City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1867 | 600 | 2467 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
भारतीय उपमहाद्वीप में पीपल के वृक्ष का तीन प्रमुख धर्म–हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। हिंदू और जैन सन्यासी पीपल के वृक्ष को पवित्र मानते हैं और अक्सर इसके नीचे ध्यान करते हैं। यह सर्वत्र ज्ञात है कि वह एक पीपल का ही पेड़ था, जिसके नीचे बैठे हुए गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी कारण पीपल के पेड़ को बोधिवृक्ष के रूप में भी जाना जाता है। पीपल भारतीय राज्यों ओडिशा, बिहार और हरियाणा का राजकीय वृक्ष भी है। पीपल के पेड़ का वैज्ञानिक नाम फाइकस रिलिजियोसा (Ficus Religiosa) है। दरअसल, पीपल का यह पेड़ पादप मोरेसी (Moraceae) अर्थात अंजीर या शहतूत परिवार से संबंधित है। जो मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप और इंडोचाइना (Indochina) में पाया जाता है। साथ ही विभिन्न स्थानों तथा क्षेत्रों में इसके अलग–अलग नाम प्रचलित भी हैं।
पीपल शुष्क मौसम के पर्णपाती या अर्धसदाबहार प्रकार का एक बड़ा पेड़ होता है। इसकी लंबाई 30 मीटर और इसके तने का व्यास 3 मीटर तक हो सकता है। इसकी पत्तियां जालीनुमा संरचना की होकर हृदयाकार आकार की होती हैं। पीपल के पेड़ का जीवनकाल 900 से 1,500 वर्ष के बीच हो सकता है। श्रीलंका देश के अनुराधापुरा शहर में स्थित जया श्री महाबोधि वृक्ष तो 2,250 वर्ष से अधिक पुराना होने का अनुमान है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार यह माना जाता है कि 288 ईसा पूर्व के आसपास सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा, बोधगया से मूल पीपल के पेड़ का पौधा श्रीलंका ले गई थी। यह पेड़, जिसे विश्व में मानव द्वारा लगाया गया सबसे पुराना प्रलेखित पेड़ माना जाता है, आज भी श्रीलंका के अनुराधापुरा शहर में देखा जा सकता है।
पीपल अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप अर्थात बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान आदि देशों और हमारे देश भारत में असम राज्य, पूर्वी हिमालय और निकोबार द्वीप समूह के साथ-साथ इंडोचाइना अर्थात भारत के अंडमान द्वीप समूह, थाईलैंड (Thailand), म्यांमार(Myanmar) और प्रायद्वीपीय मलेशिया (Malaysia) आदि देशों में मूल रूप से पाया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में बौद्ध धर्ममें पवित्र माना जाने वाले , महाबोधि महाविहार परिसर के बोधि वृक्ष ने, जिसके नीचे बैठकर राजकुमार सिद्धार्थ अर्थात भगवान बुद्ध ने लगभग 2,600 साल पहले ध्यान लगाया था और ज्ञान प्राप्त किया था, श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया (South Korea), वियतनाम (Vietnam), भूटान, मंगोलिया (Mongolia), चीन (China) और नेपाल जैसे देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण राजनयिक संबंधों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस पीपल के पेड़ के पौधे शांति और सद्भाव के बौद्ध सिद्धांतों के प्रतीक के रूप में विभिन्न देशों को उपहार के रूप में दिए गए हैं। अभी कुछ वर्षों पहले, 28 नवंबर 2014 को राजकुमार सिद्धार्थ की जन्मभूमि लुम्बिनी (वर्तमान में नेपाल में एक शहर) में माया देवी मंदिर के परिवेश में बोधि वृक्ष का एक पौधा लगाया गया था। इस पेड़ की पत्तियाँ भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र मूल्य रखती हैं। यहां के स्थानीय लोग प्राकृतिक रूप से गिरने वाले पत्तों को इकट्ठा कर लेते हैं और 10 से 20 पत्तों से छोटे पैकेट (Packet) तैयार कर लेते हैं। जबकि, यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक इन पैकेटों को खरीद कर घर ले जाते हैं।
पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में भी श्रद्धेय है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा पीपल के पेड़ की जड़ों में; भगवान विष्णु पीपल के पेड़ के तने में; तथा भगवान शिव पीपल के पेड़ की पत्तियों में वास करते है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, पीपल एक वास्तविक “जीवन का वृक्ष” है। यह अन्य पेड़ों के विपरीत रात में भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। आयुर्वेद के अनुसार पीपल के पेड़ के किसी भी हिस्से का उपयोग तमाम स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह पेड़ दस्त, मिर्गी और पेट की समस्याओं सहित अन्य 50 से अधिक बीमारियों का इलाज कर सकता है।
छांदोग्य उपनिषद और अथर्ववेद के अनुसार, पीपल के पेड़ को भगवान के स्वर्ग के समान ही आध्यात्मिक महत्व का माना जाता है। हिंदु धर्म में लोगों का मानना है कि शनिवार के दिन भगवान विष्णु अपनी अर्धांगिनी माँ लक्ष्मी के साथ पीपल के वृक्ष पर निवास करते हैं। इस मान्यता के कारण कई हिंदू लोग हर शनिवार को पीपल के पेड़ की जड़ों में जल चढ़ाना शुभ मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु इस पेड़ के नीचे ही अपनी बैठकों का आयोजन करते थे, इस मान्यता के कारण यह पेड़ हिंदु धर्म में और भी अधिक पवित्र माना जाता है। भगवान शिव को पेड़ की पत्तियों द्वारा, विष्णु को तने द्वारा और ब्रह्मा को जड़ों द्वारा दर्शाया जाता है। “ब्रह्म पुराण” में यह भी दावा किया गया है कि भगवान विष्णु का जन्म पीपल के पेड़ के नीचे हुआ था, इसलिए “पीपल का पेड़” भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है।
पीपल के इस धार्मिक महत्व के कारण, पीपल के वृक्ष को भारतीय पौराणिक कथाओं में एक देवता के रूप में पूजा जाता है। इसके साथ ही भगवान कृष्ण को भी पीपल से जुड़ा हुआ माना जाता है। चित्रकारी और मूर्तिकला में पीपल के पत्ते पर श्रीकृष्ण के बाल रूप को दर्शाया जाता है। पवित्र धार्मिक ग्रंथ भगवद गीता में भी श्रीकृष्ण अर्जुन को अपने विराट स्वरूप का परिचय कराते हुए कहते हैं कि, “पेड़ों के बीच, मैं अश्वत्थ (पीपल) हूँ!” कहा जाता है कि पीपल के पेड़ के नीचे ही भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई थी।
मान्यता है कि जो लोग इस पवित्र पेड़ की पूजा करते हैं उन्हें नाम, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति रोगों से मुक्ति पा सकता है। पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवत गीता के अनुसार पीपल के पेड़ में भगवान कृष्ण का वास होता है और जो लोग पीपल के पेड़ को स्नेह और सम्मान देते हैं उन्हें सीधे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
साथ ही यह भी माना जाता है कि यदि कोइ व्यक्ति अपनी जन्म कुंडली में विवाह भाव - शनि, राहु, मंगल, केतु और सूर्य जैसे ग्रहों से पीड़ित है, तो अच्छे परिणाम के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ की पूजा वैवाहिक सुख में वृद्धि करती है। पीपल का पेड़ बृहस्पति ग्रह से जुड़ा माना जाता है और बृहस्पति को सकारात्मक ग्रह माना जाता है। इसलिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पवित्र पीपल का पेड़, जिसे बोधि सत्व वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक है। आयुर्वेद में इस चमत्कारी वृक्ष की छाल, जड़, पत्ते और फलों का उपयोग फेफड़ों के विकारों, त्वचा की समस्याओं और विभिन्न प्रकार के पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3pDdFm3
https://bit.ly/42YdfVG
https://bit.ly/42YdkZu
चित्र संदर्भ
1. बोधि वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. बाढ़ के बीच में पीपल के वृक्ष को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. शुरुआती सर्दियों के दौरान पीपल के वृक्ष को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. बोधगया में बोधि वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (HelloTravel)
5. गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर में पीपल के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. पीपल के पेड़ में धागों को लपेटे हुए को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.