बन्दूक की गोलियों के विरुद्ध रेशम की अभेद्यता

मेरठ

 20-05-2020 09:30 AM
हथियार व खिलौने

यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि अभी तक जिस रेशम को हमेशा एक नाज़ुक और मुलायम अहसास के लिए जाना जाता था, अचानक पता चलता है कि उसमें गोलियों से टकराने की ग़ज़ब की ताक़त है। 28 जून, 1914 को गैवरिलो प्रिंसिप (Gavrilo Princip) की गोली ने दुनिया को बदल डाला। उसने एक गोली दागी जिसने आर्च ड्यूक फ़्रांज़ फ़र्डिनैन्ड (Duke Franz Ferdinand) के गले की अंदरूनी नस को गम्भीर रूप से चोट पहुँचाई। ऑस्ट्रो-हंगेरियन (Austro-Hungarian) गद्दी के वारिस की रीढ़ में गोली (bullet) घुस गई। दुनिया की शक्तियों के लिए यह एक नया मोड़ साबित हुई जिसका ताल्लुक़ इस गुत्थी को सुलझाने से था कि गोली से सुरक्षा का कवच और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण कैसे ईजाद किए जाएँ। आगे के दिनों में समाचारों की रिपोर्ट में यह बताया गया कि फ़र्डिनैंड एक कम वज़न का अंतर्वस्त्र पहने थे उन्हें उनकी हत्या के प्रयासों से बचाने के लिए। इस रहस्योद्घाटन से कुछ लोगों ने यह अंदाज़ा लगाया कि प्रिन्सिप को फ़र्डिनैंड के उपायों के बारे में पता था, इसलिए उसने अपना लक्ष्य उसी अनुसार समायोजित कर लिया। इसके लिए जो युक्ति विकसित की गई, उसे आज हम बुलेटप्रूफ़ जैकेट (Bulletproof Vest) के नाम से जानते हैं।

सालों तक लोग बुलेट-रोधी सामग्री की तलाश में परेशान रहे।चिकित्सक, सार्वजनिक हस्तियाँ, राजनीतिज्ञ, यहाँ तक कि कुछ सन्यासी भी।लगभग 30 वर्ष पहले जब प्रिन्सिप ने फ़र्डिनैंड के सिर पर निशाना लगाया, ऐरिज़ोना (Arizona) में एक डॉक्टर इस तरह के आविष्कार पर काम कर रहा था- जॉर्ज ई. गुडफैलो (George E. Goodfellow) जिसे नेवी की अकादमी से झगड़ा करने के कारण निकाल दिया गया था, उन्हें पेट में गोली लगने से हुए घावों को ठीक करने का जुनून था। उन्होंने पहला लैपरोटॉमी (Laparotomy)(पेट के अंदर चीरा लगाकर ) किया। इयर्प भाइयों (Earp Brothers) का O.K. कोरल में युद्ध के बाद इलाज किया।एक विडम्बनापूर्ण घटनाक्रम में कैथेरीन कोल्ट (Catherine Colt) से शादी कर ली जो सैमुएल कोल्ट (Samuel Colt) की चचेरी बहन थी, जो हमनाम रिवॉल्वर का आविष्कारक था और जिसने उसे अमेरिका के शीर्ष गोली के घाव के चिकित्सक के रूप में स्थापित करने में विशेष भूमिका निभाई।1881 में गुडफ़ैलो ने देखा कि दो व्यापारी ल्यूक शॉर्ट (Luke Short) और जुआरी चार्ली स्टॉर्म्स (Charlie Storms) ने टॉम्बस्टोन (Tombstone) में एक दूसरे पर एक विवाद में गोली चला दी। यह वह जगह थी जहां से गुडफ़ैलो ने अपनी डॉक्टरी सेवा शुरू की थी जिसे वह दुष्टता का संघनन (Condensation of wickedness) कहते थे। दोनों ने बहुत ही नज़दीक से गोली चलाई थी। स्टॉर्मस के हल्के समर सूट (Summer Suit) ने आग पकड़ ली, 6 फ़ीट की दूरी से चली एक कट ऑफ़ कोल्ट 45 रिवाल्वर की एक राउंड गोलियों में से बाद में चली दो गोलियों में से एक से उसकी मौत हो गई। पहली गोली से वो बच गए लेकिन दूसरी गोली स्टॉर्मस के दिल को चीरती हुई निकल गई। गुडफ़ैलो ने बचे हुए हिस्से को निकालकर एक रेशम के रूमाल में लपेट लिया (जो वास्तव में स्टॉर्मस की छाती की जेब में था) जो गोली लगने से फटा नहीं था।यह तीन घटनाओं में से एक थी जिसमें रेशम ने किसी को गोली के घाव से बचाया।

