भारत में सड़क सुरक्षा से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर बात करते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways of India (MoRTH)) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में, भारत में, 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1,68,491 लोगों की मौत हुई और 4,43,366 लोग घायल हुए। यह आंकड़ा, पिछले साल के मुकाबले, दुर्घटनाओं में 11.9%, मौतों में 9.4% और घायलों में 15.3% की वृद्धि को दर्शाता है। वाराणसी में, 539 हादसों में 294 लोगों की मौत हुई। इनमें से अधिकतर हादसे, सर्दी के मौसम में, खासकर कोहरे के कारण हुए।
इसके अलावा, मुंगरा बादशाहपुर में प्रस्तावित बाईपास, अब फ़ोर लेन (four lane) के बजाय टू-लेन बनेगा। यह बाईपास प्रयागराज, आजमगढ़, गोरखपुर, और जौनपुर जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ते हुए सड़क यातायात को और अधिक सुरक्षित और सुगम बनाने में मदद करेगा। खासकर कोहरे और ख़राब मौसम में, जब सड़क पर गाड़ियों का तेज़ आना-जाना और जाम की स्थिति अधिक ख़तरनाक हो सकती है, तब इस बाईपास के निर्माण से वाहन चालकों को बेहतर मार्ग मिलेगा। इससे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना कम हो सकती है। इस बाईपास का निर्माण, प्रयागराज महाकुंभ से पहले शुरू होगा, और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी।
इस लेख में, हम भारत में सड़क सुरक्षा से जुड़े सबसे बड़े मुद्दों को समझेंगे और जानेंगे कि क्रैश सर्विलांस सिस्टम (Crash Surveillance System) क्या है और भारत को इसकी आवश्यकता क्यों है, और सर्दी में कोहरे में सुरक्षित ड्राइविंग के कुछ टिप्स भी जानेंगे।
भारत में सड़क सुरक्षा और यातायात से जुड़ी समस्याएं
▸ सड़क सुरक्षा मानकों का सही ढंग से पालन न होना – कभी-कभी सड़क पर सही संकेतक चिन्ह नहीं लगाए जाते या उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया जाता। यह आवश्यक है कि ज़िम्मेदार प्राधिकरण इन समस्याओं को जल्द से जल्द ठीक करें।
▸वाहनों का खराब डिज़ाइन – भारतीय वाहन निर्माताओं के वाहनों में सुरक्षा फ़ीचर्स की कमी होती है। पश्चिमी देशों में जहां वाहनों में स्वचालित सुरक्षा सुविधाएं होती हैं, वहीं भारतीय वाहनों में इसका अभाव है।
▸सरकारों की लापरवाही – राज्य सरकारें, अपनी सड़कों की सही योजना नहीं बनातीं। इसके अलावा, सड़कों की स्थिति को लेकर भी सरकारों की लापरवाही साफ़ नज़र आती है।
▸आपातकालीन सेवाओं की कमी – सड़क सुरक्षा नियम होने के बावजूद, आपातकालीन सेवाओं की पूरी तरह से कमी है। जब त्वरित प्रतिक्रिया टीम उपलब्ध नहीं होती, तो पीड़ित मौके पर ही अपनी जान गंवा देते हैं। इसीलिए, आपातकालीन सेवाएं अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
▸नागरिकों में ज़िम्मेदारी की कमी – नागरिकों में ज़िम्मेदारी का अभाव है। अधिकांश समय ये लोग ही गलतियां करते हैं और सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी करते हैं।
▸ खराब सड़कों की स्थिति – खराब सड़कों की स्थिति भी भारत में सड़क हादसों का एक प्रमुख कारण है।
क्रैश सर्विलांस सिस्टम: यह क्या है और भारत को इसकी आवश्यकता क्यों है
क्रैश सर्विलांस सिस्टम एक ऐसा राष्ट्रीय डेटाबेस है, जो सड़क दुर्घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करता है। इसमें दुर्घटना के प्रकार, दुर्घटना में शामिल वाहनों का विवरण, और पीड़ितों की जानकारी जैसी अहम बातें शामिल होती हैं। फ़िलहाल , भारत में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। वर्तमान में जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वे पुलिस थानों के रिकॉर्ड से इकट्ठा किए जाते हैं, जिससे विश्लेषण की गहराई और सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता सीमित रहती है।
