शायद आप जानते हो कि मेडिकल स्टोर (Medical Store) में उपलब्ध कई दवाओं में, थोड़ी-बहुत मात्रा में एल्कोहल (Alcohol) जैसे नशीले तत्व भी पाए जाते हैं। किंतु शुरुआत में स्वयं इन दवाओं के निर्माताओं ने भी नहीं सोचा होगा कि भविष्य में देश के 1.58 करोड़ बच्चे दवाओं में दर्द को कम करने के लिए थोड़ी मात्रा में उपयोग किए जाने वाले नशीले पदार्थों के बेहिसाब सेवन के आदी हो जाएंगे और आनेवाले समय में यह जीवनदाई दवाएं नशीले जहर का काम करेंगी।
हाल ही में भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि देश में दिसंबर 2022 के अंत तक 10 से 17 साल की उम्र के बीच के 1.58 करोड़ बच्चे नशीले पदार्थों के आदी हो चुके हैं। उपरोक्त आंकड़ों का पता लगाने वाले सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीयों द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मनोविकृतिकारी या साइकोएक्टिव पदार्थ (Psychoactive Substances) “शराब” है, और इसके बाद भारतीयों द्वारा भाँग (Cannabis) और ओपिओइड (Opioids) जैसे नशीले पदार्थों का सबसे अधिक सेवन किया जाता है। देश में लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं जिनमें से तक़रीबन 5.7 करोड़ से अधिक लोग हानिकारक या ज़हरीली शराब के नुक़सानों से गंभीर रूप से प्रभावित हैं और उन्हें मदद की जरूरत है।
महिलाओं (1.6 प्रतिशत) की तुलना में पुरुषों (27.3 प्रतिशत) के बीच शराब का उपयोग काफी अधिक है। देश में शराब के सबसे अधिक प्रचलन वाले राज्यों में छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा शामिल हैं।
आँकड़ों के अनुसार, देश में 3.1 करोड़ लोग भांग से जुड़े उत्पादों का उपयोग करते हैं जिनमें से लगभग 25 लाख लोग भांग (Cannabis) की लत से पीड़ित हैं। भांग के सबसे अधिक प्रचलन वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली शामिल हैं। इसके अलावा तक़रीबन 2.26 करोड़ लोग अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिनमें से 77 लाख लोगों को मदद की आवश्यकता है।
मादक द्रव्यों के लगभग 100 मिलियन व्यसनियों के साथ, पिछले आठ वर्षों में भारत में नशीले पदार्थों की खपत में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के अनुसार, भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार लोगों में से 13 प्रतिशत लोग 20 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं। ‘भारतीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ (Indian Ministry of Social Justice & Empowerment) ने इस सर्वेक्षण से पहले नशीले पदार्थों के अनुमानित उपयोग के आंकड़े जारी किए थे , जिसमें खुलासा किया गया था कि 31 मिलियन लोग भांग, 24 मिलियन लोग ओपिओइड और 7.7 मिलियन लोग सिगरेट या सिगार के जरिए नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे थे।
भारत में बढ़ती नशीली दवाओं का बढ़ता दुरुपयोग भी अपराध में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है। 2021 में बलात्कार, अपहरण, बच्चों के खिलाफ अपराध, हत्या और डकैती सहित पंजीकृत हिंसक अपराध फिर से बढ़ गए। इसके अलावा ‘घरेलू हिंसा अधिनियम’ (Domestic Violence Act) के तहत देश भर में घरेलू हिंसा के कुल 1,193,359 मामले दर्ज किए गए । परिवार में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ घरेलू हिंसा का प्रमुख ज़िम्मेदार भी नशीली दवाओं और शराब के सेवन को ही माना जा रहा है।
भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग में वृद्धि के प्रमुख कारणों में व्यापक बेरोजगारी शामिल है। देश में बाल श्रम और बाल शोषण अभी भी प्रचलित है, जिसके समाधान के लिए कोई भी पूर्ण समाधान अभी तक उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों ने इस प्रकार के वातावरण को जीवन की कठोर परिस्थितियों से बचने के तरीके के रूप में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की ओर ले जाने वाले कारकों के रूप में इंगित किया है।
‘ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ (United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) के अनुसार, कई बच्चों द्वारा उनके खराब मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के कारण नशीली दवाओं और शराब के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है। नशीले पदार्थों की लत वाले 10 में से नौ लोग 18 साल की उम्र से पहले ही इन पदार्थों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं।
देश के नागरिकों के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या का समाधान करने के लिए, ‘भारतीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’ (Indian Ministry of Social Justice & Empowerment) द्वारा ‘नशीले पदार्थों की मांग को कम करने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना’ (National Action Plan for Drug Demand Reduction (NAPDDR) तैयार और कार्यान्वित की गई है। एनएपीडीडीआर का मुख्य उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से निवारक शिक्षा, जागरूकता सृजन, पहचान, परामर्श, उपचार और पदार्थों पर निर्भरता वाले व्यक्तियों के पुनर्वास, सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सरकार द्वारा भी मादक पदार्थों के सेवन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठाए गए हैं और ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (National Education Policy, 2020) के तत्वावधान में स्कूली पाठ्यक्रम में इसी संबंध में विशिष्ट सामग्री को भी अपनाया है। लेकिन नशीली दवाओं के सेवन को रोकने और नशे की लत से जूझ रहे बच्चों की सहायता करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ।
संदर्भ
https://bit.ly/42aFhhg
https://bit.ly/3FqCKWy
https://rb.gy/h3n1id
चित्र संदर्भ
1. नशीली दवा खरीदते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नशे में धुत व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. प्रति व्यक्ति वार्षिक शराब खपत वाले देशों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. नशे की लत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नशे में गाढ़ी चलाते युवाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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