वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
प्रायः हमें बताया जाता है की ईश्वर के हाथों में समस्त संसार का नियंत्रण होता है। उसकी शक्तियां, अलौकिक, चरित्र
सर्वोत्तम होता है, और वे व्यवहारिक रूप से दक्ष होते हैं। किंतु रुद्रप्रिय (भगवान शिव के चहेते) भगवान श्री गणेश,
एकमात्र ऐसे हिंदू देवता हैं जिन्होंने ईश्वर की गरिमा और देवीय शक्तियों को अपने सर्वोत्तम चरित्र और व्यवहार
कुशलता के बल पर प्राप्त किया। उदाहरण के तौर पर माँ पार्वती के आदेशानुसार उन्होंने स्वयं भगवान शिव को भी
स्नानकक्ष के भीतर उनके पास न जाने दिया। भले ही अपना शीश कटवाकर गजमस्तक (हाथी के सिर वाले) हो गए।
उनकी इस दृण निश्चयी स्वाभाव और आज्ञाकारिता से प्रसन्न होकर उन्हें सिद्दिविनायक : सफलता के स्वामी,
भूपति : धरती के मालिक , बुद्धिविधाता : बुद्धि के मालिक, बुद्धिप्रिय : ज्ञान के दाता जैसे अनगिनत वरदान प्राप्त
हुए। आज विश्व के विभिन्न देशों और धर्मों में श्री गणेश के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। न केवल भारत बल्कि
विदेशी भूमि पर भी शुरुआत के देवता भगवान श्री गणेश का अनुसरण किये जाने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त
हुए हैं।संदर्भ
हम सभी जानते हैं की प्राचीन समय में अफगानिस्तान भी अखडं भारत का एक हिस्सा था। हालांकि अफगानिस्तान
आज एक मुस्लिम देश है, लेकिन 980 सीई में अफगानिस्तान में अधिकांश लोग हिंदू और बौद्ध थे। वर्ष 980 सीई
भारत में मुस्लिम आक्रमण की शुरुआत हुई, जब गजनविद राजवंश के संस्थापक सबुकतागिन ने राजा जया पाकवी
अफगानिस्तान पर हमला किया। अफगानिस्तान ही वह स्थान था, जहाँ से महाभारत की गांधारी आई थी, गांधार
जिसका राजा शकुनि था। आज गांधार शहर कंधार के नाम से जाना जाता है। पख्तून वैदिक साहित्य में वर्णित पक्त
जनजाति के वंशज माने जाते हैं। 980 सीई तक, यह क्षेत्र एक हिंदू बहुल क्षेत्र था।
अफगानिस्तान में शिव पूजा
व्यापक थी। एक समय ऐसा था, जब पूरा क्षेत्र शिव-पार्वती की पूजा और शिव मंत्रों, प्रार्थनाओं, किंवदंतियों और पूजा
के जश्न मनाने वाले सैकड़ों शिव मंदिरों से भरा हुआ रहता था। औपनिवेशिक काल के दौरान क्षेत्र में ईस्ट इंडिया
कंपनी के एक अधिकारी सर एस्टिन (Sir Astin) द्वारा किये गए पुरातात्विक उत्खनन से अनगिनत मंदिरों और
शिलालेखों की प्राप्ति हुई। उन्होंने उस विषय पर चार पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें खोजे गए चिह्नों, और शिलालेखों के
वर्णन और तस्वीरें हैं। उनकी इस तस्वीरों में सूर्य मंदिर और एक गणेश प्रतिमा भी शामिल है।
मान्यता है की प्राचीन समय के अफगानिस्तान में दो हिंदू शासकों कुशम और किदारा का शासन काफी लंबे समय
तक चला। उनके शासन के दौरान न केवल अफगानिस्तान में बल्कि अन्य पश्चिम एशियाई क्षेत्रों में भी कई शिव
मंदिर थे। ताशकंद में उन प्राचीन शिव मंदिरों में से एक आज भी खड़ा है। अफ़ग़ानिस्तान के गार्डेज़ में 5वीं सदी के
गणेश पाए गए।
अफगानिस्तान में काबुल के पास गार्डेज़ में खोजी गई गार्डेज़ गणेश (Gardez Ganesha) हिंदू
भगवान गणेश की
एक मूर्ति है, इसे "इंडो-अफगान स्कूल की एक विशिष्ट खोज" माना जाता है। माना जाता है की इसे खिंगल नामक
राजा ने समर्पित किया था। डी.सी. सरकार ने इस गणेश मूर्ति को 6ठी-7वीं शताब्दी सीई शिलालेख की पुरालेख के
आधार पर दिनांकित किया है। कुछ लेखकों ने मूर्ति को कुषाण कला से गुप्त कला के बीच की संक्रमणकालीन अवधि,
5वीं या 4वीं शताब्दी ईस्वी के बीच का भी बताया है।
