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आज भारत में तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी के बढ़ने के साथ ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) युवाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है, हालांकि इसके कारण उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर अत्यंत हानिकारक दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इंटरनेट पर ऑनलाइन खेल खेलने की लत अर्थात इंटरनेट गेमिंग विकार (Internet Gaming Disorder) एक नया व्यवहारिक व्यसन बन गया है जो युवाओं के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या वित्तीय कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, हालांकि फिर भी युवा पीढ़ी इंटरनेट गेमिंग में संलग्न हो रही है। ‘इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ’ 2020 (Indian Journal of Community Medicine and Public Health, 2020) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 3.5 प्रतिशत भारतीय किशोर इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित हैं, जो एक चिंता का विषय है। इससे भी अधिक चिंतनीय बात यह है कि वैश्विक औसत की तुलना में यह दर 0.5 प्रतिशत अधिक है।
जुआ खेलने की लत और शराब की लत में शायद ही कोई अंतर हो। यह लगभग एक समान है, जो बाद में एक गंभीर लत के रूप में विकसित होती है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, “ऑनलाइन गेम की लत कोकेन (cocaine), ड्रग्स(drugs) और जुए जैसे पदार्थों के बराबर है। यह एक तरह का अस्थायी मानसिक अवस्था है जिसमें गेमर विवेक के बारे में भूल जाता है, और बस निर्देशों का पालन करता है।” अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में 8 प्रतिशत लड़के और 3 प्रतिशत लड़कियां इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित हैं।
भारत की करीब 41 फीसदी आबादी अर्थात करीब 55 करोड़ लोग, 20 साल से कम उम्र के हैं, जिनमें से अधिकांशतः ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े हुए हैं, जिसका सीधा-सीधा मतलब यह है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर सकती है। हाल ही में राजस्थान के नागौर से एक घटना सामने आई, जिसमें एक 16 वर्षीय लड़के ने अपने चचेरे भाई की हत्या कर दी, ताकि वह ऑनलाइन गेम खेलने के लिए अपने ऊपर चढ़े हुए कर्ज का भुगतान कर सके। किशोर लड़के ने ऑनलाइन गेम टोकन खरीदने के लिए लाखों रुपये उधार लिए थे और इस पैसे को चुकाने के लिए उसने अपने 12 वर्षीय चचेरे भाई का अपहरण कर लिया और उसके परिवार से फिरौती की मांग की। इस समय देशभर में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां बच्चे ऑनलाइन गेम खेलने के लिए अपने ही घरों में चोरी और अपहरण जैसे जघन्य अपराध कर रहे हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 19 साल के एक लड़के ने ऑनलाइन गेमिंग की लत के चलते अपने अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी थी। लड़का पबजी (PUBG) खेलने का आदी था, जिसके चलते उसने अपनी बाइक भी बेच दी थी। खेल में अगले स्तर तक पहुंचने के लिए जब उसके परिवार ने उसे पैसे देने से इनकार कर दिया, तो लड़के ने अपने बंधे हुए हाथ और पैर की तस्वीर खींचकर अपने माता-पिता को भेज दी। उसने लिखा कि उसका अपहरण कर लिया गया है और अगर चार लाख रुपए निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंचाए गए, तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि यह नकली अपहरण का मामला था, जिसे लड़के ने इसलिए रचा क्योंकि उसे गेम खेलने के लिए और पैसों की जरूरत थी।
