Post Viewership from Post Date to 31-Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1567 612 2179

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जंगली मशरूम के प्रति उतनी ही सतर्कता बरतें, जितनी आप सांप को देख कर बरतते हैं!

रामपुर

 14-06-2023 09:21 AM
फंफूद, कुकुरमुत्ता

आमतौर पर सांप को देखते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हालांकि, लोग यह भी जानते हैं कि सभी सांप जहरीले नहीं होते, लेकिन फिर भी वे इनसे डरते हैं। किंतु जिस प्रकार सांप की कुछ प्रजातियां बहुत जहरीली होती हैं, इसलिए लोग बेवजह खतरा मोल लेने से डरते हैं। ठीक उसी प्रकार मशरूम की कुछ किस्में बहुत जहरीली होती हैं, इसलिए भोजन हेतु मशरूम का चुनाव करते समय भी हमें उतना ही सतर्क होना चाहिए, जितना कि हम सांप को देखकर हो जाते हैं। आज हम जानेंगे कि जहरीले मशरूम को खाने का परिणाम कितना भयानक हो सकता है?
भारत में, मशरूम कई जातीय जनजातियों के आहार का एक महत्वपूर्ण अंग है। इन जनजातियों द्वारा दुनिया भर में पाई जाने वाली मशरूम की 2,000 जंगली प्रजातियों में से लगभग 283 प्रजातियों का सेवन किया जाता है। हालांकि, ये जनजातियाँ आमतौर पर जहरीले और खाने योग्य मशरूम के बीच अंतर पहचानने में माहिर होती हैं, लेकिन कभी-कभी ये भी गलती कर जाती हैं, और आकस्मिक रूप से विषैले मशरूम खा लेती हैं। मशरूम के जहरीलेपन को मायसेटिज्म (Mycetism) अर्थात मशरूम विषाक्तता के रूप में भी जाना जाता है, और यह प्राचीन काल से ही मनुष्यों को प्रभावित कर रही है। ‘ऋग्वेद’ और ‘अथर्ववेद’ जैसे प्राचीन सनातनी ग्रंथों में भी मशरूम की विषाक्तता का उल्लेख मिलता है। भारत की विभिन्न संस्कृतियों में लंबे समय से मशरूम का आहार और व्यापार किया जा रहा है। लेकिन व्यस्तता के कारण कई लोग गलती से जहरीले जंगली मशरूम का सेवन कर लेते हैं। मीडिया (Media) को इनमें से कुछ गिने चुने मामलों की ही भनक लग पाती है। हालांकि मानसून के दौरान, मशरूम विषाक्तता से होने वाली मृत्यु की संख्या बढ़ जाती है। सितंबर-2011 में एक ऐसी ही दुखदाई घटना, हिमाचल प्रदेश के एक गाँव में भी घटित हुई, जहां एक पहाड़ी परिवार ने पहाड़ों से खोजी गई जंगली मशरूम का सेवन कर लिया। भोजन करने के 4-6 घंटे के भीतर ही, परिवार के चारों सदस्यों को पेट में दर्द, उल्टी और खूनी दस्त होने लगे। इसके बाद उन्हें एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां उन्हें अंतःशिरा (IV) तरल पदार्थ (intravenous (IV) fluids) और एंटीमेटिक्स (Antiemetics) दिए गए। तकरीबन 24 से 36 घंटों के बाद उनकी सेहत में कुछ सुधार हुआ। दुर्भाग्य से, बीमारी के चौथे दिन उस परिवार के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई, और शेष तीन रोगियों को भी उनकी बिगड़ती हालत के कारण, उत्तर भारत के तृतीयक देखभाल अस्पताल (Tertiary Care Hospital) में रेफर (Refer) कर दिया गया। प्रवेश के समय, तीनों रोगियों में पीलिया और उनकी चेतना में गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई दिए। बहुत कोशिशों के बावजूद भी मां और बेटे का, दिल की धड़कन रुकने (Cardiac Arrest) के कारण देहांत हो गया। इसके 24 घंटे के बाद, बेटी का भी ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कम हो गया, और उसे दौरे पड़ने लगे, लेकिन दूसरी बार आए कार्डियक अरेस्ट का सामना वह भी नहीं कर सकी, और उसने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
जहरीले मशरूम के प्रकोप से जुड़ी एक खबर, भारत के असम राज्य से भी आई, जहां जहरीले मशरूम खाने से असम के मेरापानी में दो लोगों की मौत हो गई और दस अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। दरसल मेरापानी में गलती से एक साथ पाँच परिवारों के तेरह लोगों ने जहरीले मशरूम खा लिए और वे बीमार पड़ गए। घटना के पता चलने तक मशरूम खाने वाली महिलाओं में से एक की मौत हो गई थी। पीड़ितों में से एक व्यक्ति की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। जहरीले मशरूम खाना बहुत अधिक खतरनाक और जानलेवा भी हो सकता है। मशरूम का सेवन करते समय सावधानी बरतना जरूरी है, खासकर उन मशरूमों से जो जंगलों में पाए जाते हैं।
आमतौर पर मशरूम की विषाक्तता को लाइलाज माना जाता था, लेकिन आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि हाल ही में वैज्ञानिकों ने घातक डेथ कैप मशरूम (Death Cap Mushroom) के संभावित समाधान की खोज कर ली है। हाल के एक अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने मानव कोशिकाओं को इन मशरूमों में पाए जाने वाले अल्फा-एमैनिटिन (Alpha-Amanitin) नामक जहरीले पदार्थ के प्रति प्रतिरोधी बनाने के लिए CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) नामक जीनोम एडिटिंग तकनीक (Genome Editing Technology) का उपयोग किया। उन्होंने पाया कि मानव कोशिकाएं STT3B नामक विशिष्ट प्रोटीन के अभाव में इन मशरूमों के विष के हानिकारक प्रभावों का मजबूती से सामना कर सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने यह भी पाया कि आमतौर पर मेडिकल इमेजिंग (Medical Imaging) के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इंडोसायनिन ग्रीन (Indocyanine Green) नामक डाई इस प्रोटीन को ब्लॉक (block) कर सकता है। विषाक्तता के 4 घंटे बाद दिए जाने पर, यह जीवित रहने की दर में वृद्धि करता है, और जिगर (liver) की क्षति को रोकता है। यह रोमांचक खोज मशरूम विषाक्तता के संभावित उपचार की उम्मीद जगा रही है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/2yznjfae
https://shorturl.at/cdkr3
http://surl.li/hugrx

