गंध की चेतना हमें पुरानी यादों से करवा सकती है रूबरू

रामपुर

 17-03-2023 09:54 AM
गंध- ख़ुशबू व इत्र

हमारे शहर रामपुर के व्यंजनों में सूखे खड़े मसालों का व्यापक तौर पर उपयोग होता है। काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, जावित्री, इलायची, तेज पत्ता, जीरा और धनिया आदि मसालों से मिलकर बनने वाला यह खड़ा मसाला व्यंजनों को एक अद्वितीय स्वाद देता हैं। रामपुर की रसोइयों से आने वाली अंडे, मांस और चिकन के व्यंजनों में उपयोग किए जाने वाले खड़े मसालों और अदरक की गंध, हमें अतीत के कुछ सुहावने दिनों में ले जाती है। वास्तव में, भोजन की महक में कुछ तो ऐसी विशेषता होती है जिसमें जादुई क्षणों को कैद करने और उन्हें सार्थक यादों में बदलने की गहरी क्षमता होती है। कुछ विशिष्ट प्रकार की गंध मानवों के कुछ विशिष्ट अनुभवों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती हैं। और वे जीवन भर, इन संवेदी अनुभवों के साथ खेल सकते हैं और अपनी खुद की रोमांचक कहानियाँ बना सकते हैं। आईए पढ़ते है कि हम अपनी पुरानी यादों को गंध की शक्ति के साथ कैसे तरोताजा कर सकते हैं। क्या आपको पता है कि हम गंध के माध्यम से जानकारी भी संसाधित करते हैं। सुगंध सबसे पहले नाक के माध्यम से हमारे घ्राण बल्ब (Olfactory bulb) में जाती है, जो इसे मस्तिष्क तक भेजता है और तब मस्तिष्क द्वारा उस गंध की पहचान की जाती है। दृष्टि, ध्वनि, स्वाद और स्पर्श की तरह ही, गंध एक संवेदी संचालन है जो स्मृति और भावना को उत्प्रेरित करता है। यह संचालन अन्य इंद्रियों की तुलना में थोड़ा अलग है क्योंकि यह हमारे दिमाग के सीधे उन हिस्सों में जाता है जो स्मृति और सीखी गई प्रतिक्रिया को संसाधित करता हैं। इस कारण से, हम गंध का विश्लेषण करने में अधिक सक्षम होते हैं।
गंध का स्वाद से भी गहरा संबंध है। रेट्रोनेसल घ्राण (Retronasal Olfaction) मार्ग, जो खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के स्वाद में योगदान देता है, आमतौर पर स्वाद की भावना से जुड़ा होता है। यहां घ्राण से तात्पर्य गंध की चेतना से है। वास्तव में, स्वादों की अवस्था, जो हम अनुभव करते हैं, वह गंध ही है। स्वाद की संवेदना हमें गंध से ही होती है। है ना, यह तथ्य रोचक? कुछ विशिष्ट खुशबू, जैसे की बचपन के पसंदीदा खाद्य पदार्थ की गंध, हमें पुराने समय को खुशी से याद करने में मदद करती हैं। यह माना जाता है कि, हर किसी की गंध से जुड़ी यादें उनके लिए काफी विशिष्ट होती हैं। गंध, स्वाद के साथ, पांचों मानव इंद्रियों में सबसे विशिष्ट है, और यह हमारे पर्यावरण में सुरक्षा का आकलन करने में भी हमारी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्वाद को महसूस करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले 35 स्वाद ग्राही (Receptors) की तुलना में गंध का पता लगाने के लिए मनुष्यों के पास लगभग 400 गंध ग्राही होते हैं। गंध ग्राही बाह्य वातावरण से संवेदनाओं को प्राप्त करके उन्हें मस्तिष्क तक पहुंचाते है। गंध की संवेदना हमारे मस्तिष्क के एमिग्डल -हिप्पोकैम्पल(Amygdala-Hippocampal) मनोग्रंथि से सीधे तौर पर जुड़ी होने के कारण यह हमारे भावनात्मक और सांस्कृतिक अनुभवों के साथ गहराई से जुड़ी होती है। बचपन में पहली बार आने वाली गंधों से संबंधित हमारी अवधारणाएं अत्यंत मजबूत होती , क्योंकि हमारे मस्तिष्क के भावनात्मक उपरिकेंद्र (Epicentre) के साथ न्यूरोलॉजिकल (Neurological) संवेदनाओं पर हमारे मस्तिष्क द्वारा तुरंत ही प्रतिक्रिया की जाती है और उन्हें आपस में जोड़ दिया जाता है । हमारी नाक और हमारे मस्तिष्क के भावनात्मक प्रसंस्करण केंद्र के बीच सीधा शारीरिक संबंध होने का एक कारण यह भी है कि हम सुगंध को उसी शब्दावली का उपयोग करके वर्गीकृत करते हैं जिसका उपयोग हम अपनी भावनाओं का वर्णन करने के लिए करते हैं, जैसे कि आरामदायक, भारी, सुखद या वमनकारी। यह स्थिति यह भी बताती है कि क्यों एनोस्मिया (Anosmia), जोकि एक ऐसी स्थिति है जो गंध न आने की कमजोरी या गंध के न के बराबर की भावना की ओर ले जाती है, मानसिक आघात का कारण बन सकती है। 3 से 11 वर्ष की आयु के बीच होने वाले अनुभवों का बच्चे की भावनात्मक बुद्धि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए एक विशेष गंध के साथ एक मार्मिक संबंध विकसित करने की प्रक्रिया से लगभग सभी इंसान गुजरते हैं।
जब आप पहली बार अपने आसपास की दुनिया की संरचना को जानने के लिए एक बच्चे के रूप में गंध से रूबरू होते हैं तो आप इसे सदैव याद रखते हैं । गंध के संपर्क की भावना बच्चे की याददाश्त में गहरे संबंध के साथ सदैव बनी रहती है। हालांकि, नवजात शिशु केवल कुछ गंधों को ही पहचान सकते हैं, एक बच्चे की गंध की भावना 8 साल की उम्र तक तेज हो जाती हैं। फिर यह लगभग 20 साल की उम्र तक ऐसे ही बनी रहती है, इसके बाद बढ़ती उम्र के साथ-साथ यह तेज होती रहती है। गंध की छाप वाली एक स्मृति को विकासवादी रूप से लाभप्रद माना जाता है। जब आप पहली बार किसी गंध का सामना करते हैं, तो आपका मस्तिष्क भविष्य के संभावित खतरों से बचने के लिए इसे अच्छी या बुरी गंध के रूप में पहचानता है।
मनुष्यों में सुखद गंध संघों की संभावना अधिक होती है । गंध के प्रति नकारात्मक सजगता ‘पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिस ऑर्डर’ (post-traumatic stress disorder) के लक्षणों को भी संचालित कर सकती है। इसका एक उदाहरण खराब भोजन की गंध है। इसकी महक आपको इसे अपने मुंह में डालने से रोकती है।
हमारी बचपन की बहुत सारी यादें पहली गंध पर आधारित होती हैं। इसी वजह से गंध के बारे में हमारी यादें अनन्य एवं साधारण होती है।

संदर्भ

https://bit.ly/3JBrTeE
https://bit.ly/3JfqR73

चित्र संदर्भ

1. मसाले को सूंघते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. घ्राण बल्ब को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. रेट्रोनेसल घ्राण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एमिग्डल -हिप्पोकैम्पल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. फूल की गंध लेते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)



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