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खाद के तमाम फ़ायदों के बावजूद, कुछ किसान उर्वरकों को क्यों प्राथमिकता देते हैं?

मेरठ

 31-08-2024 09:06 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)
ए टी टेक्नोलॉजी, एस जे ऑर्गेनिक्स, और नेचर गोल्ड ऑर्गेनिक्स, हमारे शहर मेरठ में, कुछ मुख्य गाय गोबर टिकिया और खाद विक्रेता हैं। खाद, जानवरों, विशेषकर गायों, मुर्गियों और घोड़ों का, विघटित ठोस अपशिष्ट मल होता है। इसे, पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए, मिट्टी में मिलाया जाता है। ऐसे खाद का उपयोग, उर्वरक और बायोगैस प्राप्त करने के लिए, प्राथमिक सामग्री के रूप में भी किया जा सकता है। इसके विपरीत, उर्वरक शब्द, पौधों को पोषण देने के लिए, उपयोग किए जाने वाले, किसी भी कार्बनिक या रासायनिक यौगिक को संदर्भित करता है। यह यौगिक, खाद या अन्य कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों से बना हो सकता हैं। आज,हम इस लेख के माध्यम से, खाद और उर्वरक के बीच मुख्य अंतर का पता लगाएंगे । आगे, हम भारतीय किसानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले, विभिन्न प्रकार के खाद और उर्वरकों के बारे में बात करेंगे। उसके बाद, हम जानेंगे कि, खाद, उर्वरकों से बेहतर क्यों है। अंत में, हम खाद और उर्वरकों के अर्थशास्त्र पर चर्चा करेंगे। हम यह भी पता लगाएंगे कि, कुछ किसान, खाद के बजाय, उर्वरकों को क्यों प्राथमिकता देते हैं और कई किसान हरी खाद का उपयोग करने से क्यों दूर हो रहे हैं।
उर्वरक और खाद के बीच, उत्पादन प्रक्रिया से लेकर, पर्यावरण पर उनके दीर्घकालिक प्रभाव तक, अंतर होता है। नीचे कुछ सबसे महत्वपूर्ण तत्व दिए गए हैं, जो खाद और उर्वरक को अलग करते हैं:
1.) खाद एक कार्बनिक पदार्थ है, जो पूरी तरह से पशु अपशिष्ट और कृषि सामग्री से बना है। विनिर्माण प्रक्रिया में प्रयुक्त सामग्री के आधार पर, उर्वरक जैविक या अकार्बनिक हो सकते हैं।
2.) खाद, खाद के ढेर, खुले गड्ढों या डाइजेस्टर(Digester) में विघटित होती है। दूसरी ओर, अधिकांश उर्वरक, आमतौर पर, रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग करके कारखानों में निर्मित होते हैं।
3.) खाद में, केवल सीमित मात्रा में, पौधों के पोषक तत्व शामिल हो सकते हैं। इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल होता है, क्योंकि, यह जानवरों के अपशिष्ट से प्राप्त एक प्राकृतिक उत्पाद है। उर्वरक पौधों के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, क्योंकि, विनिर्माण प्रक्रिया अधिक सटीक होती है, और इसमें वांछित तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग शामिल होता है।
4.) खाद में विघटित पौधे और पशु अपशिष्ट, मिट्टी में ह्यूमस(Humus) जोड़ते हैं, लेकिन, उर्वरक में यह क्षमता नहीं होती है।
5.) मिट्टी और पौधे, धीरे-धीरे, खाद को अवशोषित करते हैं, क्योंकि, यह पानी में अघुलनशील होती है। जबकि, उर्वरक, पानी में जल्दी घुल जाते हैं।
विभिन्न प्रकार की खाद:
1.) हरी खाद: हरी खाद, बोए गए पौधों से बनाई जाती है, जिनकी खेती, हरी खाद वाली फ़सलें प्राप्त करने के लिए, की जाती है। उदाहरण के लिए, हॉर्स ग्राम(Horse gram), सनहेम्प(Sunhemp), लोबिया(Cowpea) और ग्वार(Guar)। इसके बाद, फ़सल को दोबारा लगाया जाता है, जहां यह मिट्टी को फ़ॉस्फ़ोरस, नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध करती है। साथ ही, यह मिट्टी को लीचिंग(Leaching) और कटाव से बचाती है।
2.) खाद: खाद, विघटित कार्बनिक पदार्थों का मिश्रण है, जो सीवेज, सब्ज़ी अपशिष्ट, कचरा और अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है। खाद बनाना, एक ऐसी प्रक्रिया है, जो मिश्रण को गड्ढों में विघटित कर देती है।
