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हमारा देश भारत दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति के साथ विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में उस देश के विभिन्न उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विमानन उद्योग भी एक ऐसा क्षेत्र है, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्तमान में हमारा देश भारत 16 अरब डॉलर के बाजार आकार के साथ दुनिया का नौवां सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाजार है। भारतीय विमानन उद्योग वैश्विक स्तर पर पांच सबसे तेजी से बढ़ने वाले विमानन उद्योगों में से एक है, जो साल दर साल 15.2 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है। घरेलू विमान यात्रियों की संख्या जो वित्तीय वर्ष 2013-14 में 103.7 मिलियन थी, से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 158.4 मिलियन हो गई थी। हालांकि महामारी के बाद इस संख्या में गिरावट आई थी, लेकिन इस उद्योग ने जल्द ही पुनर्लाभ किया और गत वर्ष आंकड़ों के अनुसार, 2023 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 152 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया था।
हालांकि विकास की इस उच्च दर के बावजूद, देश प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 0.04 यात्राओं के साथ दुनिया में सबसे धीमी गति से प्रवेश करने वाले हवाई बाजारों में से एक है, जबकि चीन में यह दर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 0.3 और अमेरिका में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 2 से अधिक है। अतः इस दर को सुधारने के लिए भारत सरकार द्वारा आने वाले वर्षों में भारी निवेश की योजनाएं बनायी गई हैं। इस क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' (Make In India) पहल के साथ, यह अनुमान लगाया गया है कि इस पहल के साथ खरीद लागत को काफी कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इससे विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण में मदद मिलने की उम्मीद है जिससे अर्थव्यवस्था को अंततः गति मिलेगी।
गत वर्ष प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा 'भारत शीघ्र ही अपना स्वदेशी निर्मित यात्री विमान बाजार में उतारेगा। 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा देने वाली योजनाओं एवं रणनीति के तहत भारत नागरिक विमान विनिर्माण में मजबूती से कदम आगे बढ़ा रहा है।' हालाँकि, जमीनी हकीकत यह है कि वैश्विक स्तर पर वाणिज्यिक विमान आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी केवल 1-1.5 प्रतिशत है, और स्वदेशी वाणिज्यिक विमान को तैयार करने में दो से तीन दशकों का समय लग सकता है। हालांकि सैन्य विमान निर्माण की दिशा में की गई प्रगति व्यापक रूप से इस स्थिति से भिन्न है।
स्वदेशी वाणिज्यिक विमान निर्माण की दिशा में भारत अभी भी शुरुआती दौर में है। हालांकि भारत ने इस दिशा में स्वदेशी नागरिक विमान 'सारस' के साथ उल्लेखनीय प्रगति की है जिसे राज्य के स्वामित्व वाली 'राष्ट्रीय एयरोस्पेस लैब्स' (National Aerospace Labs) द्वारा डिज़ाइन किया गया है। इस विमान के दो प्रतिमान (prototype) बनाए गए हैं, जिसमें से अभी केवल एक ने ही उड़ान भरी है। विमानन उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि भारत में विमानों से जुडी प्रद्योगिकी का विकास और विमानों के पुर्ज़े और स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन बढ़ा है , लेकिन अभी भी पूरी तरह से स्वदेश में निर्मित विमान निर्माण एक स्वप्न बना हुआ है। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी और विमान निर्माण हेतु कच्चे माल के लिए विदेशी समकक्षों पर निर्भरता तुलनात्मक रूप से अधिक है। हालांकि, एयरबस (Airbus) और बोइंग (Boeing) जैसे निर्माता भी भारत से लगभग 1.6 बिलियन डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों के रूप में अपने माल का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करते हैं। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में इन कंपनियों को सीधे आपूर्ति करने वाली विमानन कंपनियों की संख्या मुश्किल से 10 भी नहीं है, जिनमें से अधिकांशतः अधिकांश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि विमानन क्षेत्र में 20,000 से अधिक MSME मौजूद हैं, लेकिन केवल 642 उद्यम ही विमान घटकों के निर्माण में सीधे तौर पर शामिल हैं। जबकि शेष उद्यम एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग उपकरण, रखरखाव, मरम्मत सेवाओं आदि जैसी श्रेणियों से संबंधित हैं। यहां तक कि विमान घटक निर्माण से जुड़े अधिकांश लोगों को भी बुनियादी खरीद के लिए केवल कुछ बड़ी वाणिज्यिक विमानन कंपनियों द्वारा उपठेका दिया जाता है, जो सीधे मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) के साथ काम करते हैं। इसका एक प्रमुख कारण MSMEs की अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वित्त की पहुँच तक कमी है। जबकि अन्य देशों में, निवेश के लिए MSMEs को, बैंकों से सरकार समर्थित ऋण को प्राप्त करना अत्यंत आसान होता है।
वहीं भारत में, विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, केवल 15 प्रतिशत MSMEs ही बैंको से ऋण प्राप्त कर पाते हैं, जबकि कई अन्य देशों में यह आंकड़ा 45 प्रतिशत तक है। अतः भारत में भी विमान उद्योग में निर्माण एवं उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए एक औद्योगिक विमान नीति की आवश्यकता है, जिससे वाणिज्यिक विमान विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जा सके।
आइए, अब विश्व की शीर्ष उन विमान निर्माण कंपनियों के विषय में जानते हैं जो यात्री और कार्गो परिवहन के लिए विमान डिजाइन, उत्पादन और आपूर्ति करती हैं। विश्व की शीर्ष 20 विमान निर्माता कंपनियों की सूची निम्नलिखित है:
क्रम संख्या | कंपनी का नाम | देश |
---|---|---|
1 | बोइंग (Boeing) | संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) |
2 | एयरबस (Airbus) | यूरोपीय संघ (European Union consortium) |
3 | एम्ब्रेयर (Embraer) | ब्राजील (Brazil) |
4 | बॉम्बार्डियर एयरोस्पेस (Bombardier Aerospace) | कनाडा (Canada) |
5 | मित्सुबिशी एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (Mitsubishi Aircraft Corporation) | जापान (Japan) |
6 | चीन का वाणिज्यिक विमान निगम (Commercial Aircraft Corporation of China (COMAC)) | चीन (China) |
7 | इर्कुट कॉर्पोरेशन (Irkut Corporation) | रूस (Russia) |
8 | सुखोई नागरिक विमान (Sukhoi Civil Aircraft) | रूस (Russia) |
9 | एयरबस और लियोनार्डो के बीच संयुक्त उद्यम ‘एटीआर’ (Joint venture between Airbus and Leonardo (ATR)) | फ्रांस/इटली (France/Italy) |
10 | एंटोनोव (Antonov) | यूक्रेन (Ukraine) |
11 | टेक्सट्रॉन एविएशन (Textron Aviation) | संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) |
12 | पिलाटस विमान (Pilatus Aircraft) | स्विट्जरलैंड (Switzerland) |
13 | पियाजियो एयरोस्पेस (Piaggio Aerospace) | इटली (Italy) |
14 | वाइकिंग एयर (Viking Air) | कनाडा (Canada) |
15 | बीचक्राफ्ट (Beechcraft) | संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) |
16 | डायमंड एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (Diamond Aircraft Industries) | ऑस्ट्रिया/कनाडा (Austria/Canada) |
17 | गल्फस्ट्रीम एयरोस्पेस (Gulfstream Aerospace) | संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) |
18 | सेसना एयरक्राफ्ट कंपनी (Cessna Aircraft Company) | संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) |
19 | लियरजेट (Learjet) | कनाडा (Canada) |
20 | एंटोनोव एयरलाइंस (Antonov Airlines) | यूक्रेन (Ukraine) |
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