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शिव पुराण सहित विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, कामदेव की होली से संबंधित किवदंतियां

रामपुर

 17-03-2022 11:10 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

सनातन धर्म के अनुसार सृष्टि के निर्माण से लेकर इसके संचालन तथा इसके विध्वंश तक का कार्य किसी न किसी देवता द्वारा दिया जाता है। इसमें मुख्य रूप से ब्रह्मा को सृष्टि का निर्माता, भगवान विष्णु को इसके संचालक तथा भगवान शिव को सृष्टि के संहारक के रूप में पूजा जाता है। इसी क्रम में सृष्टि संचालन के अंतर्गत भी कार्यों का विभाजन किया गया है। जैसे हिंदू देवता कामदेव को संसार में प्रेम और काम के देवता के रूप में पूजा जाता है।
सनातन ग्रंथों में कामदेव से सम्बंधित एक किवदंती बेहद लोकप्रिय है, जिसके अनुसार भगवान ब्रह्मा के पहले पुत्रों में से एक, दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया था। इस बात का प्रतिशोध लेने के लिए दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन जानबूझकर माता सती एवं उनके पति भगवान शिव को दक्ष द्वारा आयोजित इस भव्य यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया गया। जब माता सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने सोचा की संभवतः उनके पिता उन्हें निमंत्रण देना भूल गए ,और अपने पति शिव की चेतावनी के बावजूद इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अपने मायके पहुँच गई। लेकिन जब वह वहाँ पहुँची, तो उन्हें निमंत्रण न देने के वास्तविक कारण का पता चला, और वह अपने पति के अपमान से क्रोधित हो गई। भगवान शिव के अपमान से क्रोधित और दुखी होकर माता सती यज्ञ की अग्नि में समाहित हो गई। जब भगवान शिव को माता की आकस्मिक भस्म होने का पता चला, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए, पहले तांडव नृत्य किया और फिर हिमालय में जाकर समाधि में लीन हो गए। इस घटना के बाद, शिव-सती की अनुपस्थिति से दुनिया का संतुलन जल्द ही चरमरा गया। अतः सती ने देवी पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया, और भगवान शिव का दिल जीतने और उन्हें उनकी समाधि से जगाने की कोशिश की।
माता पार्वती ने शिव का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर तरह की कोशिश की। आखिर में उन्होंने प्रेम के देवता कामदेव की मदद ली, जो जोखिमों के बावजूद विश्व कल्याण हेतु माता पार्वती की मदद करने के लिए सहमत हो गए। कामदेव ने शिव की ओर अपना प्रेम-बाण चलाया जो शिव के हृदय पर जाकर लगा। इससे शिव की समाधि भंग हो गई और भयंकर क्रोध में शिव ने व्याकुल होकर, शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला और तुरंत ही कामदेव को भस्म कर दिया। कहा जाता है कि होली के दिन ही कामदेव ने सभी प्राणियों की भलाई के लिए अपना बलिदान दिया था। बाद में, जब भगवान शिव को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने कामदेव को अदृश्य रूप में अमरता का वरदान दे दिया। प्रेम और कामनाओं के देवता कामदेव के इस बलिदान को हिंदुओं द्वारा वसंत पंचमी तथा होली रूप में मनाया जाता है। इस दौरान लोग भगवा, गुलाबी या पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे से मिलने जाते हैं। इस अवसर पर काम-रति का दर्पण माने जाने वाले राधा के साथ कृष्ण की लीलाओं पर आधारित गीत गाए जाते हैं।
कई पुराण (गरुड़ पुराण सहित), कामदेव की इस लोकप्रिय कथा के मूल स्रोत माने जाते हैं। लेकिन इन सभी में सबसे प्राथमिक स्रोत शिव पुराण को माना जाता है। शिव पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुराणों में से एक है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। शिव-महिमा, लीला- कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन भी मिलता है।
शिव, जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार माने जाते हैं। 'शिव पुराण' का सम्बन्ध शैव मत से है। इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्रायः सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। किन्तु 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है। शिव पुराण की तिथि और लेखक अज्ञात हैं। शिव पुराण, हिंदू साहित्य के अन्य पुराणों की तरह, सदियों से नियमित रूप से संपादित, पुनर्रचित और संशोधित किए गए थे। इन पाठों के विद्याश्वर संहिता और वायवीय संहिता के पहले अध्यायों में पाए गए एक मार्ग के अनुसार मूल शिव पुराण में बारह संहिताएँ शामिल थीं, जिसमें पाँच खोई हुई संहिताएँ क्रमशः थी:
१.वैनायक संहिता।
२.मातृ संहिता (या मातृपुराण संहिता)।
3.रुद्रिकादास संहिता।
४.सहस्रकोटिरुद्र।
5.धर्म संहिता (या धर्मपुराण संहिता)।
इन खण्डों में शेष छंदों की संख्या इस प्रकार थी:
१.विद्याेश्वर संहिता - 10,000
२.रुद्र संहिता - 8,000
3.वैनायक संहिता - 8,000
४.उमा संहिता - 8,000
5.मातृ संहिता - 8,000
६.रुद्रिकादशा संहिता - 13,000
७.कैलासा संहिता - 6,000
8.शतरुद्र संहिता - 3,000
९.सहस्रकोटिरुद्र संहिता - 11,000
१०.कोटिरुद्र संहिता - 9,000
११.वायविया संहिता - 4,000
१२.धर्म संहिता - 12,000
इस सभी के अलावा कई अन्य संहिताओं को भी शिव पुराण से जोड़ा गया है। जैसे इसाना संहिता , ईश्वर संहिता , सूर्य संहिता , तीर्थक्षेत्र महात्मा संहिता और मानवी संहिता आदि।

संदर्भ
https://bit.ly/3q3Y3FE
https://en.wikipedia.org/wiki/Kamadeva
https://en.wikipedia.org/wiki/Shiva_Purana
https://en.wikipedia.org/wiki/Vasant_Panchami

चित्र सन्दर्भ
1. शिव पुराण सहित, कामदेव की होली से संबंधित किवदंति को दर्शाता चित्रण ( youtube, wikimedia)
2. "सती की मृत्यु से तबाह तांडव करते हुए पूरे ब्रह्मांड में घूमते शिव को दर्शाता चित्रण (Vibhu Vashisth 🇮🇳 on Twitter)
3. कामदेव को भस्म करते शिव को दर्शाता चित्रण (wikimedia) 4. शिव को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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