द्रता को बनाए रखा जाता
है।नाइट्रोजन (Nitrogen) से लदे इस बक्से में 251 पन्नों की पांडुलिपि रखी हुई है। 3.75 किलोग्राम
वजन वाली इस पांडुलिपि का शीर्षक: भारत का संविधान है। यह भारत के संविधान की मूल पांडुलिपि
है,जिसे ठीक 71 साल पहले,26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।इसकी सबसे आकर्षित करने
वाली चीज इसका सौंदर्यशास्त्र है। प्रत्येक चर्मपत्र कागज पर सुंदर किनारी और कलात्मक रूप से
इटैलिक शब्द, जैसे B और R कोकाफी घुमावदार रूप से लिखा गया है, U को लिखते वक्त शुरुआत
में काफी साफ घुमावदार वक्र, पूरी तरह से कुंडलित उद्धरण चिह्न और सही कोष्ठक।एक भी शब्द
गलत नहीं, कहीं स्याही का एक धब्बा भी नहीं।इटैलिक अक्षर और अंक इतने बेदाग ढंग से लिखे गए
हैं कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह किसी मनुष्य द्वारा लिखा गया था। दरसल इसे
रामपुर के प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा (सक्सेना) नाम के एक व्यक्ति द्वारा स्वयं बिना किसी यंत्र
के हाथों से लिखा गया था।प्रेम बिहारी उस समय के प्रसिद्ध सुलेख लेखक थे। उनका जन्म 16
दिसंबर 1901 को दिल्ली के एक प्रसिद्ध हस्तलेखन शोधकर्ता के परिवार में हुआ था। कम उम्र में
अपने माता-पिता को खो देने के बाद उनका लालन-पोषण उनके दादा राम प्रसाद सक्सेना और चाचा
चतुर बिहारी नारायण सक्सेना ने किया।उनके दादा राम प्रसाद एक सुलेखक थे और वे फारसी
(Persian) और अंग्रेजी के विद्वान थे। साथ ही उन्होंने अंग्रेजी सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों
को फारसी की शिक्षा भी दी थी।प्रेम बिहारी के दादा ने उन्हें कम उम्र से ही सुंदर लिखावट के
लिएसुलेख कला सिखाना शुरू कर दिया था। इसके बाद सेंट स्टीफंस कॉलेज (St. Stephen's
College), दिल्ली से स्नातक करने के बाद, प्रेम बिहारी ने अपने दादा से सीखी गई सुलेख कला का
अभ्यास करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी सुंदर लिखावट की चर्चा काफी लोकप्रिय रूप से फैलने
लगी। इसलिए जब संविधान की छपाई के लिए तैयार हुआ, तब भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री
जवाहरलाल नेहरू जी ने प्रेम बिहारी को बुलाया।नेहरू जी संविधान कोप्रिंट करवाने के बजाए तिरक्षे
अक्षरों के साथ हस्तलिखित सुलेख में लिखवाना चाहते थे। प्रेम बिहारी से संपर्क करने के बाद नेहरू
जी ने उन्हें इटैलिक (Italic) शैली में संविधान को हस्तलिखित करने के लिए कहा और उनसे पूछा
कि वह क्या शुल्क लेंगे। इस परप्रेम बिहारी ने नेहरू जी से कहा, "एक पैसा भी नहीं। भगवान की
कृपा से मेरे पास सब कुछ है और मैं अपने जीवन से काफी खुश हूं।” इतना कहने के बाद उन्होंने
नेहरू जी से अनुरोध किया कि "मेरी एक शर्त है किइसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और
आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा।” नेहरूजी ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर
लिया।भारत सरकार ने प्रेम बिहारी को भारतीय संविधान अपने हाथों से लिखने का अनमोल काम
सौंपा। उन्हें संविधान लिखने के लिए एक घर दिया गया था। प्रेमजी ने वहीं बैठकर पूरे संविधान की
पांडुलिपि लिखी।प्रेम बिहारी नारायण लेखन शुरू करने से पहले 29 नवंबर 1949 को नेहरू जी के
कहने पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद के साथ शांति निकेतन आए।उन्होंने प्रसिद्ध
चित्रकार नंदलाल बसु के साथ चर्चा की और तय किया कि प्रेम बिहारी कैसे और पर्ण के किस हिस्से
से लिखेंगे, साथ हीनंदलाल बसु पर्ण के बाकी खाली हिस्से को सजाएंगे।नंदलाल बोस और
शांतिनिकेतन के उनके कुछ छात्रों ने इन अंतरालों को त्रुटिहीन कल्पना से भर दिया। मोहनजोदड़ो
सील, रामायण, महाभारत, गौतम बुद्ध का जीवन, सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार,
