मानव का उसके जीवन में कई बार कई दुर्घटनाओं से सामना होता रहता है। विशेषकर बचपन में खेलते समय, उनमें से एक है चोट लगना। चोटें भी दो तरह की होती हैं, जिनमें से एक स्वतः ही ठिक हो जाती है तथा दूसरी विशेष उपचार के पश्चात। किंतु इसमें एक चरण समान होता है, वह है चोट सही होने की प्रक्रिया, जो कुछ इस प्रकार हैं:
रक्तस्तम्भन चरण:
रक्तस्तम्भन चरण में घाव को आतंचन (Clotting; खून का थक्का बन जाना) की मदद से बंद किया जाता है। इसकी प्रक्रिया तब शुरू होती है जब शरीर से रक्त निकलने लगता है। रक्तस्तम्भन के पहले चरण में रक्त वाहिकाएं रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित करने के लिए बाध्य होती हैं। अगले चरण में प्लेटलेट (Platelet) एक साथ मिलकर रक्त वाहिकाओं की दरार पर एक दीवार बना देती हैं। अंत में प्लेटलेट, फाइब्रिन (Fibrin) के धागे (जो आणविक बाध्यकारी प्रतिनिधि की तरह होते हैं) के साथ जोड़कर स्कंदन मजबूत करता है। घाव को भरने की रक्तस्तम्भन प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है।
सूजन चरण:
सूजन घाव के उपचार का दूसरा चरण है और चोट लगने के ठीक बाद शुरू होता है, इसमें घायल हुई रक्त वाहिकाएं ट्रांसुडेट (Transudate; पानी, नमक और प्रोटीन से बना) का रिसाव करती हैं, जो स्थानीय सूजन का कारण बनता है। सूजन रक्तस्राव को नियंत्रित करता है और संक्रमण को रोकता है। वहीं द्रव की अतिरक्तता कोशिकाओं को उपचार और मरम्मत के लिए घाव तक पहुँचने की अनुमति देता है। सूजन चरण के दौरान, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं, रोगजनकों, और जीवाणुओं को घाव के क्षेत्र से हटा दिया जाता है। सूजन घाव के उपचार का एक प्राकृतिक हिस्सा है। लेकिन ये लंबे समय या अत्यधिक होने पर समस्या का कारण बन सकता है।
प्रफलन चरण:
प्रफलन चरण तब शुरू होता है जब घाव को कोलेजन (Collagen) और बाह्य कोशिका मैट्रिक्स (Matrix) से बने नए ऊतक के साथ पुनर्निर्मित किया जाता है। इस चरण में नए ऊतकों के बनने से घाव सिकुड़ने लगता है। मायोफ़ायब्रोब्लास्ट (Myofibroblasts) ही घावों के सिकुड़ने का कारण होता है, जो घावों के किनारों को पकड़कर उन्हें एक साथ खींचता है। वहीं स्वस्थ चरण में कणिकायन ऊतक गुलाबी या लाल और बनावट में असमतल होते हैं। इसके अलावा स्वस्थ ऊतक से खून नहीं बेहता है। गहरे रंग के कणिकायन ऊतक संक्रमण या खराब द्रवनिवेशन का संकेत हो सकता है।
परिपक्वता चरण
परिपक्वता चरण को घाव के उपचार का पुनःस्थापित चरण भी कहा जाता है। यह तब शुरू होता है, जब कोलेजन को प्ररूप III से प्ररूप I तक पुनःस्थापित किया जाता है और घाव पूरी तरह से बंद हो जाता है। जिन कोशिकाओं का उपयोग घाव की मरम्मत के लिए किया जाता है, उन्हें आवश्यकता ना होने पर एपोप्टोसिस (Apoptosis) द्वारा हटा दिया जाता है। आम तौर पर, चोट लगने के लगभग 21 दिन बाद पुनःस्थापित चरण की प्रक्रिया शुरू होती है और एक साल या उस से अधिक तक जारी रह सकती है।
घाव के उपचार के साथ-साथ हमारे द्वारा उनकी देख-रेख भी की जानी चाहिए, इसका तात्पर्य घाव को साफ और ढककर रखने से है। यह संक्रमण से रोकने में मदद कर सकता है। कुछ अन्य सावधानियां निम्नवत हैं:
1. मामूली घावों को नम्र साबुन और पानी से साफ करें। साथ ही घाव को पट्टी या अन्य ड्रेसिंग से ढकें।
2. बड़े घावों के लिए चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें।
3. घाव वाले स्थान को खरोंचने से बचाएं। यह घाव के उपचार के चरणों में हस्तक्षेप कर सकता है और वहां निशान भी छोड़ सकता है।
4. जब चोट का निशान रह जाता है तो कुछ लोग ये सोचते हैं कि इन्हें विटामिन ई (Vitamin E) या पेट्रोलियम जेली (Petroleum Jelly) के साथ मालिश करने से कम किया जा सकता है। हालांकि ये उपाय पूरी तरह से कारगर नही हैं। इसलिए बिना चिकित्सक के निर्देश के इसका इस्तेमाल ना करें।
5. कुछ कारक ऐसे भी होते हैं जो घावों को ठीक करने से रोक या धीमा कर सकते हैं, जैसे कि: संक्रमण, मधुमेह, अपर्याप्त रक्त प्रवाह, मोटापा, आयु, शराब का अधिक मात्रा में सेवन, तनाव, अन्य दवाएं और धुम्रपान। इन स्थितियों में चिकित्सक से संपर्क करें।
1.https://www.woundsource.com/blog/four-stages-wound-healing
2.https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000741.htm
3.https://www.webmd.com/first-aid/ss/slideshow-how-does-your-wound-heal
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