1887 में, ऐलन स्ट्रीट (Allen Street) गोलीकांड के 6 साल बाद गुडफ़ैलो ने एक लेख प्रकाशित किया जिसका शीर्षक था ‘गोलियों के विरुद्ध रेशम की अभेद्यता’ जिसमें उन्होंने लिखा-‘बंदूक़ की एक समान नलियों से, एक समान ताक़त से दागी गई गोलियाँ पतले से रेशम के कपड़े की 4-6 तहों के पार निकलने में असफल रहती हैं ।’ द मयोनजे बैगाब (The Myeonje beagab), कोरिया की एक जैकेट जो सूती कपड़े की तहों से बनी थी, को ठहुआट बुलेट (Thwat Bullet) नाम से कम-से-कम दो दशक पहले से जाना जाता था। गुडफ़ैलो के लेख के प्रकाशन के 10 साल बाद , 16 मार्च, 1897 में, शिकागो में एक कैथोलिक पादरी काज़ीमीर ज़ेग्ले (Casimir Zeglen) ने अपने हाथ से कसकर सिली हुई 1/2 इंच मोटी, वज़न में 1/2 पाउंड प्रति स्क्वायर फ़ुट रेशम, लिनेन और ऊन से बनाई हुई एक जैकेट पहनी थी, और एक पिस्टल मार्क्समैन (pistol marksman) ने उसे मेयर और दूसरे अधिकारियों के सामने गोली मार दी। लोगों को लगा अराजकतावादी हमला हो गया और पादरी मारा गया किन्तु जैकेट ने अपना काम किया। काज़ीमीर उठ खड़ा हुआ। इस जैकेट की नक़ल में हुआ उत्पादन कम असरदार रहा, क्योंकि उनके नमूने उतने कसकर नहीं सिले गए थे।

1897 में काज़ीमीर बिना निवेशकों, समर्थकों और निर्माणकर्ताओं के अपने देश पोलैंड वापस चले गए। वहाँ जाकर वह पोलिश आविष्कारक जन स्ज़ेपेनिक (Jan Szczepanik) से जुड़ गए। आगे के सालों में, दो पोलिश आविष्कारकों में इस दावे को लेकर विवाद हो गया कि आधुनिक गोलीरोधी जैकेट की खोज का सही हक़दार कौन है? जैकेट सफल रही। प्रतिष्ठित और राजसी लोगों ने इसे पहना। प्रिंसिप द्वारा फ़र्डिनैन्ड की हत्या से 12 साल पहले, बुलेटप्रूफ़ जैकेट जिसका निर्माण काज़ीमीर ज़ेग्ले (Casimir Zeglen) और स्ज़ेपेनिक (Szczepanik) ने किया था, ने स्पेन के राजा अल्फोंसो तेहरहवें (Alfonso XIII), की हत्या के प्रयास में उनकी जान बचाई थी। पूरे प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उद्योगपतियों ने पोलिश द्वय का पक्ष लिया।

कृत्रिम बुलेटप्रूफ़ रेशम उत्पादन
देशी,विदेशी, विश्वयुद्धों के दौरान सभी मज़बूत कवच जानलेवा हथियारों का मुक़ाबला करने में अक्षम थे। तमाम लोगों की मौत हो गई। इसके बाद कसकर बुनी एक बहुलक केवलर (Polymer Kevlar) ने बचाव में मदद की जो लगभग 1960 के दशक में लोकप्रिय हुई। यह अब हर चीज़ में प्रयोग होती है- टेनिस रैकेट, फोर्मूला 1 कार, नावों के पाल से लेकर व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण जैसे कि बुलेटप्रूफ़ जैकेट्स।

