Post Viewership from Post Date to 30-Jun-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1658 531 2189

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव से प्रभावित हो रहा है, हमारा रामपुर शहर

रामपुर

 19-05-2023 09:37 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

गर्मियां अब अपने शीर्ष स्तर पर पहुंच रही हैं, जिसकी वजह से हम सभी को तेज धूप और गर्म हवाओं का सामना करना पड़ रहा है।किंतु एक विशेष अंतर जो हमें हर साल दिखाई दे रहा है, वह है तेज धूप और गर्म हवाओं के स्तर में वृद्धि होना। रामपुर जिले में भी गर्मी अपना कहर बरपा रही है तथा गर्मी से राहत की कोई उम्मीद नहीं है।तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण जिले की स्थिति गर्म लहरों या हीट वेव (Heat wave) जैसी हो गई है। पिछले कई दिनों से चल रही गर्म हवाओं से सोमवार को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था।मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में लू चलने के आसार बन सकते हैं। जिसके कारण राहत मिलने के आसार न के बराबर हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिमी क्षेत्र से गर्म हवा का चलना लगातार जारी है। गर्म हवाओं के कारण ही तापमान बढ़ रहा है। जमीन से लेकर वातावरण तक की नमी गायब हो रही है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इस सप्ताह तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। यह स्थिति केवल रामपुर की ही नहीं बल्कि भारत के अनेकों शहरों की है।बढ़ते तापमान की वजह से विभिन्न शहरों में ऊष्मीय द्वीपप्रभाव उत्पन्न हो रहा है। शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव तब उत्पन्न होता है, जब शहर का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हो जाता है। इसका मतलब है कि शहरों और कम विकसित ग्रामीण क्षेत्रों के वातावरण में ताप का अवशोषण और धारण अलग-अलग प्रकार से होता है, भले ही सूरज का ताप और रोशनी शहरों और कम विकसित ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही प्रकार से पहुंचता है।यदि आप किसी ग्रामीण क्षेत्र में जाएंगे,तो आप देखेंगे कि अधिकांश क्षेत्र पौधों से आच्छादित हैं। जहाँ तक नज़र जाती है, वहां घास, पेड़ और फ़सलों से ढके खेत दिखाई देते हैं।पौधे अपनी जड़ों द्वारा भूमि से जल अवशोषित करते हैं। फिर, वे जल को अपने तने और पत्तियों तक पहुंचाते हैं। पानी अंततः पत्तियों के नीचे मौजूद छोटे छिद्रों में पहुंचता है। यहां से तरल जल, वाष्प में बदल जाता है और हवा में पहुंच जाता है। यह प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है, जो कि वातावरण के लिए एयर कंडीशनर के रूप में कार्य करती है।
इसके विपरीत जब आप किसी बड़े शहर में जाते हैं, तो वहां बहुत सारे पेड़-पौधों की कमी दिखाई देती है। यहां आपको अक्सर फुटपाथ, सड़कें, पार्किंग स्थल और ऊंची इमारतें दिखाई देती हैं। ये संरचनाएं आमतौर पर डामर,सीमेंट, ईंट, कांच, स्टील आदि सामग्रियों से बनी होती हैं।डामर, स्टील और ईंट जैसी सामग्रियां अक्सर बहुत गहरे रंग की होती हैं,जैसे काला, भूरा आदि। एक गहरे रंग की वस्तु, प्रकाश ऊर्जा के सभी तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करने में सक्षम होती है और उसे ताप में परिवर्तित करती है, जिससे वस्तु गर्म हो जाती है। इसके विपरीत, एक सफेद वस्तु प्रकाश की सभी तरंग दैर्ध्य को परावर्तित करती है।
