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हमारे रामपुर को नवाब फैजुल्ला खान द्वारा‚ 1774 में स्थापित किया गया था।
रेलवे स्टेशन से लेकर भव्य प्रवेश द्वार तक‚ रामपुर के सभी भवनों को एक
विशिष्ट इंडो-सरसेनिक विधान में डिजाइन किया गया था। आज इस विरासत का
अधिकांश हिस्सा मलबे में खो गया है। हालांकि रामपुर के शुरुआती दिनों की
अधिकांश विरासत विलुप्त हो गई है‚ लेकिन नवाब हामिद अली खान के
शासनकाल में हुई भव्य निर्माण योजना के अवशेष‚ आज भी रामपुर की विरासत
के रूप में मिलते हैं। एक अंग्रेज इंजीनियर डब्ल्यूसी राइट (W.C. Wright) को
नवाब ने अपना मुख्य इंजीनियर घोषित किया था।
रामपुर में कोसी नदी‚ रामगंगा नदी की एक सहायक नदी है‚ जिसका उद्गम
कुमाऊं पहाड़ियों के निचले हिमालय से होता है। यह नदी अल्मोड़ा से लगभग सौ
किलोमीटर की यात्रा करते हुए‚ रामपुर को पार करती है। सदियों से इस नदी के
कारण रामनगर से रामपुर तक का क्षेत्र चावल के उत्पादन के लिए बहुत उपजाऊ
माना जाता है।
1905 में नवाब हामिद अली खान के शासनकाल के दौरान‚ रामपुर शहर से
लगभग 15 किलोमीटर उत्तर में‚ सिंचाई जैसे उद्देश्यों के लिए पानी के प्रवाह को
मोड़ने के लिए‚ कोसी नदी मे एक बांध बनाया गया था। सदियों से रामपुर की
भुमि को सींचने वाली नदी के पानी को पकड़े हुए‚ कोसी नदी पर 120 साल से
अधिक पुराने बांध आज भी मौजुद हैं।
कोसी नदी 720 किलोमीटर लंबी एक सीमा-पार नदी है‚ जो तिब्बत‚ नेपाल और
भारत से होकर बहती है। यह तिब्बत में हिमालय के उत्तरी ढलानों और नेपाल में
दक्षिणी ढलानों से गुजरती है। चतरा कण्ठ (Chatra Gorge) के उत्तर में सहायक
नदियों के एक प्रमुख संगम से‚ कोसी नदी को अपनी सात ऊपरी सहायक नदियों
के लिए सप्तकोशी के रूप में भी जाना जाता है। पूर्व से पश्चिम तक सूर्य कोशी
की सहायक नदियाँ दूध कोशी‚ भोटे कोशी‚ तमाकोशी नदी‚ लिखू खोला तथा
इंद्रावती हैं। इन सहायक नदियों में पूर्व में कंचनजंगा क्षेत्र से निकलने वाली तमोर
नदी और तिब्बत से अरुण नदी तथा सूर्य कोसी भी सम्मिलित हैं। सप्तकोशी
कटिहार जिले में कुर्सेला के पास गंगा में सम्मिलित होने से पहले भारत के उत्तरी
बिहार में प्रवेश करती है और वितरिकाओं में बंट जाती है।
इसकी अस्थिर प्रकृति को मानसून के मौसम के दौरान भारी मलबे के लिए तथा
भारत में बाढ़ के अत्यधिक प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इस नदी पर
इन बांधों की तरह ही छोटे छोटे वियरों का भी निर्माण किया गया है। एक वियर
(Weir) या लो हेड डैम (low head dam) एक नदी की चौड़ाई में एक ऐसा
अवरोध है जो पानी के प्रवाह को परिवर्तित कर देता है। इनका उपयोग झीलों‚
तालाबों और जलाशयों के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए भी किया
जाता है। वियर की कई आकृतियां होती हैं‚ लेकिन सामान्यतः पानी निचले स्तर
तक नीचे गिरने से पहले वियर शिखा के शीर्ष पर स्वतंत्र रूप से बहता रहता है।
वियर (Weir) और बांधों (Barrage) के कार्य समानता के बावजूद इनमें कुछ
अंतर होते हैं। वियर और बांध दोनों ही हेडवर्क कहलाते हैं‚ जिनका उपयोग
अपस्ट्रीम की तरफ पानी के शीर्ष को बढ़ाने के लिए किया जाता है। एक वियर
बस एक खुले चैनल के माध्यम से कंक्रीट या चिनाई द्वारा निर्मित संरचना है।
इनका उद्देश्य जल प्रवाह को नियंत्रित करने‚ निर्वहन को मापने‚ बाढ़ को रोकने
और नदियों को नौगम्य बनाना होता है। इसे अलग-अलग सामग्रियों जैसे लकड़ी‚
कंक्रीट और उद्देश्य के आधार पर चट्टानों‚ बजरी और शिलाखंडों को मिश्रित
करके बनाया जा सकता है।
इसी तरह एक बांध एक ठोस संरचना है‚ जिसमें बड़े फाटकों का एक समूह होता
है‚ जिसे बहते पानी की मात्रा को नियंत्रित करने हेतु खोला या बंद किया जाता है।
यह संरचना सिंचाई और अन्य प्रणालियों के लिए अपस्ट्रीम पानी की ऊंचाई को