यदि क्रैश सर्विलांस सिस्टम को लागू किया जाए, तो यह सड़क सुरक्षा प्रबंधन को बेहतर बनाएगा। इससे हमें सही और विस्तृत आंकड़े मिलेंगे, जिनकी मदद से सड़क सुरक्षा नीतियों का सही मूल्यांकन किया जा सकेगा और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।
सर्दियों में कोहरे के दौरान, सुरक्षित ड्राइविंग के टिप्स
1.) अपनी लाइटों का सही उपयोग करें: दिन में भी अपनी लो-बीम हेडलाइट्स चालू करें। हाई-बीम का उपयोग न करें, क्योंकि यह कोहरे पर रिफ़्लेक्ट होता है और आपके और उपकरणों की दृश्यता (visibility) कम हो सकती है। अगर आपकी गाड़ी में फ़ॉग लाइट्स हैं, तो उनका इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि ये कोहरे को काटने के लिए डिज़ाइन की सुविधा देता है और बेहतर (visibility) प्रदान करता है।
2.) गति कम करें और दूरी बनाए रखें: कोहरे में ड्राइविंग करते समय अपनी गति को कम करें। इससे आपको अचानक आने वाली रुकावटों या ट्रैफ़िक में बदलाव का जवाब देने के लिए अधिक समय मिलेगा। इसके अलावा, हमेशा अपने वाहन और सामने वाले वाहन के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखें। कोहरे में दूरी का सही अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है, और पर्याप्त जगह होने से अचानक रुकने का मौका मिलेगा।
3.) गति नियंत्रित करें: भारतीय हाईवे पर तेज़ गाड़ी चलाना कभी भी सही नहीं है और कोहरे में तेज़ चलना तो बिल्कुल गलत है। कोहरे में आपको अपनी गति को धीमा करना चाहिए, ताकि आप अनदेखे रुकावटों या सड़क की स्थिति में बदलाव के लिए जल्दी प्रतिक्रिया दे सकें। इससे न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि ट्रैफ़िक का फ़्लो भी बेहतर होगा।
4.) सड़क के मार्किंग का उपयोग करें: कोहरे में सड़क के निशान एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन होते हैं। इनका उपयोग करें ताकि आप अपनी लेन में बने रहें। यह सरल तरीका, आपको सही दिशा में रखता है और सामने से आने वाले ट्रैफ़िक से टकराव को कम करता है।
5.) अपने आस-पास की जानकारी रखें: कोहरे में ड्राइविंग करते समय अपनी दृष्टि और सुनने की क्षमता को तेज़ कर दें और हमेशा अपने आस-पास पर ध्यान रखें। कोहरे में ड्राइविंग करते हुए अन्य वाहनों की आवाज़ सुनने की कोशिश करें, ताकि आप किसी अप्रत्याशित स्थिति में प्रतिक्रिया दे सकें।
6.) हैज़र्ड लाइट्स (Hazard Lights) का सही उपयोग करें: यह टिप इस लिस्ट में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में अधिकांश लोग कोहरे के दौरान हैज़र्ड लाइट्स का गलत इस्तेमाल करते हैं। आपकी गाड़ी की हैज़र्ड लाइट्स तभी चालू करें जब आपकी गाड़ी पूरी तरह से रुक गई हो या बहुत धीमी गति से चल रही हो। यदि आप अपनी हैज़र्ड लाइट्स चालू कर देते हैं, तो आपका टर्न सिग्नल काम नहीं करेगा, जिससे लेन चेंज या मोड़ लेने में परेशानी हो सकती है। साथ ही, इससे अन्य ड्राइवरों को भ्रमित किया जा सकता है।
संदर्भ -
https://tinyurl.com/2ubc3vf8
https://tinyurl.com/4ywfbhvz
https://tinyurl.com/445e4zk7
https://tinyurl.com/bdh4f3cn
https://tinyurl.com/5r9bcuw7
चित्र संदर्भ
1. कोहरे से ढकी सड़क को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय सड़क पर चल रही गाड़ियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कोहरे में ड्राइविंग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. कोहरे में लाइट चमकती एक गाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)