रामपुर नगर पालिका द्वारा होली के त्यौहार पर पहले ही रामपुर के नागरिकों को यह सूचित कर दिया गया था कि होली के दिन रामपुर में पानी की कमी नहीं होगी। त्यौहार के मौके पर लोगों को नगर पालिका से 24 घंटे पानी की आपूर्ति की जाएगी तथा शहर में पानी के साथ-साथ प्रकाश की व्यवस्था भी दुरुस्त रखी जाएगी। इस दौरान नगर पालिका की तरफ से सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया गया कि सभी नलकूपों का निरीक्षण किया जाए और उनमें खराबी पाए जाने पर उसे तुरंत ठीक किया जाए। यदि विद्युत आपूर्ति में रुकावट हो तो जेनरेटरों और ओवरहेड टैंकों को भरकर जलापूर्ति कराई जाए। इसके लिए जेनरेटरों के लिए डीजल आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। काम में लापरवाही मिलने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया है । यह अच्छी बात है कि त्यौहार के मौके पर सभी को पर्याप्त सुविधा देने का प्रयास किया गया, लेकिन इससे हमारे विचारों की एक गंभीर तस्वीर उभरकर सामने आती है। अर्थात शहर में पानी की पर्याप्त आपूर्ति होना एक अच्छी बात है, किंतु पानी का दुरूपयोग अच्छी बात नहीं। एक तरफ तो हम प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं, मगर दूसरी तरफ हम इस प्रगति का गलत फायदा भी उठा रहे हैं। भले ही हमारे शहर में पानी की कमी न हो, किंतु हमें यह सोचना चाहिए कि भारत में ऐसे अनेकों क्षेत्र हैं, जहां लोगों तक स्वच्छ पानी की पहुंच नहीं है। दिल्ली में भी जल मंत्री ने लोगों को यह आश्वासन दिया कि होली के मौके पर उन्हें पानी खत्म होने की चिंता करने की जरूरत नहीं है, जबकि वहीं दूसरी तरफ दिल्ली शहर पानी की आपूर्ति के लिए हरियाणा जैसे दूसरे राज्यों पर निर्भर है। भले ही फिलहाल दिल्ली में पानी की आपूर्ति की गारंटी दी गई हो, फिर भी केवल होली के त्यौहार पर पानी की आपूर्ति पानी के दुरूपयोग करने की योजना प्रतीत होती है जो कि अच्छी नहीं है। इस योजना से एक ऐसे समय में पानी की बर्बादी हो सकती है, जब भारत का अधिकांश हिस्सा सूखे से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए हरियाणा में पिछले 11 वर्षों में छठीं बार सूखा पड़ा है। बुंदेलखंड से लेकर मराठवाड़ा और महबूबनगर लगातार सूखे की मार झेल रहे हैं, जिससे किसानों की फसल लगातार बर्बाद हो रही है। ‘विश्व जल दिवस’ के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘वाटर एड’ (WaterAid) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक ऐसा देश है, जहां लोगों की एक बड़ी आबादी को स्वच्छ पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। करीब 7.6 करोड़ लोग अर्थात हमारी आबादी का 5% हिस्सा साफ और सुरक्षित पानी से वंचित है। पानी की कमी होने से लोगों का स्वास्थ्य अत्यधिक प्रभावित हो रहा है। उदाहरण के लिए स्वच्छ पानी की कमी के कारण डायरिया से सालाना 140,000 बच्चों की मृत्यु हो जाती है। वाटरएड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जल संसाधनों के खराब प्रबंधन ने जल समस्या को उत्पन्न किया है। भारत में लगभग 85% जल जलभृतों से उपलब्ध होता है, किंतु कृषि और उद्योग के लिए इस स्रोत से पानी के अत्यधिक उपयोग के कारण भूमिगत जल स्तर काफी नीचे हो गया है और कहीं-कहीं तो यह पूरी तरह सूख गया है । हालांकि बारिश या सतह के पानी से भूमिगत जल में कुछ बढ़ोतरी हो जाती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होती है और इसका भी फिर से उपयोग कर लिया जाता है। जल संसाधन की संसदीय स्थायी समिति ने दिसंबर 2015 में लोकसभा को जल संकट और कुप्रबंधन पर एक रिपोर्ट सौंपी थी । रिपोर्ट के अनुसार, जहां अधिकांश ग्रामीण घर और उद्योग भूजल के दोहन पर निर्भर थे, वहीं 84% सिंचित कृषि भूमि भी भूजल पर निर्भर थी। रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में जमीन से पानी निकालने के लिए 30 मिलियन संरचनाएं बनाई गई थी । भारत में हर साल लगभग 245 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल निकाला जाता है, जो कि उपलब्ध भूजल का 62% है। समिति के अनुसार, 2011 के आकलन के बाद से सरकार द्वारा जल विकास, प्रबंधन, संरक्षण और भूजल की कमी, प्रदूषण आदि जैसे संबंधित मुद्दों के लिए कोई गंभीर और व्यवस्थित प्रयास नहीं किए गए हैं। भूजल का स्तर जहां तेजी से गिर रहा है, वहीं यह शहरों और औद्योगिक समूहों में नगरपालिका के कचरे और औद्योगिक बहिःस्रावों द्वारा प्रदूषित भी हो रहा है। शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन दोनों मिलकर शहरों में पानी की कमी को बढ़ा रहे हैं। शहरी आबादी और पानी की मांग में वृद्धि शहरों में जल की कमी की समस्या में योगदान देने वाले मुख्य कारक हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक, जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और सामाजिक आर्थिक विकास के कारण पानी की मांग में और भी अधिक वृद्धि होगी जिससे वैश्विक स्तर पर शहरों में जनसंख्या वृद्धि के बाद अतिरिक्त लगभग 0.990 अरब लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। अधिक जनसंख्या होने के कारण भारत के संबंध में यह स्थिति और भी अधिक गंभीर है। भारत में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक अतिरिक्त शहरी आबादी करीब (153-422 मिलियन) को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, जल-उपयोग दक्षता में सुधार करके, जनसंख्या वृद्धि को सीमित करके और जलवायु परिवर्तन को कम करके शहरों में पानी की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। घरेलू आभासी जल व्यापार, अंतर-बेसिन जल अंतरण, जलाशय निर्माण, समुद्री जल का अलवणीकरण आदि कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनकी मदद से शहरों में पानी की किल्लत को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3LehN4O
https://bit.ly/3ZYse0D
https://go.nature.com/3ZAI161
चित्र संदर्भ
1. पानी की बर्बादी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पानी की समस्या को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हैंडपंप के पास खड़ी महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. टैंक से ओवरफ्लो होते पानी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
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