प्रत्येक प्रकार का कीट, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेरठ में रहते हुए आपको कई बार, अलग-अलग जगहों पर चींटियाँ और ततैया दिखाई दिए होंगे। चींटियाँ, आमतौर पर बड़ी कॉलोनियों में रहती हैं। वे अपने घर, भूमिगत, पेड़ों में या कभी-कभी इमारतों के अंदर भी बनाती हैं। इनकी कॉलोनियाँ बहुत ही व्यवस्थित होती हैं। चींटियाँ, मिट्टी को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। वे मिट्टी को हवादार बनाती हैं, जिससे पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है।
दूसरी ओर, ततैया पेड़ों में, घरों की छतों के नीचे या छिपे हुए कोनों में अपना घोंसला बनाती हैं। कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में ततैया बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। वे अन्य कीटों को खाती हैं, जिससे कीटों की संख्या संतुलित रखने में मदद मिलती है। चींटियाँ और ततैया, दोनों ही मेरठ के पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आज के इस लेख में हम सबसे पहले दीमक कॉलोनियों और उनकी दिलचस्प संरचनाओं पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम चींटियों और उनके जीवन चक्र का पता लगाएँगे। अंत में, हम ततैयों और उनके जीवन चक्र को देखेंगे।
चलिए शुरुआत दीमकों के साथ करते हैं: दीमक बहुत ही सामाजिक कीट होते हैं। आमतौर पर, हज़ारों दीमक, एक ही कॉलोनी में एक साथ रह सकते हैं।
भूमिगत रहने वाले दीमक आमतौर पर इंसानों की नज़र में आने से बचते हैं, जब तक कि इंसान उनके घरों और व्यवसायों को नुकसान न पहुँचाएँ। वे बड़ी भूमिगत कॉलोनियों में रहते हैं। एक दीमक कॉलोनी में कई हज़ार सदस्य हो सकते हैं।
दीमक तीन मुख्य जातियों में संगठित होते हैं:
1. प्रजनन करने वाले दीमक: प्रजनन करने वाले दीमक, जिन्हें एल्युट्स (Aleuts) के रूप में जाना जाता है, यह नई कॉलोनियों को शुरू करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इनके पंख वाले राजा और रानी, वसंत के मौसम के दौरान अपना घर छोड़ देते हैं। वे एक नई कॉलोनी शुरू करने के लिए जोड़ी बनाते हैं और संभोग करते हैं। संभोग के बाद, वे अपने पंख खो देते हैं और अपने नए घर के लिए एक कक्ष खोदना शुरू करते हैं। रानी अंडे का पहला बैच देती है और इनकी कॉलोनी बढ़ने लगती है। बड़े भाई-बहन छोटे बच्चों की देखभाल में मदद करते हैं। इनकी कॉलोनी में हर साल, सैकड़ों या हज़ारों नए सदस्य जुड़ सकते हैं। कुछ कॉलोनियों में दस लाख से ज़्यादा दीमक हो सकते हैं।
2. दीमक सैनिक: दीमक सैनिक कॉलोनी की रक्षा करते हैं। उनका मुख्य काम कॉलोनी को संभावित दुश्मनों, खास तौर पर चींटियों से बचाना होता है। चींटियों और दीमकों के बीच लड़ाई बहुत लंबे समय से चली आ रही है। आप सैनिक दीमकों को उनके नारंगी सिर और मज़बूत जबड़े से पहचान सकते हैं। वे किसी भी हमलावर चींटी को कुचलने के लिए अपने शक्तिशाली जबड़े का इस्तेमाल करते हैं।
3. दीमक श्रमिक: किसी भी कॉलोनी में श्रमिक दीमकों की संख्या सबसे अधिक होती है। इनपर भोजन इकट्ठा करने, दूसरे दीमकों को खिलाने और सुरंग बनाने जैसी कई ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। श्रमिक कॉलोनी के घोंसले की मरम्मत भी करते हैं और युवा दीमकों की देखभाल भी करते हैं। इनका शरीर छोटा और मुलायम होता है, लेकिन जबड़े काफ़ी मज़बूत होते हैं जो लकड़ी को भी चबा सकते हैं। श्रमिकों के पंख नहीं होते, वे प्रजनन नहीं कर सकते हैं। मरने से पहले वे लगभग दो साल तक दिन-रात काम करते हैं।
