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आइए जानें, इंटरनेट और इसके महत्त्व के बारे में

जौनपुर

 28-09-2024 01:41 PM
संचार एवं संचार यन्त्र
दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह ही हमारे शहर जौनपुर में भी इंटरनेट संचार, शिक्षा और व्यवसाय के लिए, एक प्रमुख उपकरणबन गया है। इसकी उत्पत्ति का पता, अरपानेट (ARPANET) से लगाया जा सकता है, जो 1960 के दशक मेंअमेरिकी सरकार द्वारा विकसित, एक नेटवर्क था। अरपानेट ने कंप्यूटरों को जोड़कर, डेटा साझाकरण की अनुमति देकर, आधुनिक इंटरनेट की नींव रखी। समय के साथ, यह तकनीक, वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) में विकसित हुई और जौनपुर जैसेछोटे शहरों तक भी पहुंच गई। आज, जौनपुर में, लोग ऑनलाइन शिक्षा, स्थानीय व्यापार विकास,और दुनिया से जुड़े रहने के लिए, इंटरनेट से लाभान्वित होते हैं। इसलिए, आज, हम अरपानेट के इतिहास का पता लगाएंगे। हम समझेंगे कि, यह तकनीक क्या है। साथ ही, हम टी सी पी / आई पी प्रोटोकॉल (TCP/IP protocol) पर चर्चा करेंगे, जिसका उपयोग, इसके विकास में किया गया था। अंत में, हम नेटवर्क कंट्रोल प्रोटोकॉल (एन सी पी – Network Control Protocol) पर भी नज़र डालेंगे, जिसका उपयोग, अधिक उन्नत टी सी पी / आई पी प्रोटोकॉल द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने से पहले, अरपानेट में किया गया था।
अरपानेट का विकास, 1966 में शुरू हुआ था। तब, इसके कई मानक, विकसित किए गए थे। उस समय, नेटवर्क कंट्रोल प्रोग्राम (एनसीपी), मेज़बानों के बीच, संचार को संभालता था और पहले कमांड – टेलनेट(Telnet) और फ़ाइल ट्रांसफ़र प्रोटोकॉल (एफ़टीपी – File Transfer Protocol) का समर्थन करता था। यह संचार के लिए, पैकेट-स्विचिंग तकनीक(Packet-switching technology) का उपयोग करता था। जबकि, इंटरफ़ेस संदेश प्रोसेसर(Interface Message Processor), मेज़बानों के बीच, संदेश भेजने के लिए, विकसित किया गया था। इसे, पहला पैकेट गेटवे(Packet gateway) या राउटर(Router) माना जा सकता है। हार्डवेयर मोडेम(Hardware Modems) भी डिज़ाइन किए गए और भाग लेने वाले संगठनों कोभेजे गए।
वास्तव में, अरपानेट परपहला संदेश, 29 अक्तूबर, 1969 कोभेजा गया था। साथ ही, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (UCLA) और स्टैनफ़ोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI) के बीच पहला स्थायी कनेक्शन, 21 नवंबर, 1969 को स्थापित किया गया था। 1970 के दशक की शुरुआत में अरपानेट तेज़ी से विकसित हुआ। इस दौरान, कई विश्वविद्यालय और सरकारी कंप्यूटर, नेटवर्क से जुड़े। 1975 में, अरपानेट का प्रचालन घोषित किया गयाऔर इसका उपयोग, भविष्य की संचार प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए किया गया। समय के साथ, उपग्रह लिंक का उपयोग करके, अन्य देशों में भी, कई कंप्यूटर जोड़े गए।
इस तकनीक के लोकप्रिय होने के बाद, कई पैकेट-आधारित नेटवर्क तेज़ी से, परिचालन में आये। मौजूदा नेटवर्क में मानकीकृत उपकरणों की आवश्यकताओं के कारण, ये विभिन्न नेटवर्क, एक दूसरे के साथ, संचार नहीं कर सके। इसलिए, टीसीपी/आईपी को विभिन्न नेटवर्कों के बीच, संचार को सक्षम करने के लिए, एक प्रोटोकॉल के रूप मेंविकसित किया गया था। इसे पहली बार, 1977 मेंपरिचालन में लाया गया था।
टीसीपी/आईपी ने नेटवर्कों के एक अंतःपरस्पर संबद्ध नेटवर्क को सक्षम किया हैऔर यह इंटरनेट की मूलभूत तकनीक है। 1 जनवरी, 1983 को टीसीपी/आईपी नेअरपानेट की अंतर्निहित पैकेट-स्विचिंग तकनीक के रूप में, एनसीपी का स्थान ले लिया।
वास्तव में, अरपानेट (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी नेटवर्क – Advanced Research Projects Agency Network), एक पहला कंप्यूटर नेटवर्क था, जिसने, भौगोलिक रूप से फ़ैले हुए, कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए, पैकेट स्विचिंग का उपयोग किया,एवं इंटरनेट के विकास की नींव रखी। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग की उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (ARPA) द्वारा, 1960 के दशक के अंत, और 1970 के दशक की शुरुआत में विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में,कंप्यूटर और शोधकर्ताओं को जोड़ने के लिए विकसित किया गया था। अमेरिकी सरकार ने अरपानेट को एक मज़बूत, विश्वसनीय और विकेंद्रीकृत संचार प्रणाली बनाने के लिए, वित्त पोषित किया थाऔरइसका उपयोग, सैन्य और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए, किया जा सकता है।
अरपानेट का विकास, कई शोधकर्ताओं और संस्थानों के बीच, एक सहयोगात्मक प्रयास था। इस नेटवर्क के लिए, प्रारंभिक अवधारणा, 1967 मेंमैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी – Massachusetts Institute of Technology) के एक शोधकर्ता, लैरी रॉबर्ट्स (Larry Roberts) द्वारा प्रस्तावित की गई थी। अरपा (ARPA) ने, अंततः, इस परियोजना को अपने हाथों में ले लिया और इस नेटवर्क को वास्तविकता बनाने के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराया।