इस प्रकार प्रकाश, ताप में परिवर्तित नहीं होता है और सफेद वस्तु का तापमान अधिक नहीं बढ़ता है। गहरे रंग की वस्तुएँ जैसे डामर, स्टील और ईंट सूर्य से ऊष्मा को अवशोषित करती हैं।शहरों को ठंडा करने के लिए कुछ शहर काली डामर सड़कों, पार्किंग स्थल और गहरे रंग की छतों को ग्रे रंग के साथ आवरित कर रहे हैं। ये परिवर्तन शहरों के तापमान को कम कर सकते हैं,खासकर गर्मी के दौरान। इसके अलावा शहरी छतों पर बगीचे भी बनाए जा रहे हैं, ताकि शहरों को ठंडा करने में मदद की जा सके। कई आधुनिक निर्माण सामग्रियों की सतह अभेद्य है। इसका मतलब यह है कि ईंट या सीमेंट की सतह पानी को अवशोषित नहीं करती है और न उनमें पौधों के समान वाष्पोत्सर्जन होता है, जिससे इनकी सतह को ठंडा करना बहुत मुश्किल है।इमारतों को ठंडा करने में मदद करने के लिए, बिल्डर्स उन सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं जो पानी को आसानी से प्रवाहित कर सकते हैं। इन निर्माण सामग्रियों को पारगम्य सामग्री कहा जाता है, जो पानी के अवशोषण और प्रवाह को बढ़ावा देती हैं।
2012 में दुनिया भर के 419 शहरों में हुए एक विश्लेषण से पता चला है कि शहरों के ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण दिन और रात के समय के तापमान में क्रमशः 1.5 डिग्री सेल्सियस और 1.1डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है। इसके अलावा ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण जनसंख्या के आकार, वनस्पति आवरण और जलवायु पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है।यूरोप (Europe) और उत्तरी अमेरिका (North America) में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि ऊष्मीय द्वीप प्रभाव बारिश के पैटर्न और बादलों और कोहरे के गठन को प्रभावित करता है। इसके अलावा, समशीतोष्ण क्षेत्रों में यह उस मौसम को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें पौधे वृद्धि करते हैं। 2020 में प्रकाशित एक विश्लेषण से पता चला है कि 32 भारतीय शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण शहरों के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर 9 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है।हर गर्मियों में, अधिकांश प्रमुख भारतीय शहर गर्म लहरों का अनुभव करते हैं, जो लोगों में गर्मी के कारण होने वाली थकावट, बेहोशी और यहां तक कि मृत्यु का कारण बनती है।इसके अलावा, बढ़ा हुआ तापमान उन लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है जो अधिक वजन वाले हैं, और मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रसित हैं। शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को कई तरह से कम किया जा सकता है। इनमें कई तरह की रणनीतियाँ शामिल हैं, उदाहरण के लिए वनस्पति आवरण को बढ़ाना तथा ऐसी निर्माण सामग्री का उपयोग करना, जिसमें अवशोषण और परावर्तन की प्रक्रिया कम हो।

संदर्भ:

https://bit.ly/3Ol44Le
https://go.nasa.gov/2L6hbR5
https://bit.ly/3BzMbQZ

 चित्र संदर्भ

1. रामपुर में शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang, Environment for Youth)
2. पेड़ की छाँव में बैठे रामपुर वासियों को दर्शाता चित्रण (prarang)
3. शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रामपुर की सुनहरी साँझ को दर्शाता एक चित्रण (prarang)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • पिछली कुछ सदियों में, कई बोलियों और विशेषताओं के साथ, विकसित हुई है उर्दू भाषा
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:25 AM


  • जानें, उत्तर प्रदेश में, मछली पालन उद्योग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:27 AM


  • समानता, न्याय और भाईचारे को बढ़ावा देता है इस्लाम
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:30 AM


  • क्रिसमस त्योहार की उत्पति और इसे मनाने की विभिन्न परंपराएं हैं, बहुत खास
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:28 AM


  • रामपुर के इन गुमनाम धार्मिक स्थलों ने कायम रखी है, इस शहर की सांस्कृतिक जीवंतता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:24 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में मृदा के विभिन्न प्रकारों और उनके पोषक तत्वों के महत्त्व को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:28 AM


  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id