गणेश की प्रतिमा को काबुल के अंगरखा के पास खैर खानेह मंदि में खोजी गई सूर्य की प्रसिद्ध ब्राह्मणवादी प्रतिमा
के समकालीन भी माना जाता है। पुरातात्विक विद्वान मानते हैं की ख़ैर खानेह मंदिर का निर्माण 608-630 ईस्वी
पूर्व किया गया। गार्डेज़ में इसकी खोज के बाद, प्रतिमा को पामीर सिनेमा के पास, काबुल में दरगाह पीर रतन नाथ के
हिंदू मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया।
मूर्ति के आधार (जड़ पर) पर शिलालेख दिखाई देता है। जिसे सिद्धमातृका लिपि में लिखा गया है, जो ब्राह्मी लिपि
का विकास है। लेखन का विश्लेषण 6वीं या 8वीं शताब्दी सीई की तारीख का सुझाव देता है।
अफगानिस्तान की भांति ही वियतनाम भी पहले हिंदू बहुल राष्ट्र था। आज वियतनाम में लगभग 60,000 हिंदू रहते
हैं। वियतनाम में अधिकांश चाम (Cham "पूर्वी चाम के रूप में भी जाना जाता है") हिंदू हैं, जबकि उनके कंबोडियाई
समकक्ष बड़े पैमाने पर मुस्लिम हैं।
चाम हिंदू को बालमोन (बानी) या बालमोन हिंदू भी कहा जाता है। वे शैव हिंदू धर्म के एक रूप का अभ्यास करते हैं।
अधिकांश चाम हिंदू क्षत्रिय वर्ण से संबंध रखते हैं, लेकिन काफी अल्पसंख्यक ब्राह्मण भी हैं। वियतनाम के निन्ह
थुएन प्रांत (Ninh Thuen province) में अधिकांश चाम निवास करते हैं। निन्ह थुएन के 22 गांवों में से 15 हिंदू
बहुल गावं हैं। जहाँ चाम बालमोन (हिंदू चाम) संख्या 32,000 है। इस क्षेत्र में आज चार मंदिरों: पो इनु नुगर, पो रोम,
पो कलौंग गिराई और पो डैम (Po Inu Nugar, Po Rom, Po Kalong Girai and Po Dam) की पूजा की जाती है।
चाम हिंदुओं का मानना है कि जब उनकी मृत्यु होती है, तो पवित्र बैल नंदी उनकी आत्मा को भारत की पवित्र भूमि
पर ले जाने के लिए आते हैं।
चाम हिंदुओं का मुख्य त्योहार केट त्योहार या मबांग केट है, जो की अक्टूबर की शुरुआत
में 3 दिनों के लिए मनाया जाता है। वियतनाम के दानंग संग्रहालय (Danang Museum in Vietnam) में आठवीं
शताब्दी में हिंदू भगवान गणेश की चाम पत्थर की मूर्ति भी स्थापित है। दानंग संग्रहालय में स्थित हिंदू भगवान
गणेश की इस पत्थर की मूर्ति को आठवीं शताब्दी के दौरान चाम्स द्वारा उकेरा गया था। मूर्ति में गणेश को अपने
हाथी के सिर और मानव शरीर के साथ खड़ा दिखाया गया है। उन्हें नंगे पांव एवं एक महीन लिपटी अंगरखा पहने,
अपने बाएं हाथ में एक कटोरा रखे हुए दर्शाया गया है।
सर्वप्रथम दिए गए श्लोक का हिंदी भावार्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान
प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)
संदर्भ
https://bit.ly/3zh5Zqn
https://bit.ly/3JwpYWP
https://en.wikipedia.org/wiki/Gardez_Ganesha
https://www.metmuseum.org/art/collection/search/77595
https://www.ncpedia.org/media/eighth-century-cham-stone
https://en.wikipedia.org/wiki/Hinduism_in_Vietnam
चित्र संदर्भ
1. काबुल के निकट साकार दरह में लगभग 7वीं शताब्दी सीई में खुदाई की गई,
जहाँ से प्राप्त सफेद संगमरमर के गणेश को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. अखंड भारत के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.अफगानिस्तान में काबुल के पास गार्डेज़ में खोजी गई गार्डेज़ गणेश (Gardez
anesha) हिंदू भगवान गणेश की एक मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. वियतनाम के पो नगर में गणेश मंदिरको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. वियतनाम के न्हा ट्रांगो में अंदर से चाम मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)