नई कृत्रिम स्पाइडर (Spider) रेशम
नम्र मकड़ी से उत्पादित रेशम में कुछ प्रभावशाली गुण होते हैं। ये प्रकृति में मिलने वाली सबसे मज़बूत सामग्रियों में से एक होती है। यह लोहे (Steel) से ज़्यादा शक्तिशाली और केवलर (Kevlar) से ज़्यादा कठोर होते हैं। आजकल केम्ब्रिज विश्वविद्यालय (Cambridge University) ने एक नई सामग्री खोजी है जो स्पाइडर सिल्क की ताक़त, लोच और ऊर्जा सोखने की क्षमता रखती है। यह सामग्री मोटर साइकिल के हेलमेट (Helmet),पैराशूट(Parachute),बुलेटप्रूफ़ जैकेट्स (Bulletproof jackets) से लेकर हवाई जहाज़ में प्रयुक्त पंखों तक में प्रयोग होती है। इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी है- यह 98% पानी होता है। लेकिन 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार जितने भी प्रयोग इस सामग्री के अधिक उत्पादन के लिए किए गए, वे सफल नहीं हुए लेकिन इस पर अभी भी शोध जारी है। इसके लिए एक रोबोटिक डिवाइस(Robotic Device) पर काम चल रहा है जो रेशों को खींचने और तीव्रता से घुमाने का पूर्व के मुक़ाबले बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रही है। इसके अलावा मकड़ी की रेशम प्रोटीन और रेशमकृमि की रेशम प्रोटीन के समन्वय का प्रयोग करके कई शोधों में एक प्रकार के चटाई/आसन (Namofibrous mats) और स्पंज (Porous sponges) तैयार किए जा रहे हैं। ये चटाई/आसन त्वचा के घाव ठीक करती है और स्पंज नई त्वचा उत्पन्न करके उसे प्रत्यारोपित करके, मनुष्य की त्वचा का विकल्प देते हैं। ये चटाई/आसन ख़ास मानव त्वचा की कोशिकाओं के प्रसार और उनमें आपसी जुड़ाव को बढ़ाती हैं। भारत में नैसर्गिक रेशम निर्माण की परम्परा रही है। यहाँ रेशम के उच्च श्रेणी के कपड़े जैसे किमख़ाब, जामवार और ज़री का निर्माण होता था। आज सबसे मज़बूत और उच्च श्रेणी की बुलेटप्रूफ़ सुरक्षा कृत्रिम स्पाइडर रेशम से निर्मित कपड़े दे रहे हैं। भारतीय इस दिशा में शांत हैं। फिर भी, गुवाहटी में एक शोध प्रयोगशाला औषधीय उपयोग के कृत्रिम रेशम उत्पादन पर कार्य कर रही है।

सबसे मज़बूत और उच्च श्रेणी की बुलेटप्रूफ़ सुरक्षा कृत्रिम स्पाइडर रेशम से निर्मित कपड़े दे रहे हैं। भारतीय इस दिशा में शांत हैं।फिर भी, गुवाहटी में एक शोध प्रयोगशाला औषधीय उपयोग का कृत्रिम रेशम उत्पादन पर कार्य कर रही है।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र - वाशिंगटन, डी.सी. सितंबर 1923 में बुलेटप्रूफ बनियान का परीक्षण
2. दूसरे चित्र में सन 1901 Szczepanik द्वारा डिज़ाइन किए गए बुलेटप्रूफ जैकेट परीक्षण,
जिसमें 7 मिमी रिवाल्वर से बनियान पहने हुए व्यक्ति पर गोली फागी जा रही है।
3. तीसरे चित्र में चीन में तैयार पैडिंग वाली बुलेटप्रूफ दिख रही है।
4. चौथे चित्र में आधुनिक बुलेटप्रूफ है।
5. पांचवे चित्र में कृत्रिम बुलेटप्रूफ कास्केट दिखाई जा रही है।
6. अंतिम चित्र में कृत्रिम स्पाइडर सिल्क से बनी हुई बुलेटप्रूफ जैकेट दिख रही है।
सन्दर्भ:
1. https://www.wallswithstories.com/interior/pillows.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Pillow
3. https://bit.ly/2zco3Hx

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