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नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की!
आपको कृष्ण जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं, रामपुर! श्री कृष्ण न सिर्फ एक प्रिय देवता हैं, बल्कि जीवन को जीने की कला सिखाने वाले एक पथ प्रदर्शक भी हैं। उन्हें भगवान श्री विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। इसलिए, भगवान के रूप में उनकी भी पूजा की जाती है। “कृष्ण” सुरक्षा, करुणा, कोमलता और प्रेम के देवता हैं। इस बात में शायद ही किसी को आपत्ति हो कि, वह हिंदू धर्म के देवताओं में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पूजनीय है। वह महाभारत, भागवत पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण तथा भगवद गीता के एक केंद्रीय पात्र हैं। साथ ही कई हिंदू दार्शनिक, धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में भी हमें श्री कृष्ण का उल्लेख मिलता है। प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण का जन्मोत्सव, चंद्र-सौर हिंदू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अगस्त महीने के अंत या सितंबर महीने की शुरुआत में आता है।
आप कृष्ण लीलाओं के बारे में तो जानते ही होंगे। श्री कृष्ण के जीवन की घटनाओं और कहानियों को आम तौर पर कृष्ण लीला कहा जाता है। विभिन्न परिप्रेक्ष्यों में श्री कृष्ण को एक ईश्वर, एक शरारती बालक, एक आदर्श प्रेमी, एक दिव्य नायक और सर्वोच्च देवता के रूप में चित्रित किया गया है। उनका यह चित्रण, किंवदंतियों को दर्शाते हुए, उन्हें उनके जीवन के विभिन्न चरणों में वर्णित करता है। जैसे कि, एक शिशु मक्खन खाता है, एक युवा लड़का खेलता है, बांसुरी बजाता है, राधा के साथ या गोपियों से घिरा हुआ एक युवा लड़का या फिर अर्जुन को सलाह देता एक मित्रवत सारथी, आदि स्वरूपों में उनका चित्रण हमें ज्ञात ही है।
सदियों से कई महान कवि एवं विभिन्न धर्मों के लोग कृष्ण की भक्ति प्रेम में पड़े हुए हैं। आइए, आज कुछ समर्पित कृष्ण अनुयायियों के बारे में जानते हैं, जो कृष्ण की कहानियों की सुंदरता और उनकी भावनाओं की शक्ति को प्रतिबिंबित करते हैं।
1.संत मीराबाई
संत मीराबाई 16वीं सदी में प्रख्यात, एक हिंदू रहस्यवादी कवयित्री और कृष्ण भक्त थीं। वह विशेष रूप से, उत्तर भारतीय हिंदू परंपरा में एक प्रसिद्ध भक्ति संत भी रही हैं। भारतीय परंपरा में श्री कृष्ण की भावपूर्ण प्रशंसा में लिखे गए लाखों भक्ति भजनों का श्रेय मीराबाई को जाता है। हमारे देश में आज भी, मीराबाई की कई रचनाएं भक्ति गीत या भजन के रूप में गाई जाती हैं।
2.सूरदास:
सूरदास 16वीं सदी में एक हिंदू भक्ति कवि और गायक थे। उन्हें उनके कृष्ण की प्रशंसा में लिखे गए लेखों के लिए जाना जाता है। वह भगवान कृष्ण के एक वैष्णव भक्त होने के साथ ही एक श्रद्धेय कवि और गायक भी थे। उनकी अधिकांश कविताएं ब्रज भाषा में लिखी गई हैं, जबकि, कुछ कविताएं मध्यकालीन हिंदी भाषा की अन्य बोलियों, जैसे कि, अवधी में भी लिखी गई हैं। सूरदास जी को उनकी रचना ‘सूर सागर’ के लिए जाना जाता है। सूर सागर के 16वीं शताब्दी में लिखित स्वरूप में, कृष्ण और राधा को दो प्रेमियों के रूप में वर्णित किया गया है।
3.चैतन्य महाप्रभु :
चैतन्य महाप्रभु 15वीं सदी में एक भारतीय संत थे, जिन्हें उनके शिष्यों और विभिन्न ग्रंथों द्वारा राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार माना जाता है। चैतन्य महाप्रभु की भजन–कीर्तन एवं नृत्य के साथ कृष्ण की पूजा करने की पद्धति का बंगाल में वैष्णववाद पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह ‘अचिंत्य, भेद, अभेद तत्व’ के वेदांत दर्शन के मुख्य प्रस्तावक भी थे। महाप्रभु ने गौड़ीय वैष्णव धर्म की स्थापना भी की थी। उन्होंने भक्ति योग की व्याख्या की थी तथा “हरे कृष्ण” इस महा-मंत्र के जाप को लोकप्रिय भी बनाया था। अपनी बाल अवस्था से ही श्री कृष्ण के नामों के जाप और गायन के प्रति चैतन्य महाप्रभु के स्पष्ट आकर्षण से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं। वर्ष 1515 में, चैतन्य महाप्रभु ने कृष्ण की उत्कृष्ट लीलाओं से जुड़े तथा खोए हुए पवित्र स्थानों का पता लगाने के उद्देश्य से वृंदावन शहर का दौरा किया था।
4.श्रीमंत शंकरदेव :
श्रीमंत शंकरदेव 15वीं-16वीं शताब्दी के दौरान एक असमिया बहुश्रुत थे। शंकरदेव एक संत-विद्वान, कवि, नाटककार, नर्तक, अभिनेता, संगीतकार, कलाकार सामाजिक-धार्मिक सुधारक और असम राज्य तथा भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्होंने भी अपनी रचनाओं में श्री कृष्ण की भक्ति को स्थापित किया था।
5. रसखान :
कई मुस्लिम संतों, विशेषकर सूफी संतों ने, श्रीकृष्ण के बारे में गीत और कविताएं लिखी हैं। रसखान उनमें से ही एक कवि थे, जो मुस्लिम होने के बावजूद भी भगवान कृष्ण के अनुयायी (भक्त) थे। उनका वास्तविक नाम सैय्यद इब्राहिम था और माना जाता है कि, वह अमरोहा में रहते थे। रसखान यह उनका उपनाम था। अपने जीवन के दौरान, वह भगवान कृष्ण के अनुयायी बन गए और गोस्वामी विट्ठलनाथ से उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। बाद में, वह वृंदावन में ही बस गए। उनके अनुसार, भगवान कृष्ण सबसे शक्तिशाली और महान देवता थे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3mj4448t
https://tinyurl.com/5n7v25k3
https://tinyurl.com/bdzzt998
https://tinyurl.com/yaej6c57
https://tinyurl.com/2p9f3ks8
https://tinyurl.com/bdd4wa94
चित्र संदर्भ
1. कृष्ण भक्त मंडली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. कृष्ण लीला के दृश्यों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. मीराबाई को दर्शाता एक चित्रण (Store norske leksikon)
4. चैतन्य महाप्रभु को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. रसखान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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