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हमारा देश भारत आज
अपने मिशन चंद्रयान-3 की सफलता को लेकर झूम रहा है। आपने चंद्रयान-3 के, चंद्रमा पर हुए लैंडिंग (Landing) का लाइव टेलीकास्ट (Live Telecast) देखा ही होगा। जरा एक बार फिर से उस पल में वापस जाएं, और अपने हृदय को इस सफलता से उत्पन्न गर्व एवं प्यार से भरते हुए
महसूस करें। चंद्रयान 3 भारत के अंतरिक्ष तथा चंद्र मिशनों में एक मील का पत्थर साबित हुआ
है। दरअसल, हम
हमारे चंद्रमा को पहले से ही बहुत प्यार करते हैं। इसलिए कुछ प्रसिद्ध फिल्मी
गीतों में हम इसका जिक्र पाते हैं। इसके अलावा, हमारे धर्म में भी चांद का अनन्य साधारण महत्व है। इसी तरह, हमारी संस्कृति एवं शास्त्रीय संगीत में भी चंद्रमा का महत्वपूर्ण
स्थान है। आइए, आज एक सदाबहार
शास्त्रीय संगीत के बारे में जानते हैं, जिसमें हमें चंद्र का उल्लेख मिलता है।
यह गीत प्रसिद्ध गीतकार अजय चक्रवर्ती जी द्वारा गाया गया ‘चंद्रमा ललाट पर’ है। आइए, आज इस गीत को सुनकर अपने मन को तरोताजा करते हैं। चंद्रमा ललाट पर इस गाने के गीतकार अजय चक्रवर्ती जी है, जबकि, इसके संगीत निर्देशक त्यागराज जी हैं। यह मनमोहक हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत चंद्रमा के प्रति आस्था को प्रकट करता है।
चंद्रमा ललाट पर
सोहे भुजंग दल
सिर जटा जूट धर कर
डमरू बाजे।
इस गाने का अर्थ
कुछ इस प्रकार है –
रात्रि के आकाश
में जब चंद्रमा प्रकट होता है, तो पूजा का भाव उत्पन्न होता है। भगवान शिव की जटाओं की महिमा में, जहां पूर्णिमा का चंद्रमा विश्राम करता है, वह हमारे हृदय को आनंदित कर देता है। शिव जी की ध्वनि, उनके ढोल से व्यक्त होती है, और उनके भाले तथा वीणा संगत करते हैं। दूसरी ओर, उनकी प्रिय पत्नी पार्वती भी खड़ी हैं। इस संदर्भ में, आकाश में प्रकट हुआ चंद्रमा मनुष्य को भगवान शिव जी की पूजा करने का
निर्देश देता है।
आप इस गाने को, ‘यमन’ राग तथा ‘झपताल (10 मात्रा)’ ताल में, नीचे प्रस्तुत की गई लिंक के माध्यम से सुन सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yv9jsamw
https://tinyurl.com/4p5etm7c
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