3.) फ़ार्मयार्ड खाद (Farmyard Manure): फ़ार्मयार्ड खाद(FYM), खेतों से आती है, और यह मवेशियों के मूत्र और गोबर के साथ-साथ, चारा या (Roughage) एवं कूड़े जैसे जैविक अवशेषों का एक मिश्रण होती है। मवेशियों के अपशिष्ट उत्पादों को, प्रतिदिन एकत्र किया जाता है, और एक गड्ढे में फेंक दिया जाता है। इस गड्ढे में, कवक, बैक्टीरिया आदि सूक्ष्मजीव, इसे विघटित कर देते हैं। फ़ार्मयार्ड खाद में फ़ॉस्फ़ोरस, नाइट्रोजन और पोटैशियम मौजूद होते हैं।
4.) वर्मीकम्पोस्ट(Vermicompost): वर्मीकम्पोस्टिंग, एक ऐसी प्रक्रिया है, जो केंचुए के अंतर्ग्रहण के माध्यम से, जैविक कचरे को विघटित करती है। ड्रॉइडा विल्सी(Drawida Willsi) और डिचोगास्टर बोलानी(Dichogaster Bolani), वे केंचुए हैं, जिनका उपयोग, वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए किया जाता है।
विभिन्न प्रकार के उर्वरक:
1.) नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक: नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक, कार्बनिक और खनिज पदार्थ होते है, जिनका उपयोग, पौधों को नाइट्रोजन पोषण प्रदान करने के लिए किया जाता है। उन्हें, हरे उर्वरकों (जैसे सेराडेला(Serradella) तथा ल्यूपिन(Lupine)), निर्मित खनिज उर्वरकों, और जैविक उर्वरकों (जैसे खाद, पीट और कम्पोस्ट) में विभाजित किया गया है, जिनमें अन्य पोषक तत्व होते हैं।
2.) पोटैश उर्वरक: पोटैश उर्वरक, एक रासायनिक उर्वरक है, जिसमें पोटैशियम का अवशोषित रूप होता है। यह पानी में घुलनशील होता है, और पोटैशियम नाइट्रेट और पोटेशियम क्लोराइड जैसे रूपों में, पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध होता है।
3.) फ़ॉसफ़ेटिक उर्वरक: फ़ॉसफ़ेटिक उर्वरक का उत्पादन, हड्डी या रॉक फ़ॉस्फ़ेट(Bone or Rock phosphates) को फ़ॉसफ़ोरिक या सल्फ्यूरिक अम्ल(Phosphoric or sulphuric acid) के साथ, उचित सांद्रता और मात्रा में प्रतिक्रिया करके बनाया जाता है। इससे, डायकैल्शियम फ़ॉस्फ़ेट (Dicalcium phosphate) और सिंगल सुपरफ़ॉस्फ़ेट(Single superphosphate) जैसे ठोस उत्पाद प्राप्त होते हैं ।
4.) जटिल उर्वरक: जटिल उर्वरकों में, दो या दो से अधिक, प्राथमिक पौधों के पोषक तत्व होते हैं। उनमें से कुछ पौधों को रासायनिक रूप से संयोजित किया जाता है। इस प्रकार का उर्वरक, आमतौर पर, अमोनियम फ़ॉस्फ़ेट(Ammonium phosphate), डायमोनियम फ़ॉस्फ़ेट(Diammonium phosphate) और नाइट्रोफ़ॉस्फ़ेट(Nitrophosphate) जैसे दानों के रूप में, उत्पादित किया जाता है।
दरअसल, प्रश्न यह है कि, खाद, उर्वरक से बेहतर क्यों है? वास्तव में, विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय(University of Wisconsin-Madison) द्वारा किए गए, एक ऐतिहासिक अध्ययन से पता चला है कि, अकार्बनिक उर्वरकों के उपयोग की तुलना में, खाद फ़सल की उपज और मिट्टी की गुणवत्ता के मामले में, बेहतर परिणाम प्रदान करती है।
1.) मिट्टी का पीएच(pH): मिट्टी का पीएच, फ़सल उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि, इसका ज़मीन में, पोषक तत्वों की उपलब्धता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अधिकांश फ़सलों को सामान्य पीएच की आवश्यकता होती है । जब मिट्टी का पीएच, बहुत अधिक क्षारीय (Alkaline) या बहुत अधिक अम्लीय (Acidic) हो जाता है, तो मिट्टी में पोषक तत्व प्रभावित होकर, पौधों के लिए अनुपलब्ध हो जाते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि, समय के साथ, खाद का उपयोग, फ़सलों के लिए, मिट्टी के पीएच को उपयुक्त सीमा में बनाए रखने में सक्षम होता है । जबकि, अकार्बनिक उर्वरकों के कारण, वास्तव में मिट्टी, अधिक अम्लीय हो जाती है।
