स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2022 में, मेरठ में 1,868 नर्सें थीं। यह आंकड़ा, भारत के प्रति शहर 3390 नर्सों के औसत से कम है। इसके अलावा, प्रति 1,000 जनसंख्या पर, 1.96 नर्सों के साथ, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ (WHO)) द्वारा अनुशंसित, प्रति 1,000 जनसंख्या पर 3 नर्सों की दर से पीछे है। तो चलिए, आज भारत में नर्सों की कमी की स्थिति पर नज़र डालते हैं। हम भारत में, सबसे कम नर्सों वाले राज्यों पर भी नज़र डालेंगे। आगे, हम उन कारणों का पता लगाएंगे, जिनसे यह कमी हो रही है। इसके बाद, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि, भारतीय नर्सें, विदेशों में प्रवास क्यों करती हैं। अंत में, हम चर्चा करेंगे कि, भारत में नर्सों की कमी की समस्या को कैसे हल किया जा सकता है?
भारत में नर्सों की कमी की स्थिति:
भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल महासंघ (FICCI) एवं के पी एम जी(KPMG) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत पिछले कुछ वर्षों में, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नर्सों की संख्या में भारी कमी का सामना कर रहा है। इस रिपोर्ट का अनुमान है कि, अगर इस कमी को पूरा करना है, तो देश की संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की मौजूदा क्षमता – 57.5-58 लाख – को 8 गुना बढ़ाना होगा। उचित योग्यता वाले कार्यबल के लिए समायोजित यह कमी, 60 लाख पेशेवरों की वर्तमान उपलब्धता से 13 गुना तक बढ़ जाएगी।
नर्सों को उनकी मान्यता, भत्तों, वेतन और अन्य विशेषाधिकारों के मामले में, पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। इसके अलावा, बहुत सारी स्नातक नर्सें, हालांकि, संख्या में उपलब्ध हैं, नौकरी के लिए तैयार नहीं हैं।
केरल राज्य, प्रति 10,000 जनसंख्या पर 96 नर्सों और दाइयों के साथ, देश में सबसे अधिक नर्सों की सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद आंध्र प्रदेश (74.5 नर्सें प्रति 10,000 लोग) और मिज़ोरम (56.5 नर्सें प्रति 10,000 लोग) हैं। गोवा में प्रति 10,000 जनसंख्या पर, नर्सों और दाइयों की संख्या सबसे कम – 0.5, है। जबकि, दूसरा और तीसरा सबसे खराब अनुपात, क्रमशः हमारे राज्य उत्तर प्रदेश (प्रति 10,000 लोगों पर 0.8 नर्सें और दाइयां) और बिहार (1.9 नर्सें और दाइयां प्रति 10,000 लोग) में है।
भारत में नर्सों की कमी क्यों है?
1.) सेवानिवृत्त नर्सें: नर्सों की सेवानिवृत्ति, भारत में उनकी कमी के प्रमुख कारणों में से एक है। हर साल, हज़ारों प्रैक्टिसिंग नर्सें सेवानिवृत्त हो जाती हैं और उनके स्थान पर नई नर्सों की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ़, कोविड–19 महामारी के कारण, कॉलेज बंद , परीक्षाएं रद्द और परिणामों में देरी के कारण, बहुत से इच्छुक छात्रों ने नर्स बनने के फ़ैसले से मुंह मोड़ लिया |
2.) कोविड-19 प्रभाव: हालांकि, नर्सिंग रोज़गार पर कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को निर्धारित करना अभी जल्दबाज़ी होगी, लेकिन, इस बात के सबूत हैं कि, इससे इस क्षेत्र को नुकसान ही हुआ है। नर्सें महामारी के दौरान, मरीज़ों की देखभाल के तनाव से निपटने के लिए संघर्ष कर रही थीं । इस महामारी के शुरुआती महीनों में किए गए, एक कार्यबल सर्वेक्षण से पता चला था कि, इस महामारी के शुरुआती दिनों में बड़ी संख्या में नर्सों ने अपनी नौकरियां छोड़ दीं थीं।
3.) नर्सिंग शिक्षकों की कमी: भारत में, नर्सिंग शिक्षा और नर्सों की कमी के बीच एक स्पष्ट संबंध है। एक अध्ययन के अनुसार, नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ाने वाले शैक्षणिक रूप से योग्य प्रोफ़ेसरों की कमी है। चिंता का मुख्य स्रोत – उच्च प्रशिक्षित शिक्षाविदों, प्रमुख उपकरणों एवं सुविधाओं की व्यापक कमी है। इसके साथ ही, नए संकाय सदस्यों को नियुक्त करने के लिए, आवश्यक धन की भी कमी है।
4.) कई नर्सें, यह क्षेत्र छोड़ रही हैं: नर्सों की भारी कमी से निपटने के लिए, कुछ नर्सें, कई रोगियों के साथ लंबी शिफ़्ट में काम कर रही हैं। इससे तनाव बढ़ता है और नौकरी से कम संतुष्टि होती है, जिसके कारण, नर्सों को ये क्षेत्र छोड़ना पड़ सकता है। जब पर्याप्त नर्सें नहीं होती हैं, तो उपस्थित नर्सें, बहुत अधिक तनाव और दबाव महसूस करती हैं और अंततः नए पेशेवर विकल्प खोजने का विकल्प चुनती हैं।
5.) बढ़ती जनसंख्या: जैसे-जैसे हमारे देश की सबसे बड़ी पीढ़ी उम्रदराज़ हो रही है, अधिक उम्र वाली नर्सें सेवानिवृत्त हो रही हैं, और नई नर्सें जल्द ही उनकी जगह नहीं ले पा रही हैं। इसी तरह, जैसे-जैसे देश की आबादी बढ़ती जाएगी, अधिक व्यक्तियों को देखभाल की आवश्यकता होगी, और अब उन मांगों को पूरा करने के लिए, अपर्याप्त नर्सें हैं।
भारतीय नर्सें, विदेशों में प्रवास क्यों करती हैं?
संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में, नर्सों और देखभाल करने वालों को सालाना 40-50 लाख तक की पेशकश की जाती है। न्यूज़ीलैंड(New Zealand), जर्मनी(Germany) और अन्य मध्य पूर्वी देशों में, उनका वेतन पैकेज, लगभग समान है ।
जब नर्सिंग पेशेवर के रूप में, विदेश में काम करने की बात आती है, तो वेतन और कमाई की उच्च गुंजाइश, प्रमुख बाधा होती है। अपने देश और विदेश के बीच, भारी वेतन अंतर, नर्सों के बाहर जाने का मुख्य कारण बनता है । सीमित विकास और पेशेवर अवसरों के साथ, नर्सों को उनके गृह देश में मामूली रकम का भुगतान किया जाता है। यह स्थिति, उन्हें विदेश प्रवास के लिए, अधिक प्रभावित करती है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि, विदेशों में वेतन पैकेज और मौद्रिक लाभ, अत्यधिक आकर्षक हैं। यही प्रमुख कारण है कि, भारतीय नर्सें, अपने पेशे को आगे बढ़ाने के लिए, विदेश प्रवास करना पसंद करती हैं।
विदेशों में सकारात्मक नीतियां और प्रक्रियाएं भी, भारतीय नर्सों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को, विदेश प्रवास के लिए प्रोत्साहित करती हैं। भारतीय नर्सें, इसलिए भी विदेश यात्रा करती हैं, क्योंकि इससे उन्हें विविध अंतरराष्ट्रीय संस्कृतियों का अनुभव करने में मदद मिलती है। नर्सिंग में वैश्विक परिप्रेक्ष्य भी, उन्हें अपने नर्सिंग कौशल को तेज़ करने में मदद करता है।
भारत में नर्सों की कमी की समस्या का क्या समाधान हो सकता है?
1.) विशेष रूप से, स्वास्थ्य तकनीक और अन्य प्रौद्योगिकियों के आगमन के बीच, उन्हें भारत में ही, प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। टियर-2 और 3 (Tier - 2 and 3) शहरों में चुनौतियां, अधिक गंभीर हैं, जहां, अत्याधुनिक अस्पतालों या स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना के बावजूद, प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा बल की कमी है।
2.) इसके अलावा, नर्सिंग समुदाय भी, सरकार से अधिक समर्थन की आशा रखता है।
3.) जबकि, कुशल कार्यबल को बढ़ाने पर ध्यान देना, समय की मांग है, मौजूदा कार्यबल को बेहतर बनाने में निवेश करना भी, उतना ही महत्वपूर्ण है।
4.) अपनी नर्सों को उन्नत प्रशिक्षण और विशेष ज्ञान से लैस करके, हम न केवल, स्टाफ़िंग की कमी को पूरा करते हैं, बल्कि, हम कुछ लाभों का एक दरवाज़ा भी खोलते हैं।
5.) शैक्षिक कार्यशालाएं, स्कूल स्क्रीनिंग और सामुदायिक जागरूकता अभियान आयोजित करके, नर्सें, स्वास्थ्य पर आवश्यक जानकारी, प्रभावी ढंग से प्रसारित कर सकती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3cc242dm
https://tinyurl.com/2p93vdws
https://tinyurl.com/3yd642jd
https://tinyurl.com/3ryszpa3
चित्र संदर्भ
1. एक नर्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक मरीज़ के हाथ पर बंधे पलस्तर को काटती नर्स को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. दो नर्सों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रामीण क्षेत्र में काम करती महिला चिकित्साकर्मी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)