आइए अब चींटियों को समझते हैं: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में चींटियों की 10,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन्हें पहचानना बहुत ही आसान होता है। इनके पेट और वक्ष के बीच एक पतली कमर होती है। इनके शरीर पर एक कठोर बाहरी आवरण होता है, जिसे एक्सोस्केलेटन (exoskeleton) कहा जाता है। ज़्यादातर चींटियाँ या तो लाल होती हैं या काली होती हैं। इनकी लंबाई, लगभग 1/3 इंच से 1/2 इंच तक होती है।
चींटियों के पास छह पैर होते हैं। हर पैर में तीन जोड़ होते हैं। इनके सिर शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में बड़े होते हैं, जिनमें मिश्रित आँखें, कोहनी वाले एंटीना और मज़बूत जबड़े होते हैं।
चींटियों की कॉलोनी में तीन तरह की वयस्क चींटियाँ होती हैं:
रानी चींटियाँ: रानी चींटियाँ, सबसे बड़ी होती हैं और इनके पास पंख होते हैं। इनका मुख्य काम, अंडे देना होता है। एक रानी चींटी, 30 साल तक जीवित रह सकती है। प्रजाति और कॉलोनी के आकार के आधार पर, एक या उससे ज़्यादा रानियाँ हो सकती हैं।
मादा चींटियाँ: ये चींटियाँ, रानी से छोटी होती हैं और इनके पंख नहीं होते। मादा चींटियाँ बाँझ होती हैं। ये लगभग तीन साल तक जीवित रह सकती हैं। श्रमिक या सैनिक के रूप में जानी जाने वाली मादा चींटियाँ अंडों और लार्वा की देखभाल करती हैं, घोंसला बनाती हैं और उसकी मरम्मत करती हैं। साथ ही मादा चींटियाँ, भोजन भी ढूंढती हैं और कॉलोनी की रक्षा करती हैं।
नर चींटियाँ: नर चींटियाँ, बिना निषेचित अंडों से विकसित होते हैं। इन्हें ड्रोन कहा जाता है। नर चींटियों के पास भी पंख होते हैं, और ये रानी के साथ संभोग कर सकते हैं। ये मादा चींटियों से छोटी होते हैं और इनके एंटीना लंबे होते हैं। नर चींटियाँ संभोग करने के लिए केवल एक दिन के लिए कॉलोनी छोड़ती हैं। संभोग के बाद, ये आमतौर पर 10 से 14 दिनों के भीतर मर जाती हैं।
चींटी के जीवन चक्र में चार (अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क) चरण होते हैं। रानी अंडे देती है, जो कुछ दिनों में लार्वा में बदल जाते हैं। असहाय लार्वा का पालन पोषण श्रमिक चींटियों द्वारा तब तक किया जाता है, जब तक कि ये प्यूपा अवस्था में नहीं पहुँच जाते। लगभग एक सप्ताह के बाद, ये एक वयस्क चींटी में तब्दील हो जाती हैं।
चींटियाँ, सामाजिक कीट होती हैं और ये दुनिया भर में संगठित घोंसले के समुदायों में रहती हैं। इनका निवास स्थान, इनकी प्रजाति पर निर्भर करता है। वे भूमिगत, ज़मीन के ऊपर टीलों में, लकड़ी में या पौधों और पेड़ों में रह सकती हैं। चींटियाँ अपने घोंसले बनाने के लिए, मिट्टी और पौधों की सामग्री का उपयोग करती हैं। ठंडे क्षेत्रों में, सर्दियों के दौरान, चींटियाँ निष्क्रिय हो जाती हैं। जबकि गर्म जलवायु में, ये पूरे साल सक्रिय रहती हैं।
आइए अब ततैया को समझते हैं: दुनिया में ततैया की 30,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
ये प्रजातियाँ, दो मुख्य श्रेणियों में बंटी हुई हैं:
1. एकाकी
2. सामाजिक
ज़्यादातर ततैया एकाकी होती हैं, यानी ये अकेले रहती हैं और अपने काम खुद ही करती हैं।
एकाकी ततैयों के उदाहरणों में शामिल हैं: परजीवी ततैया, जो कृषि कीटों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और शिकारी ततैया, जो मकड़ियों और दूसरे कीड़ों का शिकार करती हैं।
सामाजिक ततैया: सामाजिक ततैयों की केवल लगभग 1,000 प्रजातियाँ ही खोजी गई हैं। लेकिन हमको सबसे अधिक इसी प्रजाति की ततैया दिखाई देती हैं। सामाजिक ततैयों में हॉर्नेट (hornets), येलो जैकेट (yellow jackets) और पेपर ततैया (paper wasps) शामिल हैं। ये ततैया, कॉलोनियों में एक साथ रहती हैं और मिलकर काम करती हैं।
ततैयों के शरीर में तीन (सिर, वक्ष और निचला पेट) मुख्य भाग होते हैं। निचले पेट में एक संकरी "कमर" होती है।
हॉर्नेट दो प्रमुख प्रकार के होते हैं:
1. गंजे चेहरे वाले हॉर्नेट
2. विशाल हॉर्नेट
गंजे चेहरे वाले हॉर्नेट, लगभग ½ इंच लंबे होते हैं, जबकि विशाल हॉर्नेट 1 इंच तक लंबे हो सकते हैं। दोनों प्रकार के हॉर्नेट, आमतौर पर आक्रामक नहीं होते, लेकिन अगर उन्हें खतरा महसूस होता है, तो वे अपने घोंसले की रक्षा जरूर करेंगे।
ततैया चार विकासात्मक चरणों से गुजरती हैं:
1. अंडा
2. लार्वा
3. प्यूपा
4. वयस्क
ततैया मुख्य रूप से घास के मैदानों, बागों, वुडलैंड्स (Woodlands), खेल के मैदानों, कब्रिस्तानों और शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। सभी ततैया, घोंसले बनाती हैं, लेकिन उनके घोंसले बनाने की आदतें एक दूसरे से काफ़ी अलग-अलग हो सकती है। सामाजिक ततैया कॉलोनियाँ, वसंत में घोसले बनना शुरू करती हैं। सर्दियों में हाइबरनेट करने के बाद, निषेचित रानी एक नया घोंसला बनाना शुरू करती है। इस छोटे से घोंसले में, रानी अपने अंडे देती है, जो प्रजनन प्रक्रिया का हिस्सा है।
पहले अंडे से वयस्क मादा श्रमिकों का एक समूह निकलता है। रानी इन लार्वा को तब तक खिलाती और उनकी देखभाल करती है जब तक कि वे प्यूपा नहीं बन जाते। जब वे वयस्क मादा श्रमिक बन जाती हैं, तो वे घोंसला बनाने का काम संभाल लेती हैं। इसके अलावा, वे रानी और लार्वा की देखभाल भी करती हैं, भोजन ढूंढती हैं और कॉलोनी की रक्षा करती हैं। इस बीच, रानी अंडे देना जारी रखती है। गर्मियों के अंत तक, कॉलोनी में हजारों ततैया हो सकती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2a5yenbc
https://tinyurl.com/2gcdwuxv
https://tinyurl.com/yyfhkdgm
चित्र संदर्भ
1. एक चींटी और ततैया को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
2. एक प्राणि उद्यान (zoological garden) में मृत तितली को खा रहे दीमकों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. चींटियों की कतार को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. रानी चींटी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. चींटी के घोंसले में प्यूपा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. घोंसले में ततैयों के समूह को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
7. अंडे के साथ घोंसले पर बैठी येलोजैकेट (Yellowjacket) ततैया को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)