उत्तर प्रदेश सरकार ने, सन 2007 में हर ज़िले के लिए विस्तृत कृषि योजना बनाई। इस योजना के तहत कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ उस ज़िले के नागरिकों की उन्नति की भी परियोजना थी। इस योजना में लाभदायक और कम समय तथा प्रयास में ज्यादा इजाफा हो ये मुख्य उद्देश्य था क्यूंकि उत्तर प्रदेश में 65% से भी ज्यादा आबादी गाँव में रहती है। लोगों के पास जमीन कम रहती है और खेती के अलावा उत्पन्न के ज्यादा साधन उपलब्ध नहीं होते। उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए और आर्थिक फायदा हो इन मुद्दों को ध्यान में रखकर उसी के तहत कुकुरमुत्ते की खेती, घर के आंगन में फल, सब्जियां उगाना, मधुमक्खी पालन, पुष्पकृषि, अमरुद और आम की फलवाटिका आदि कार्यक्रम सम्मिलित किये गए हैं। रामपुर में ये सभी थोडी-बहुत मात्रा में सफल हुए। उनमे से एक है कुकुरमुत्ते मतलब मशरूम की खेती जो ज्यादा मात्रा में सफल हुई है। कुकुरमुत्ता खाने और दवाई के लिए इस्तेमाल होता है तथा सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। कुकुरमुत्ते खेती के कई फायदे हैं जैसी की उसकी व्यवसायिक उपज के लिए: 1) ज्यादा जमीन नहीं लगती। घर के कोंने में भी कर सकते हैं। 2) ज्यादा पैसे नहीं लगते हैं: सरकार इस उद्योग की शुरुवात के लिए वित्त देती है। 3) बहुत कम समय में इसकी अच्छी उपज मिलती है और बिक्री करना आसान है। 4) कुकुरमुत्ते की खेती आप किसी भी मौसम में शुरू कर सकते हो। इसी के साथ सरकार कुकुरमुत्ते की खेती के लिए प्रशिक्षण देती है और आगे की खेती से जुड़े प्रश्न के लिए मदद भी। बहुतायता से दो प्रकार के कुकुरमुत्ते की पैदावार होती है। बटन के आकारवाले मशरूम और ऑइस्टर (सीपी के आकारवाले) मशरूम। आज रामपुर में ये व्यवसाय बहुत मुनाफेदार और कामयाब हुआ है। 1. सी डेप 2007 2. प्रोब्लेम्स, पोटेनशियल एंड इकोनॉमिक्स ऑफ़ मशरुम कल्टीवेशन- ए स्टडी इन हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश एंड बिहार: सी एस वैद्य http://45.115.99.201/hpuniv/upload/uploadfiles/files/Mushroom%20cultivation.pdf
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