पिछले साल भारत में हुए एक सर्वे में 20 साल से कम उम्र के 65 फीसदी बच्चों ने बताया कि वे ऑनलाइन गेम खेलने के लिए खाना और सोना छोड़ सकते हैं। कई लोगों ने यह भी स्वीकार किया है कि वे ऑनलाइन गेम खेलने के लिए अपने माता-पिता के पैसे चुराने को तैयार हैं। कोरोना महामारी के बाद से, देश भर के बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स (Online Gaming Apps) की लत बहुत तेजी से बढ़ी है, जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भारत में बच्चों का वजन औसतन 4-5 किलोग्राम तक बढ़ गया है। वजन बढ़ने की वजह यह है कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है, और ये गेम पूरे दिन एक जगह बैठकर खेले जा सकते हैं। जरूरत से ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने से बच्चों की आंखों पर भी असर पड़ रहा है। ऑनलाइन गेम के कारण बच्चों की नींद का पैटर्न बिगड़ गया है, और ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण उन्हें अब नींद भी कम आने लगी है। ज्यादातर समय ऑनलाइन गेम खेलने से बच्चों को भूख भी कम लगती है। ऑनलाइन गेम खेलने वाले बच्चे अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं। वे अपने माता-पिता से बात करना बंद कर देते हैं, खुद को अलग कर लेते हैं और अपनी पढ़ाई को भी नज़रअंदाज़ करते हैं। जैसे हर खेल में हार-जीत होती है, ऑनलाइन खेल में भी ऐसा ही है। ऑनलाइन खेल में पैसा लगा होने के कारण हारने पर बच्चे चिड़चिड़े होने लगते हैं और छोटी उम्र में ही अवसाद में आ सकते हैं। ऑनलाइन गेम में अत्यधिक हिंसा के कारण बच्चे हिंसा की ओर भी आकर्षित होते हैं।
इस तरह की चिंताओं को कानूनी माध्यमों से प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय’ (Ministry of Electronics and IT) ने 6 अप्रैल, 2023 को अधिसूचित किए गए ‘सूचना प्रौद्योगिकी नियम’ 2021 में प्रासंगिक संशोधन किया, तथा इसके जरिए विभिन्न रोकथाम और संतुलन संबंधी उपाय किए। इन संशोधनों का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं, विशेष रूप से बच्चों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों पर ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों के अवांछित नकारात्मक प्रभाव को काबू करना है। इसके अंतर्गत बनाए गए नियम भारतीय डिजिटल नागरिकों को अवैध जुए और सट्टेबाजी की वेबसाइटों (Websites) और ऐप्स से बचाने के लिए पर्याप्त नियंत्रण प्रदान करते हैं। ये नियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (Social Media Platform) और ऐप स्टोर (App Store) सहित बिचौलियों पर दायित्व डालते हैं कि वे ऐसे किसी भी ऑनलाइन गेम की मेजबानी, प्रकाशन या शेयरिंग (Sharing) न करें जो उपयोगकर्ताओं को नुकसान पहुंचाता है या जिसे केंद्र सरकार द्वारा नामित ऑनलाइन गेम के रूप में प्रमाणित नहीं किया गया है। ये नियम बिचौलियों को ऐसे किसी भी ऑनलाइन गेम का विज्ञापन या प्रचार करने या प्रदर्शित करने से भी रोकते हैं जो एक अनुमत ऑनलाइन गेम नहीं है। ये नियम भारतीय उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाने वाले अवैध सट्टेबाजी और जुआको बढ़ावा देते, ऑनलाइन विज्ञापनों के बढ़ते खतरे को दूर करने में मदद करेंगे। ये नियम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे ऑनलाइन गेम या वेबसाइट, जिनमें दांव लगाना शामिल है, उनकी उपस्थिति को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। ये नियम भारत में केवल ऐसे ऑनलाइन रियल मनी गेम्स (Real Money Games) को अनुमति देंगे जो केंद्र सरकार द्वारा नामित स्व-नियामक निकाय (Self-Regulatory Board (SRB) द्वारा प्रमाणित हैं।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/mszs4j48
https://tinyurl.com/24dhafhp
https://tinyurl.com/bdeshka6
चित्र संदर्भ
1. ऑनलाइन गेम खेलते बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel, PixaHive)
2. कंप्यूटर गेमिंग को दर्शाता चित्रण (Pexels)
3. मोबाइल की लत को दर्शाता चित्रण (NDLA)
4. बिस्तर में गेम खेलते बच्चे को दर्शाता चित्रण (Pexels)
5. गेम खेलते भारतीय युवा को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
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