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एशिया को विश्व शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण हो सकती है, “न्यू सिल्क रूट” परियोजना

रामपुर

 28-08-2023 09:43 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

कोरोना महामारी और वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद से अमेरिका (America) और यूरोप (Europe) से विश्व शक्ति वापस एशिया (Asia) में स्थानांतरित होती दिखाई दे रही है। व्यापार के माध्यम से चीन (China) की वैश्विक प्रभुत्व हासिल करने की रणनीति को “न्यू सिल्क रूट” (New Silk Route) नाम दिया गया है, जो एशिया को विश्व शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। तो आइए, आज रेशम मार्ग और चीन की “न्यू सिल्क रूट" रणनीति को समझने का प्रयास करते हैं। रेशम मार्ग दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सबसे पुराने मार्गों में से एक है। यह मार्ग वास्तव में व्यापार मार्गों का एक तंत्र था, जिसने चीन और सुदूर पूर्व को मध्य पूर्व और यूरोप के साथ जोड़ा। रेशम मार्ग की स्थापना चीन में हान राजवंश (Han Dynasty) के विस्तार के साथ हुई तथा इस मार्ग के जरिए पूर्वी देशों और पश्चिमी देशों के बीच विभिन्न वस्तुओं का विनिमय हुआ। वस्तुओं के अलावा दोनों क्षेत्रों के विचारों, शिक्षाओं और संस्कृतियों के वैश्विक आदान-प्रदान में भी रेशम मार्ग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेशम मार्ग और हिंद महासागर दो ऐसे व्यापार मार्ग थे, जिन्होंने प्राचीन और मध्य काल में व्यापार को एक नई दिशा प्रदान की। रेशम मार्ग के जरिए, जहां रेशम जैसे महंगे और विलासितापूर्ण वस्तुओं का आदान-प्रदान किया गया, वहीं हिंद महासागर के जरिए ऐसी वस्तुओं का व्यापार किया गया, जो सस्ती थीं तथा अधिक मात्रा में ढोयी जा सकती थीं। ऐसा इसलिए था, क्योंकि रेशम मार्ग के द्वारा होने वाला व्यापार भूतल पर होता था, जिससे इन मार्गों के जरिए बड़ी मात्रा में सामान लाना कठिन होता था। इसलिए, महंगी वस्तुओं, जिन्हें केवल धनी लोग ही खरीद सकते थे, का कम मात्रा में रेशम मार्ग के जरिए विनिमय किया गया। इस प्रकार रेशम मार्ग से रेशम और चीनी मिट्टी से बने सामान का व्यापार मुख्य रूप से होने लगा। रेशम को बहुत ही उच्च श्रेणी का माना जाता था तथा इसे बहुत से निम्न वर्ग के लोग नहीं खरीद सकते थे। रेशम मध्य पूर्व या यूरोप के उन लोगों द्वारा खरीदा गया, जो “धनी वर्ग” के थे। हिंद महासागर के जरिए अक्सर ऐसे सामानों का व्यापार होता था, जिनका केवल थोक में ही अच्छा मूल्य प्राप्त होता था, जैसे कपास। कपास को नाव पर ले जाना आसान था और नाव में अधिक मात्रा में कपास का परिवहन किया जा सकता था। कपास जैसे सामान सभी के लिए सस्ते और किफायती थे। वर्तमान समय में भू-राजनीतिक संदर्भ में, ऐतिहासिक रेशम मार्ग एक बार पुनः नए तरीके से जीवित हो रहा है। इस मार्ग के जीवित होने से मार्ग से जुड़े सभी क्षेत्रों में समृद्धि होने की उम्मीद जताई गई है। दुनिया में अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए चीन ने कोरोना महामारी से पूर्व अपनी 'वन बेल्ट वन रोड' (One Belt One Road) परियोजना की घोषणा की थी, जिसे “न्यू सिल्क रूट” भी कहा जाता है। इस परियोजना के तहत चीन ने एशिया, यूरोप और अफ़्रीका (Africa) के अनेकों देशों को खुद से जोड़ने का प्रयास किया है। 2015 में जारी हुए बेल्ट एंड रोड एक्शन प्लान (Belt and Road Action Plan) के अनुसार, व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ चीन की इस पहल में भूमि मार्ग और समुद्री मार्ग को शामिल किया गया है और इसके लिए बुनियादी ढांचे में निवेश करने की योजना बनाई गई है। चीन के अनुसार 900 अरब डॉलर की इस योजना का उद्देश्य “वैश्वीकरण के नए युग” की शुरूआत करना है। वैश्वीकरण का नया युग वाणिज्य का एक स्वर्ण युग होगा तथा इस परियोजना से सभी को लाभ होगा। 68 देशों में बुनियादी ढांचे के लिए चीन करीब 8 ट्रिलियन डॉलर तक का ऋण देने को तैयार है। 21वीं सदी का नया रेशम मार्ग सड़क नेटवर्क, रेल और गैस पाइपलाइन सहित संचार बुनियादी ढांचे और परिवहन के लगभग सभी माध्यमों को आवरित करता है। चीन से यूरोप तक रेल मार्गों का निर्माण और दूसरे देशों में विभिन्न चीनी बुनियादी ढांचे के निवेश से, चीन और इस परियोजना में शामिल देशों को एक अच्छा व्यापार लाभ होने की उम्मीद है। बेहतर कनेक्टिविटी के जरिए दक्षिण एशिया फिर से आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन सकता है तथा भारत को खुद को एशिया-यूरोप व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने के लिए प्राचीन रेशम मार्ग के साथ कनेक्टिविटी में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दक्षिण एशिया, एशियाई व्यापार मार्ग को पुनर्जीवित करने से यूरोप और पूर्वी एशिया के केंद्र में होगा, तथा भारत को इस अवसर का पूर्ण रूप से फायदा उठाना होगा। अपनी अर्थव्यवस्था के आकार और विस्तार के कारण, भारत को इस परियोजना के अंतर्गत होने वाले चीनी निवेश का सबसे अधिक फायदा हो सकता है। हालांकि, इस परियोजना को लेकर विभिन्न देशों की समीक्षाएं अलग-अलग हैं। अर्थात, कई देश जहां चीन के वास्तविक भू-राजनीतिक उद्देश्यों को लेकर संदेह व्यक्त कर रहे हैं, तो वहीं अन्य इस परियोजना की प्रशंसा कर रहे हैं। इस परियोजना से चीन के दक्षिण में मौजूद देशों को सहायता प्राप्त हो सकती है तथा साथ ही वैश्विक व्यापार को भी बढ़ावा मिल सकता है। नए बाजारों के साथ व्यापार करने से चीन की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बने रहने में काफी मदद मिल सकती है। चीन की यह महत्वाकांक्षी परियोजना यदि सफल होती है, तो यह दुनिया में होने वाले वैश्विक व्यापार की तस्वीर बदल देगा।

संदर्भ:
https://tinyurl.com/4hh8v4m3
https://tinyurl.com/ybb6pa3n
https://tinyurl.com/59n36kh3
https://tinyurl.com/4xyr2dnx

चित्र संदर्भ

1. विश्व मानचित्र और सुलभ व्यापार को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. रेशम मार्ग के मानचित्र को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. सिल्क रोड के अहम् पड़ाव दो मंजिला कारवांसेराय, बाकू, अज़रबैजान को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. एकल कारवां के दृश्य को दर्शाता चित्रण (Collections - GetArchive)
5. अलग अलग माध्यमों से जुड़े विश्व को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)



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