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गर्मियां अब अपने शीर्ष स्तर पर पहुंच रही हैं, जिसकी वजह से हम सभी को तेज धूप और गर्म हवाओं का सामना करना पड़ रहा है।किंतु एक विशेष अंतर जो हमें हर साल दिखाई दे रहा है, वह है तेज धूप और गर्म हवाओं के स्तर में वृद्धि होना। रामपुर जिले में भी गर्मी अपना कहर बरपा रही है तथा गर्मी से राहत की कोई उम्मीद नहीं है।तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण जिले की स्थिति गर्म लहरों या हीट वेव (Heat wave) जैसी हो गई है। पिछले कई दिनों से चल रही गर्म हवाओं से सोमवार को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था।मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में लू चलने के आसार बन सकते हैं। जिसके कारण राहत मिलने के आसार न के बराबर हैं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिमी क्षेत्र से गर्म हवा का चलना लगातार जारी है। गर्म हवाओं के कारण ही तापमान बढ़ रहा है। जमीन से लेकर वातावरण तक की नमी गायब हो रही है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इस सप्ताह तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। यह स्थिति केवल रामपुर की ही नहीं बल्कि भारत के अनेकों शहरों की है।बढ़ते तापमान की वजह से विभिन्न शहरों में ऊष्मीय द्वीपप्रभाव उत्पन्न हो रहा है।
शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव तब उत्पन्न होता है, जब शहर का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हो जाता है। इसका मतलब है कि शहरों और कम विकसित ग्रामीण क्षेत्रों के वातावरण में ताप का अवशोषण और धारण अलग-अलग प्रकार से होता है, भले ही सूरज का ताप और रोशनी शहरों और कम विकसित ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही प्रकार से पहुंचता है।यदि आप किसी ग्रामीण क्षेत्र में जाएंगे,तो आप देखेंगे कि अधिकांश क्षेत्र पौधों से आच्छादित हैं। जहाँ तक नज़र जाती है, वहां घास, पेड़ और फ़सलों से ढके खेत दिखाई देते हैं।पौधे अपनी जड़ों द्वारा भूमि से जल अवशोषित करते हैं। फिर, वे जल को अपने तने और पत्तियों तक पहुंचाते हैं। पानी अंततः पत्तियों के नीचे मौजूद छोटे छिद्रों में पहुंचता है। यहां से तरल जल, वाष्प में बदल जाता है और हवा में पहुंच जाता है। यह प्रक्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है, जो कि वातावरण के लिए एयर कंडीशनर के रूप में कार्य करती है।
इसके विपरीत जब आप किसी बड़े शहर में जाते हैं, तो वहां बहुत सारे पेड़-पौधों की कमी दिखाई देती है। यहां आपको अक्सर फुटपाथ, सड़कें, पार्किंग स्थल और ऊंची इमारतें दिखाई देती हैं। ये संरचनाएं आमतौर पर डामर,सीमेंट, ईंट, कांच, स्टील आदि सामग्रियों से बनी होती हैं।डामर, स्टील और ईंट जैसी सामग्रियां अक्सर बहुत गहरे रंग की होती हैं,जैसे काला, भूरा आदि। एक गहरे रंग की वस्तु, प्रकाश ऊर्जा के सभी तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करने में सक्षम होती है और उसे ताप में परिवर्तित करती है, जिससे वस्तु गर्म हो जाती है। इसके विपरीत, एक सफेद वस्तु प्रकाश की सभी तरंग दैर्ध्य को परावर्तित करती है।
इस प्रकार प्रकाश, ताप में परिवर्तित नहीं होता है और सफेद वस्तु का तापमान अधिक नहीं बढ़ता है। गहरे रंग की वस्तुएँ जैसे डामर, स्टील और ईंट सूर्य से ऊष्मा को अवशोषित करती हैं।शहरों को ठंडा करने के लिए कुछ शहर काली डामर सड़कों, पार्किंग स्थल और गहरे रंग की छतों को ग्रे रंग के साथ आवरित कर रहे हैं। ये परिवर्तन शहरों के तापमान को कम कर सकते हैं,खासकर गर्मी के दौरान। इसके अलावा शहरी छतों पर बगीचे भी बनाए जा रहे हैं, ताकि शहरों को ठंडा करने में मदद की जा सके।
कई आधुनिक निर्माण सामग्रियों की सतह अभेद्य है। इसका मतलब यह है कि ईंट या सीमेंट की सतह पानी को अवशोषित नहीं करती है और न उनमें पौधों के समान वाष्पोत्सर्जन होता है, जिससे इनकी सतह को ठंडा करना बहुत मुश्किल है।इमारतों को ठंडा करने में मदद करने के लिए, बिल्डर्स उन सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं जो पानी को आसानी से प्रवाहित कर सकते हैं। इन निर्माण सामग्रियों को पारगम्य सामग्री कहा जाता है, जो पानी के अवशोषण और प्रवाह को बढ़ावा देती हैं।
2012 में दुनिया भर के 419 शहरों में हुए एक विश्लेषण से पता चला है कि शहरों के ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण दिन और रात के समय के तापमान में क्रमशः 1.5 डिग्री सेल्सियस और 1.1डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है। इसके अलावा ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण जनसंख्या के आकार, वनस्पति आवरण और जलवायु पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है।यूरोप (Europe) और उत्तरी अमेरिका (North America) में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि ऊष्मीय द्वीप प्रभाव बारिश के पैटर्न और बादलों और कोहरे के गठन को प्रभावित करता है। इसके अलावा, समशीतोष्ण क्षेत्रों में यह उस मौसम को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें पौधे वृद्धि करते हैं। 2020 में प्रकाशित एक विश्लेषण से पता चला है कि 32 भारतीय शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के कारण शहरों के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर 9 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है।हर गर्मियों में, अधिकांश प्रमुख भारतीय शहर गर्म लहरों का अनुभव करते हैं, जो लोगों में गर्मी के कारण होने वाली थकावट, बेहोशी और यहां तक कि मृत्यु का कारण बनती है।इसके अलावा, बढ़ा हुआ तापमान उन लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है जो अधिक वजन वाले हैं, और मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रसित हैं।
शहरों में ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को कई तरह से कम किया जा सकता है। इनमें कई तरह की रणनीतियाँ शामिल हैं, उदाहरण के लिए वनस्पति आवरण को बढ़ाना तथा ऐसी निर्माण सामग्री का उपयोग करना, जिसमें अवशोषण और परावर्तन की प्रक्रिया कम हो।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Ol44Le
https://go.nasa.gov/2L6hbR5
https://bit.ly/3BzMbQZ
चित्र संदर्भ
1. रामपुर में शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang, Environment for Youth)
2. पेड़ की छाँव में बैठे रामपुर वासियों को दर्शाता चित्रण (prarang)
3. शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रामपुर की सुनहरी साँझ को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
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