2.) विद्युत चालकता: मिट्टी की विद्युत चालकता, या इसकी लवणता, का उपयोग, मिट्टी के समग्र स्वास्थ्य को मापने के लिए, किया जा सकता है। अकार्बनिक उर्वरकों से उपचारित मिट्टी की तुलना में, खाद से उपचारित मिट्टी में, मिट्टी की गहराई पर विद्युत चालकता में सुधार दिखता है।
3.) मृदा कार्बनिक कार्बन (एसओसी – Soil Organic Carbon): मृदा कार्बनिक कार्बन, मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा का माप है। मिट्टी की गुणवत्ता के लिए, कार्बनिक पदार्थ आवश्यक होते हैं । खाद अध्ययन की गई मिट्टी, एसओसी को बढ़ाने में, सक्षम होती है । इसके विपरीत, अकार्बनिक उर्वरक के उपचार से, एसओसी कम हो जाता है ।
4.) जल-स्थिर समुच्चय: कई विश्वविद्यालयों के अध्ययनों से, यह भी पता चला कि, खाद उपचार से, मिट्टी में जल-स्थिर समुच्चय बढ़ता है । जल-स्थिर समुच्चय, स्वस्थ मिट्टी में, छिद्र वाले स्थान बनाते हैं, जो पानी, पोषक तत्वों, हवा और अन्य घटकों को, मिट्टी के भीतर स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की अनुमति देते हैं।
5.) कुल नाइट्रोजन: खाद के निरंतर प्रयोग से, मिट्टी में मौजूद, कुल नाइट्रोजन में भी वृद्धि होती है।
चूंकि, खाद से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, इसका सावधानीपूर्वक प्रबंधन किया जाना चाहिए, इसलिए, कुछ किसान, आवश्यक समय और प्रयास करने के लिए, तैयार नहीं होते हैं। पोषक तत्वों, विशेषकर नाइट्रोजन की हानि को कम करने के लिए, खाद को सावधानीपूर्वक संग्रहित किया जाना चाहिए। इसे उचित समय पर, सही प्रकार की फ़सल पर लागू भी किया जाना चाहिए। इसके अलावा, खाद में मौजूद नाइट्रोजन और पोटैश का पूरा उपयोग करने के लिए, फ़ॉस्फ़ोरिक ऑक्साइड(Phosphoric oxide) जैसे अतिरिक्त उर्वरक की भी आवश्यकता हो सकती है।
खाद, लगभग 0.5-0.25-0.5 (नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरिक ऑक्साइड और पोटैश का प्रतिशत) के रूप में वर्गीकृत उर्वरक है। इसमें, कम से कम दो-तिहाई नाइट्रोजन होती है। एक शॉर्ट टन (900 किलोग्राम) औसत खाद के बराबर, वाणिज्यिक उर्वरक, काफ़ी कम कीमत पर खरीदा जा सकता है। इसके अलावा, 10-5-10 उर्वरक के 45 किलोग्राम उपचार का खर्च, बहुत कम है। अच्छी तरह से जुताई वाली मिट्टी पर, उर्वरक से मिलने वाला लाभ, आमतौर पर, खाद की समतुल्य मात्रा से अधिक होगा। हालांकि, किसी फ़सल में, खाद के प्रयोग को दानेदार उर्वरक की तरह आसानी से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। सामान्य तौर पर, खाद, पौधों को आवश्यक सभी पोषक तत्व प्रदान नहीं करती है।
फिर भी, किसान हरी खाद के प्रयोग से कतरा रहे हैं। खाद के नुकसान में, संतोषजनक वृद्धि प्राप्त न करने की संभावना शामिल है। संभावना यह भी है कि, खाद पर फ़सल उगाने की लागत, वाणिज्यिक नाइट्रोजन लगाने की लागत से अधिक हो सकती है। रोग, कीड़े और नेमाटोड (परजीवी कीड़े) में भी वृद्धि हो सकती हैं। इसके अलावा, मिट्टी की नमी में कमी व नाइट्रोजन के स्रोत के रूप में उनका मूल्य, आदि कारणों से यह प्रथा संदिग्ध है। इस कारण, किसान धीरे-धीरे, हरी-खाद वाली फसलें उगाने से दूर हो रहे हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mpat3euz
https://tinyurl.com/52ab5am5
https://tinyurl.com/rjyu8wen
https://tinyurl.com/y5dts5mt

चित्र संदर्भ
1. खेत में गोबर खाद और उर्वरक छिड़कते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गोबर से बनी खाद को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. खेत में उर्वरक छिड़कती महिला किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
4. खेत में कीटनाशकों के रूप में उर्वरक का उपयोग करते किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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