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चिकित्सालय या अस्पताल (Hospital) स्वास्थ्य की देखभाल करने वाली संस्था है। इसमें विशिष्टता प्राप्त चिकित्सकों एवं अन्य कर्मचारियों के द्वारा तथा विभिन्न प्रकार के उपकरणों की सहायता से रोगियों का निदान एवं चिकित्सा की जाती है। लेकिन सोचिए, अगर स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले अस्पतालों में ही चिकित्सकों का अभाव हो, तो मरीजों की समस्या का निदान किस प्रकार हो पाएगा।
ऐसी ही एक खबर हिमाचल प्रदेश के रामपुर नगर में स्थित महात्मा गांधी चिकित्सा सेवा खनेरी अस्पताल (Mahatma Gandhi Medical Seva Khaneri Hospital) से सामने आई है,जहाँ अस्पताल में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ पर चिकित्सकों के पद रिक्त होने की वजह से मरीज स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। इस अस्पताल में किन्नौर, कुल्लू, मंडी, शिमला और स्पीति जिले के लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आते हैं। ऐसे में अस्पताल में चिकित्सकों के पद रिक्त होने से मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।खनेरी अस्पताल में तीन महीनों से अल्ट्रासाउंडके चिकित्सक , ग्यारह महीनों से नाक, कान एवं गले के चिकित्सक (E.N.T. Doctors) एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ का एक पद पिछले एक वर्ष से रिक्त है जो कि एक चिंता का विषय है। जब तक इन पदों का कार्यभार कोई उठाएगा ही नही, तब तक मरीजों का उपचार किस प्रकार किया जाएगा? क्या मरीजों को उनकी दयनीय हालत पर ही छोड़ दिया जाएगा? इस विषय पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने चिंता जताई है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण भारत में चिकित्सकों के अभाव के विषय में हमेशा से ही चिंता जताता आया है।
भारत की ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की रीढ़ माने जाने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centres) 30-बिस्तर वाले अस्पताल होते हैं - जिसमें प्रत्येक में चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है । विशेष सेवाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी में विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत 5,183 सीएचसी में मौजूदा सीएचसी की आवश्यकता की तुलना में कुल मिलाकर 76.1 प्रतिशत विशेषज्ञों की कमी है। चलिए इस बात पर चर्चा करते हैं कि ऐसे क्या कारण है जिसके कारण ग्रामीण भारत में चिकित्सकों का अभाव है- जो निम्न प्रकार है –
(i) मानव संसाधनों में भारी कमी
(ii) ग्रामीण-शहरी विभाजन की सोच
(iii) चिकित्सकों द्वारा चिकित्सा को मात्र एक व्यवसायिक पेशा समझना
(iv) अस्पतालों में चिकित्सा संबंधी उपकरणों का अभाव
(v) ग्रामीण इलाकों का पिछड़ापन
(vi) चिकित्सकों द्वारा निजी अस्पताल बनाने पर ज्यादा ध्यान लगाना
(vii)प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही
(viii)अधिक जनसंख्या वाले ग्रामीण इलाकों में एक चिकित्सक पद की नियुक्ति
इनके अतिरिक्त ऐसे अनेक कारण है जिनके द्वारा यह समस्या हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान है, परंतु ग्रामीण भारत में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए ग्रामीण इलाकों का विकास करना होगा। अस्पताल में चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरना होगा जिससे मरीजों को उपचार मिल सके। ऐसा नही है कि इस समस्या के ऊपर सरकार का ध्यान नही है बल्कि इसके लिए सरकार ने अनेक पहल की है जो निम्नवत है-
हेल्थ केयर स्टार्टअप (Healthcare startups) द्वारा मांग-आपूर्ति के अंतर को भरकर
1.हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर (Healthcare infrastructure) के समग्र विकास के लिए निवेश में भारी वृद्धि कर
2.जन-जागरूकता
3.ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाकर
4.चिकित्सकों को ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा प्रदान कर
5.स्वास्थ्य निगम द्वारा अस्पतालों की निगरानी रखकर
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए सबसे पहले जन-जागरूकता लाने की आवश्यकता है, जिससे कि लोग अपने अधिकारों को जान सके कि उन्हें उनके क्षेत्र में चिकित्सकों द्वारा सुविधा प्रदान करना सरकार का दायित्व है और अगर किसी कारणवश ग्रामीणों को यह सुविधा प्राप्त नहीं हो पा रही है तो वह इसके लिए स्वास्थ्य विभाग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3I2LBQa
https://bit.ly/3juPF1s
https://bit.ly/3FZ7XQ7
चित्र संदर्भ
1. हॉस्पिटल में अकेले मरीज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. हॉस्पिटल सेवा को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला को दर्शाता एक चित्रण ( wikimedia)
4. महिला की जांच करते चिकित्सक को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
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