समायोजित और स्थिर करने में सहायक होता है। जिन स्तंभों के पास पूल के
पानी के भार का समर्थन करने का कार्य होता है‚ उन स्तंभों के बीच वाल्व स्थित
होते हैं। वियर एक अभेद्य अवरोध है जो नदी के ऊपर की तरफ जल स्तर को
ऊपर उठाने के लिए बनाया जाता है। इसमें जल स्तर आवश्यक ऊंचाई पर होता है
और अतिरिक्त पानी तब वियर के ऊपर से बह सकता है। इसी तरह एक बांध के
ऊपर‚ विभिन्न स्तरों पर और अलग-अलग समय पर पानी की सतह को बनाए
रखने के लिए स्थापित समायोज्य गेट निर्मित होते हैं। वाल्व या गेट खोलकर जल
स्तर को समायोजित किया जाता है। बांध सामान्यतः बाढ़ वाली नदी के दूसरी
तरफ बनाया जाता है। ये वाल्व दोनों सिरों पर स्तंभों द्वारा समर्थित हैं तथा
केबिन से केबल द्वारा संचालित होते हैं। वियर और बांध दोनों ही जलमार्ग में
अवरोध होते हैं‚ लेकिन बांध एक महंगी संरचना है‚ जबकि वियर अपेक्षाकृत सस्ती
संरचना है। बांधों को शहरों के पास बनाया जाता है‚ ताकि शहर को बाढ़ से बचाने
के लिए फाटकों को खोलकर और बंद करके नदी में बहने वाले पानी की मात्रा को
नियंत्रित किया जा सके। इसके विपरीत‚ एक वियर को कुछ विशेष लक्ष्यों जैसे
पर्यटन स्थलों और संरक्षण क्षेत्रों में मछली को ऊपर की ओर तैरने की अनुमति
देने के लिए बनाया जाता है।
सुक्कुर बांध या पाकिस्तान-सुक्कुर बांध‚ सिंध के पाकिस्तानी प्रांत में सुक्कुर शहर
के पास सिंधु नदी पर बनाया गया है। इस बांध का निर्माण ब्रिटिश राज के काल
में 1923 से 1932 के मध्य हुआ था और इसे लॉयड डैम (Lloyd Dam) के नाम
से जाना जाता था। सुक्कुर बांध वास्तव में पाकिस्तान की सिंचाई प्रणाली का
गौरव है‚ क्योंकि यह दुनिया में इस प्रकार की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणाली है। यह
बांध उत्तर में सुक्कुर जिले और दक्षिण में मीरपुरखास जिलों की सिंचाई करता है।
यह कराची से लगभग 300 मील उत्तर पूर्व और सुक्कुर कण्ठ से 3 मील नीचे
स्थित है। एक बांध द्वारा नियंत्रित सिंचाई प्रणाली की शुरूआत ने‚ सिंध के
पाकिस्तानी प्रांत में मौजूदा खेती वाले क्षेत्रों को और अधिक तेज़ी से उत्पादन करने
हेतु उपजाऊ बनाया है। इस बांध का निर्माण कार्य एक बार पूरा होने के बाद‚
महामहिम द फर्स्ट काउंट ऑफ विलिंगडन (The 1st Count of Willingdon)‚
भारत के वायसराय द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। सिंध क्षेत्र लगभग पूरी
तरह से सिंधु के पानी पर निर्भर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां भूजल बहुत
सीमित मात्रा में है। प्रांत में वर्षा औसतन 150 से 200 मिमी प्रति वर्ष है‚ जबकि
वाष्पीकरण दर 1‚000 और 2‚000 मिमी के बीच है। इस प्रकार सिंध शुष्क क्षेत्रों
में से एक है और यह एकमात्र बांध है‚ जो अन्य बंजर भूमि की सिंचाई करता है।
सुक्कुर बांध का उपयोग सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण तथा सिंधु में पानी के प्रवाह को
नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है‚
जो मूल रूप से सात चैनलों का एक नेटवर्क है‚ जिसके माध्यम से नदी का पानी
बहता है।
विश्व में दूसरा सबसे बड़ा चैनल‚ रोहरी चैनल है‚ जो नारा चैनल से थोड़ा छोटा है‚
फिर भी पहले की तुलना में बहुत बड़ा प्रवाह अवशोषित करता है। इसका कृषि
योग्य क्षेत्र की सिंचाई के लिए बहुत बड़ा योगदान है। इस नहर प्रणाली की मुख्य
फसलें कपास‚ गेहूँ और गन्ना इत्यादि हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/2YOJqv0
https://bit.ly/398l4P2
https://bit.ly/3lnD7WV
https://bit.ly/2Xl66CA
https://bit.ly/3Ac5NZa
चित्र संदर्भ
1. रामपुर में कोसी नदी पर बने प्राचीन वियर का एक चित्रण (bl.uk)
2. कोसी नदी के बहाव का एक चित्रण (Prarang)
3. रामपुर की करीबी कोशी नदी के मानचित्र का एक चित्रण (Prarang)
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