अरपानेट का पहला नोड(Node) 1969 में, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया था। अगले कुछ वर्षों में स्टैनफ़ोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI) व कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय सहित, विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में, इसके अतिरिक्त नोड्स जोड़े गए। 1971 तक, इसके नेटवर्क में, 15 नोड्स शामिल थे।
अरपानेट, उन कई तकनीकों का मूल भी था, जो अब आधुनिक इंटरनेट के लिए, आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, पहला ईमेल संदेश, 1971 में, अरपानेट पर भेजा गया था। इस नेटवर्क पर, पहला ऑनलाइन चैट सिस्टम (Online chat system), 1973 में, विकसित किया गया था। इसके अलावा, अरपानेट, टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल का उपयोग करने वाला पहला नेटवर्क था, जिसका उपयोग, आज भी, इंटरनेट संचार के लिए, मानक के रूप में किया जाता है।
आइए अब, टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल के बारे में जानते हैं। टीसीपी/आईपी मॉडल, कंप्यूटर नेटवर्किंग के लिए, एक बुनियादी ढांचा है। इसका मतलब, ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल(Transmission Control Protocol)/इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol) है, जो इंटरनेट के मुख्य प्रोटोकॉल हैं। यह मॉडल, परिभाषित करता है कि, नेटवर्क पर डेटा कैसे प्रसारित किया जाता है, जिससे, उपकरणों के बीच विश्वसनीय संचार सुनिश्चित होती है । प्रत्येक स्तर में, विशिष्ट कार्य होते हैं, जो नेटवर्क संचार के विभिन्न पहलुओं को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। इससे, यह आधुनिक नेटवर्क को समझने और उनके साथ काम करने के लिए आवश्यक हो जाता है।
टीसीपी/आईपी को, 1960 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग (Department of Defense ) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया था। यह एक मानक प्रोटोकॉल पर आधारित है।
इस प्रोटोकॉल का मुख्य कार्य, कंप्यूटर के डेटा को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफ़र करना है। इस प्रक्रिया की मुख्य शर्त, डेटा को विश्वसनीय और सटीक बनाना है, ताकि, प्राप्तकर्ता कोवही जानकारी प्राप्त हो, जो प्रेषक द्वारा भेजी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए, कि प्रत्येक संदेश, अपने अंतिम गंतव्य तक, सटीक रूप से पहुंचे, टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल, अपने डेटा को पैकेट में विभाजित करता है। फिर यह, उन्हें उस छोर पर जोड़ता है, जो एक छोर से दूसरे छोर तक स्थानांतरित करते समय डेटा की सटीकता बनाए रखने में मदद करता है।

एक तरफ़, नेटवर्क कंट्रोल प्रोटोकॉल (एन सी पी), 1970 और 1980 के दशक की शुरुआत में, कंप्यूटर नेटवर्क के लिए, एक संचार प्रोटोकॉल था। जिसने , आधुनिक इंटरनेट के पूर्ववर्ती अरपानेट मेज़बान कंप्यूटरों पर चलने वाले प्रोटोकॉल स्टैक का ट्रांसपोर्ट स्तर प्रदान किया।
प्रारंभिक अरपानेट के दौरान, उपयोग किए जाने वाले, ट्रांसपोर्ट लेयर प्रोटोकॉल (Transport layer protocol) के रूप में एनसीपी, ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल से पहले आया था। एनसीपी, एक सिंप्लेक्स प्रोटोकॉल (Simplex protocol) था, जो दो पोर्ट नंबरों (Port numbers) का उपयोग करता था। यह, दो-तरफ़ा संचार के लिए, दो कनेक्शन स्थापित करता था। नेटवर्क कंट्रोल प्रोग्राम, अतः, मेज़बान कंप्यूटर पर, एक सॉफ़्टवेयर का नाम था, जो अरपानेट के नेटवर्क कंट्रोल प्रोटोकॉल को लागू करता था।
1 जनवरी, 1983 को, यह तकनीक हालांकि, आधिकारिक तौर पर, अप्रचलित हो गई थी। क्योंकि, तब अरपानेट ने अपने मुख्य नेटवर्किंग प्रोटोकॉल (Networking protocols) को इससे अधिक लचीले, और कुशल – टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल में बदल दिया। यह नवाचार, आधुनिक इंटरनेट की शुरुआत का प्रतीक था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5n6bwbt7
https://tinyurl.com/4f4a82hm
https://tinyurl.com/443u952d
https://tinyurl.com/2f33s8fy

चित्र संदर्भ
1. मोबाइल के प्रयोग को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. अरपानेट के पहले इंटरफ़ेस मेसेज प्रोसेसर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. फ़ाइल ट्रांसफ़र प्रोटोकॉल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. इंटरनेटम्यूज़ियम के लिए, जेस्पर वॉलरबोर्ग द्वारा बच्चों और युवाओं के लिए बनाई गई कॉमिक के रूप में इंटरनेट के सचित्र इतिहास को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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