विक्रमादित्य की बैठक, सम्राट अकबर और मुगल साम्राज्य, आदि।प्रेम बिहारी को भारतीय संविधान
लिखने के लिए 432 पेन होल्डर की जरूरत पड़ी और उन्होंने नोक नंबर 303 का इस्तेमाल किया।
उन नोकों को कोइंग्लैंड (England) और चेकोस्लोवाकिया (Czechoslovakia) से लाया गया था।
उन्होंने भारत के संविधान हॉल के एक कमरे में छह महीने तक पूरे संविधान की पांडुलिपि लिखी।
संविधान लिखने के लिए 251 पन्नों के चर्मपत्र कागज का इस्तेमाल करना पड़ा। संविधान का वजन
3 किलो 650 ग्राम है। संविधान 22 इंच लंबा और 16 इंच चौड़ा है।इस पांडुलिपि पर 24 जनवरी
1950 को संविधान सभा के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।इस पर पहला हस्ताक्षर भारत के
पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किए थे, जबकि संविधान सभा के अध्यक्ष फिरोज गांधी के
हस्ताक्षर सबसे आखिरी थे।देहरादून में स्थित सर्वे ऑफ इंडिया (Survey of India) के कार्यालय में
संविधान की हस्ताक्षरित पांडुलिपि को फोटोलिथोग्राफिक (Photolithographed) तकनीक से प्रकाशित
किया गया था। हालांकि, हैरानी की बात यह है कि संविधान की प्रस्तावना की तरह, इसके पन्नों को
मूल डिज़ाइन और लेखन के साथ वितरित नहीं किया गया।तथा प्रेम बिहारीका निधन 17 फरवरी
1986 को हुआ था।
हम सभी जानते हैं कि हमें आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी, लेकिन देश को चलाने के लिए
हमारे पास कोई संविधान नहीं था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनाने और कानून बनाने के लिए 26 नवंबर
1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया था और इसे 26 जनवरी 1950
को लागू किया गया था।संविधान बनाने के लिए वर्ष 1946 में संविधान सभा की स्थापना की गई
थी, जिसमें 389 सदस्य थे। उस सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी।वर्ष 1947 में देश
के विभाजन के बाद संविधान सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 299 रह गई।संविधान की संरचना
को संविधान सभा की स्थापना के 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 नवंबर 1949 को
अपनाया गया था। जिसके बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के 284 सांसदों द्वारा
हस्तलिखित संविधान पर हस्ताक्षर किए गए।26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया
गया था। संविधान में 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां 22 भागों में विभाजित हैं, जिन्हें अब तक
100 से अधिक बार संशोधित किया जा चुका है।स्मृति चिन्ह के रूप में संविधान की पहली मुद्रित
प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडियामेंमौजूद है।साथ ही मूल हस्तलिखित प्रति दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय
में मौजूद है।आज देश की आजादी के 70 साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी संविधान
को लागू हुए करीब-करीब यही समय हुआ है, संविधान की पहली प्रति आज भी एक दस्तावेज के रूप
में सुरक्षित है। संविधान की प्रति जो हस्तलिखित और बाद में छपी थी, देश की प्रगति की दिशा में
उठाए गए कदमों की गवाह है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3nWoa03
https://bit.ly/3tVm18M
https://bit.ly/3G53Ccg
चित्र संदर्भ
1. भारतीय संविधान के लेखक प्रेम बिहारी रायज़ादा जी को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. भारतीय संविधान के मुख्यप्रष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत का संविधान (सुलेख) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भू-स्थानिक विश्व मंच 2017 में भारत का संविधान (हैदराबाद, भारत) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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