 चित्र संदर्भ
1. मशरूम और छोटी बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel, wikimedia)
2. साइलोसाइबिन मशरूम के नजदीक एक बच्चे को दर्शाता चित्रण (Flickr)
3. बिक्री हेतु रखी गई मशरूमों को दर्शाता चित्रण (PickPik)
4. अमनिता फैलोइड्स दुनिया में सबसे घातक मशरूमो में से एक मानी जाती है, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. अल्फा-एमैनिटिन (Alpha-Amanitin) नामक जहरीले पदार्थ के रासायनिक सूत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मशरूम का सेवन करते एक भारतीय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • दिल्ली में आयोजित, रामपुर भोजन उत्सव ने किया है, रामपुरी व्यंजनों का सम्मान
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:23 AM


  • रामपुर में कोसी और रामगंगा जैसी नदियों को दबाव मुक्त करेंगे, अमृत ​​सरोवर
    नदियाँ

     18-09-2024 09:16 AM


  • अपनी सुंदरता और लचीलेपन के लिए जाना जाने वाला बूगनविलिया है अत्यंत उपयोगी
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:13 AM


  • अंतरिक्ष में तैरते हुए यान, कैसे माप लेते हैं, ग्रहों की ऊंचाई?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:32 AM


  • आइए, जानें विशाल महासागर आज भी क्यों हैं अज्ञात
    समुद्र

     15-09-2024 09:25 AM


  • प्रोग्रामिंग भाषाओं का स्वचालन बनाता है, एक प्रोग्रामर के कार्यों को, अधिक तेज़ व सटीक
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:19 AM


  • जानें शाही गज़ से लेकर मेट्रिक प्रणाली तक, कैसे बदलीं मापन इकाइयां
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:08 AM


  • मौसम विज्ञान विभाग के पास है, मौसम घटनाओं की भविष्यवाणी करने का अधिकार
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:22 AM


  • आइए, परफ़्यूम निर्माण प्रक्रिया और इसके महत्वपूर्ण घटकों को जानकर, इन्हें घर पर बनाएं
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:14 AM


  • जानें तांबे से लेकर वूट्ज़ स्टील तक, मध्यकालीन भारत में धातु विज्ञान का रोमाचक सफ़र
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:25 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id