सभी महान संत एवं ऋषि कर्म योगी रहे हैं। वे केवल काम की खातिर काम करते हैं और अक्सर दूसरों को सामाजिक स्थितियों या आध्यात्मिक गरीबी की कीचड़ से ऊपर उठाने में मदद करते हैं। इस शताब्दी के कर्म योगियों में सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक महात्मा गांधी हैं। गांधीजी के सुविचार उन्हीं की लिखावट में मौजूद हैं जिनके दुर्लभ चित्र हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। कर्म और परिणाम को लेकर महात्मा गाँधी के विचार कुछ इस प्रकार थे-
1) क़िस्मत और पुरुषार्थ का झगड़ा रोज़
चलता है। हम पुरुषार्थ करते रहें और
परिणाम ईश्वर पर छोडें।
2) दुःखद बात तो यह है कि हम जानते हैं क्या
करना, लेकिन उसे हम कर नहीं पाते। इसका
उत्तर हरेक मनुष्य अपने लिये दें।
3) हम कोशिश से संतुष्ट रहें, बशर्ते कि कोशिश
सही और यथाशक्ति हो। परिणाम सिर्फ़ कोशिश
पर निर्भर नहीं रहता। और चीज़ें होती हैं जिस
पर हमारा कोई अंकुश नहीं होता।
प्रस्तुत चित्रों में बापू के ये विचार उन्हीं की लिखावट में प्रस्तुत किये गए हैं।
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