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रामपुर के नवाबों ने रामलीला के मंचन से सनातन परंपरा की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को कायम रखा

रामपुर

 22-05-2023 09:10 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला

क्या आप जानते हैं कि हमारे रामपुर में, प्रभु श्री राम के जीवन दर्शन को समर्पित, रामलीला का सबसे पहले मंचन कराने का श्रेय, रामपुर के अंतिम शासक रहे, “नवाब रजा अली खान” को दिया जाता है। उनके द्वारा स्थापित और कोसी मंदिर मार्ग पर स्थित, ‘रामपुर का रामलीला मैदान’, इस क्षेत्र के सबसे बड़े रामलीला मैदानों में से एक माना जाता है।
रामलीला, जिसे "राम की लीलाओं" के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक पारंपरिक प्रदर्शन है, जिसमें महाकाव्य रामायण में घटित दृश्यों को दर्शाया जाता है। इन दृश्यों को गीत, कहानी, सस्वर पाठ और संवाद के जीवंत प्रदर्शन से दर्शाया जाता है। उत्तरी भारत में रामलीला मुख्य रूप से, दशहरे के त्योहार के दौरान आयोजित की जाती है। भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध रामलीला मंचन अयोध्या, रामनगर, बनारस, वृंदावन, अल्मोड़ा, सतना और मधुबनी में आयोजित होते हैं। रामलीला में रामायण का मंचन रामचरितमानस के आधार पर किया जाता है। रामचरितमानस, महान सन्त कवि तुलसीदास द्वारा, सोलहवीं शताब्दी में लिखा गया एक पवित्र ग्रंथ है। तुलसीदास ने संस्कृत महाकाव्य को व्यापक दर्शकों हेतु, सुलभ बनाने के लिए इसकी रचना हिंदी में की थी। अधिकांश रामलीलाएं दस से बारह दिनों तक चलती हैं। हालाँकि, रामनगर जैसे कुछ शहरों में रामलीला, पूरे एक महीने तक चल सकती है। दशहरे के दौरान कई छोटी-छोटी बस्तियों, कस्बों और गांवों में भी रामलीला के उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
रामलीला, देवताओं, संतों और भक्तों के आपसी संवादों के माध्यम से राम और रावण के बीच महाकाव्य युद्ध को जीवंत करती है। इस दौरान श्रोताओं को गायन के साथ-साथ वर्णन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। रामलीला जाति, धर्म और उम्र की बाधाओं को पार करते हुए, एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करती है। यह पूरे समुदायों को एक साथ लाने का काम करती है। हालांकि, मास मीडिया (Mass Media), विशेष रूप से टेलीविजन और मोबाइल (Television And Mobile) के आगमन के साथ ही, रामलीला के दर्शकों में बड़ी गिरावट आई है। 2008 में, रामलीला को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO) द्वारा “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची” में अंकित किया गया था।
लीलाएँ, नृत्य-नाटकों की तुलना में अधिक संवाद स्वरूप होती हैं। इनमें संवाद स्वयं अभिनेताओं द्वारा बोले जाते हैं। मधुर झाँकी या नाटकीय तमाशे, श्री कृष्ण और श्री राम दोनों की लीलाओं में दिख जायेंगे। उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से राम-नगर में रामलीला, लोकल थिएटर (Local Theater) या नृत्य-नाटक वाली झांकी के रूप में प्रदर्शित की जाती है। पूरे उत्तर प्रदेश में रामलीला प्रदर्शनों की विशाल विविधता नजर आ जाती है। हमारे रामपुर में रामलीला की परंपरा, रामपुर के अंतिम नवाब ‘रजा अली खान’ के संरक्षण में शुरू हुई थी। रामलीला के मंचन को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए, उन्होंने कोसी मंदिर मार्ग पर 80 बीघा भूमि का एक विशाल क्षेत्र आवंटित किया। रजा अली खान ने सभी धर्मों का सम्मान करते हुए, उनके धार्मिक उत्सवों को बढ़ावा देने का प्रयास किया। नवाब रजा अली खान ने स्वयं भी नवाबों के समावेशी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हुए, होली गीतों की भी रचना की। उन्ही के शासनकाल में भामरौआ में श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर निर्माण के लिए भूमि भी आवंटित की गई। रामपुर में रामलीला की परंपरा 1947 से चली आ रही है। प्रारंभ में, इसका आयोजन पनबरिया के नुमाइश मैदान में आयोजित किया जाता था, लेकिन शहर से दूर होने के कारण, दर्शकों को यहां तक पहुचने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था।
नतीजतन, 1949 में, नवाब रजा अली खान ने कोसी मंदिर मार्ग पर उक्त 80 बीघा जमीन प्रदान की, जहां तब से लगातार रामलीला का मंचन किया जाता रहा है। हालाँकि, 2020 में कोरोना महामारी के कारण, यहाँ पर रामलीला आयोजित नहीं की जा सकी। रामपुर में, रामलीला का मंचन तीन अलग-अलग स्थानों (कोसी मंदिर मार्ग, सिविल लाइंस और ज्वाला नगर) में किया जाता है। प्रारंभ में, यह आयोजन केवल कोसी मंदिर मार्ग पर आयोजित किया जाता था, लेकिन बाद में इसे अन्य दो क्षेत्रों में भी विस्तारित किया गया। दशहरे के शुभ अवसर पर, तीनों स्थानों पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारी भीड़ होती है। रामपुर की रामलीला में कई जाने माने कलाकार अभिनय करते हैं। वृंदावन और अयोध्या जैसे, विभिन्न सांस्कृतिक केंद्रों से पधारे इन कुशल कलाकारों की उपस्थिति ने रामपुर की रामलीला की जीवंतता और कलात्मक गुणवत्ता को कई गुना बढ़ाया है। रामपुर के नवाबों द्वारा रामलीला के संरक्षण ने, न केवल शहर की सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखा है बल्कि गंगा जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया है। रामपुर, ब्रिटिश राज के दौरान 28 मुस्लिम शाही घरों के साथ एकमात्र शाही घराने का गौरव रखता है, जहां पर नवाब की राज्याभिषेक की रस्में एक ब्राह्मण पुजारी अदा करते थे।

संदर्भ
https://bit.ly/3Ipfzxe
https://bit.ly/2TUBGkg

 चित्र संदर्भ
1. रामलीला के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नवाब रज़ा अली को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. रामलीला के आयोजन को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. कोसी मंदिर मार्ग पर स्थित, ‘रामपुर के रामलीला मैदान’, में रामलीला के मंचन को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
5. रामलीला की विभिन्न भूमिकाओं में रामलीला के पात्रों को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)



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